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IAS वाली पोजिशन पर IPS की पोस्टिंग क्यों? तेलंगाना HC ने राज्य सरकार से पूछ लिया

एक सोशल एक्टिविस्ट ने Telangana में IAS पदों पर IPS अधिकारियों की नियुक्ति को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इस पर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. जानिए क्या है पूरा मामला और आमतौर पर इससे जुड़े नियम क्या हैं.

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तेलंगाना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है. (Photo: File/ITG)

तेलंगाना हाई कोर्ट ने राज्य की रेवंत रेड्डी सरकार से पूछा है कि उन्होंने IAS कैडर की पोस्ट पर IPS अधिकारियों की नियुक्ति क्यों की है. हाई कोर्ट ने सामान्य प्रशासन विभाग के चीफ सेक्रेटेरी और प्रिंसिपल सेक्रेटेरी को मामले में जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है. इसके लिए कोर्ट ने 10 दिसंबर तक का समय दिया है. कोर्ट ने पूछा कि IAS पदों पर IPS की पोस्टिंग की वजह क्या है और इसके पीछे कानूनी आधार क्या है.

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कोर्ट ने सोमवार, 1 दिसंबर को सोशल एक्टिविस्ट वडला श्रीकांत की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह सवाल उठाए. याचिका में कहा गया था कि तेलंगाना सरकार ने केंद्रीय नियमों की अनदेखी करते हुए कुछ IPS अधिकारियों की नियुक्ति IAS कैडर की पोस्ट पर की है. इसके लिए राज्य सरकार के 26 सितंबर के एक आदेश का हवाला दिया गया, जिसमें तीन IPS अधिकारियों की नियुक्ति की गई थी. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार जिन तीन अधिकारियों का जिक्र किया गया है, उनके नाम हैं-

  • स्टीफन रविंद्र, IPS, अभी सिविल सप्लाइज़ के कमिश्नर और सरकार के एक्स-ऑफिशियो प्रिंसिपल सेक्रेटरी के तौर पर काम कर रहे हैं.
  • शिखा गोयल, IPS, डायरेक्टर जनरल, विजिलेंस एंड एनफोर्समेंट, और एक्स-ऑफिशियो प्रिंसिपल सेक्रेटरी, GAD के तौर पर काम कर रही हैं.
  • सीवी आनंद, IPS और हैदराबाद के पूर्व कमिश्नर, को होम डिपार्टमेंट का स्पेशल चीफ सेक्रेटरी नियुक्त किया गया है.
नियमों का दिया हवाला

याचिका में इन नियुक्तियों को IAS कैडर रूल्स 1954 और IAS (कैडर स्ट्रेंथ फिक्सेशन) रेगुलेशन, 2016 का उल्लंघन बताया गया है. याचिकाकर्ता का कहना है कि राज्य सरकार में दोनों सर्विस की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को अलग-अलग तय किया गया है. ऐसे में क्रॉस-कैडर अपॉइंटमेंट नियमों के खिलाफ है. याचिकाकर्ता के वकील विजय गोपाल ने कोर्ट को बताया,

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प्रिंसिपल सेक्रेटरी की पोस्ट IAS कैडर के लिए रिज़र्व होती हैं, जिनके अधिकार क्षेत्र में IPS अधिकारियों के फैसलों का रिव्यू करना भी शामिल होता है. ऐसे में एक IPS अधिकारी के रिव्यू पोजीशन पर होने से एक न्यूट्रल पार्टी का होना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि IAS और IPS अधिकारियों को अलग-अलग एग्जीक्यूटिव और ओवरसाइट रोल के लिए ट्रेन किया जाता है. 

वकील ने राज्य में फोन टैपिंग की कथित पिछली घटनाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि होम सेक्रेटरी जैसे जरूरी पद पर IPS अधिकारी को नियुक्त करने से जरूरी चेक और बैलेंस नहीं रह जाएगा. इसके बाद वकील ने तीनों अधिकारियों को उनके मौजूदा पदों से सस्पेंड करने की मांग की. 

क्या है नियम?

इस मामले में दि लल्लनटॉप ने रिटायर्ड IPS अधिकारी, उत्तर प्रदेश और असम के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह से बात की और इससे जुड़ा नियम जानना चाहा. उन्होंने बताया कि IPS अधिकारी का सर्विस के बाहर पोस्ट होना एक सामान्य प्रक्रिया है. उन्होंने कहा,

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कई राज्यों में मैंने ऐसा होते देखा है. यूपी में भी मैंने होम सेक्रेटेरी के पद पर कई IPS अधिकारियों को तैनात होते हुए देखा है, जो कि प्रिंसिपल सेक्रेटेरी होम के मातहत काम करते हैं. इसके अलावा अविभाज्य आंध्र प्रदेश में मैंने रेगुलर होम सेक्रेटेरी के रूप में IPS को देखा है. केंद्रीय गृह मंत्रालय में भी स्पेशल सेक्रेटेरी होम के पद पर अक्सर IPS अधिकारी ही तैनात होते हैं. यह सामान्य प्रक्रिया है. मेरी जानकारी में यह किसी नियम का उल्लंघन नहीं है. सरकार जरूरत पड़ने पर योग्यता के आधार पर IPS अधिकारियों को उन पदों पर नियुक्त कर सकती है, जो कि सामान्यत: IAS का पद होता है.

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बहरहाल, हालिया मामले में तेलंगाना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि IPS अधिकारियों को IAS पदों पर क्यों पोस्ट किया जा रहा है. इस पर सामान्य प्रशासन विभाग के वकील एस राहुल रेड्डी ने कोर्ट से समय मांगा. कोर्ट ने जवाब देने के लिए एक हफ्ते का समय देने का फैसला किया.  

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