सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि अगर किसी ने नौकरी के लिए आवेदन करते वक्त आरक्षित वर्ग के तहत उम्र से जुड़ी छूट ली है, तो बाद में उसे अनारक्षित (सामान्य) वर्ग की सीटों में सिलेक्शन के लिए नहीं कंसिडर किया जाएगा. शीर्ष अदालत ने साफ किया कि यह स्थिति तब लागू होगी अगर भर्ती के नियम में इस तरह के ट्रांसफर के लिए रोक का जिक्र हो. यानी अगर भर्ती निकालते वक्त ऐसी शर्त नहीं लगाई गई तो आरक्षित वर्ग के कैंडिडेट को सामान्य कैटेगरी के तहत चयनित किए जाने पर विचार किया जा सकता है.
आरक्षण लेने वाला कैंडिडेट रिजल्ट के बाद सामान्य वर्ग में जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया
Supreme Court News: दरअसल, स्टाफ सिलेक्शन कमीशन की कॉन्सटेबल भर्ती (GD) से जुड़ा एक मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. भर्ती प्रक्रिया में उम्र की सीमा 18-23 साल तय की गई थी. अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों के लिए 3 साल की छूट. प्रतिवादियों ने OBC उम्मीदवार के रूप में आवेदन कर छूट का लाभ लिया.


दरअसल, स्टाफ सिलेक्शन कमीशन की कॉन्सटेबल भर्ती (GD) से जुड़ा एक मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. भर्ती प्रक्रिया में उम्र की सीमा 18-23 साल तय की गई थी. अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों के लिए 3 साल की छूट. प्रतिवादियों ने OBC उम्मीदवार के रूप में आवेदन कर छूट का लाभ लिया.
जब रिजल्ट आया तो प्रतिवादियों ने सामान्य वर्ग के चुने गए आखिरी उम्मीदवार से ज्यादा नंबर हासिल किए, लेकिन OBC उम्मीदवार से कम नंबर पाए. इस कारण उनका सिलेक्शन हुआ नहीं. ऐसे में प्रतिवादियों ने हाई कोर्ट का रुख किया. कोर्ट ने फैसला उनके पक्ष में दिया और कहा कि उन्हें मेरिट के आधार पर सामान्य वर्ग की सीटों पर विचार किया जाना चाहिए.
लाइव लॉ की खबर के मुताबिक, भारत सरकार ने हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की दो जजों की बेंच सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि एक आरक्षित उम्मीदवार, जिसने सामान्य उम्मीदवारों के साथ खुली प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए फीस/ऊपरी आयु सीमा में छूट का लाभ उठाया है, उसे अनारक्षित सीटों पर भर्ती किया जा सकता है या नहीं, ये हर मामले के परिस्थिति पर निर्भर करेगा.
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक,
अगर भर्ती नियमों/नोटिफिकेशन में इस पर कोई रोक नहीं है, तो ऐसे आरक्षित उम्मीदवार जिन्होंने अंतिम चयनित सामान्य वर्ग के उम्मीदवार से ज्यादा नंबर पाए, वे माइग्रेट करने और अनारक्षित सीटों पर भर्ती होने के हकदार होंगे. (लेकिन) अगर संबंधित भर्ती नियमों के तहत रोक लगाई जाती है, तो ऐसे आरक्षित उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी की सीटों पर माइग्रेट करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
चूंकि इस मामले में माइग्रेशन पर रोक थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को पलट दिया और प्रतिवादियों को सामान्य सीटों पर माइग्रेशन देने से इनकार कर दिया. यानी भारत सरकार की अपील स्वीकार कर ली गई.
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इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम कॉमेंट भी किया. उसने कहा कि हाई कोर्ट ने ‘जितेंद्र कुमार सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2010) मामले’ पर गलत तरीके से भरोसा किया था. उस मामले में उत्तर प्रदेश के खास कानूनी प्रावधान लागू थे. जो ऐसे माइग्रेशन की मंजूरी देते थे.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI ने नेपाल-बांग्लादेश का जिक्र क्यों किया?