तमिलनाडु की थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी पर दरगाह के पास प्राचीन स्तंभ पर दीप जलाने की इजाजत देने वाले मद्रास हाईकोर्ट के जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन के खिलाफ महाभियोग लाने की मांग की गई है. INDIA ब्लॉक के सांसदों ने मंगलवार, 9 दिसंबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिरला को इसे लेकर एक एप्लीकेशन दिया है. इस नोटिस में मद्रास हाईकोर्ट के जज जस्टिस जीआर स्वामीनाथन को हटाने की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की गई है.
मद्रास HC के जज को क्यों हटाना चाहते हैं 107 सांसद? स्पीकर ओम बिरला को 3 कारण बताए हैं
जस्टिस जीआर स्वामीनाथन को पद से हटाने के लिए तमिलनाडु के इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने एप्लीकेशन दिया. इस एप्लिकेशन में दोनों सदनों करीब 107 सांसदों ने साइन किया. इस नोटिस में संविधान के अनुच्छेद 124 के साथ अनुच्छेद 217 का हवाला दिया गया. साथ ही जस्टिस पर महाभियोग चलाने के लिए तीन आधार लिस्ट में शामिल किए गए.


लोकसभा और राज्यसभा के कुल 107 सांसदों के सिग्नेचर वाले इस एप्लीकेशन में संविधान के आर्टिकल 217 के साथ आर्टिकल 124 का हवाला देते हुए जज के खिलाफ महाभियोग (इम्पीचमेंट) की मांग की गई है. नोटिस में उन्हें हटाने के तीन आधार बताए गए हैं.
‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, नोटिस में तमिलनाडु के इंडिया ब्लॉक के सांसदों ने जस्टिस जीआर स्वामीनाथन पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि जस्टिस स्वामीनाथन का आचरण 'निष्पक्षता, पारदर्शिता और न्यायपालिका की धर्मनिरपेक्ष कामकाज पर गंभीर सवाल उठाता है.' जस्टिस स्वामीनाथन पर ये आरोप भी लगाया गया है कि वो सीनियर एडवोकेट एम.श्रीचरण रंगनाथन और एक खास समुदाय के एडवोकेट्स को फायदा पहुंचाते हैं.
इसके अलावा जज पर लगे आरोपों में ये भी दावा किया गया कि जस्टिस स्वामीनाथन एक खास राजनीतिक विचारधारा के आधार पर फैसले देते हैं और इस तरह से फैसले देते हैं जो भारतीय संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों के खिलाफ हैं. सांसदों ने अपने एप्लीकेशन के साथ इस मुद्दे पर राष्ट्रपति और भारत के मुख्य न्यायाधीश को पहले भेजी गई चिट्ठियों की कॉपियां भी लगाई हैं.
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INDIA ब्लॉक के सांसदों ने ये कदम जस्टिस स्वामीनाथन के हालिया फैसले के बाद उठाया गया है, जिसमें जिन्होंने थिरुपरनकुंद्रम पहाड़ी के पुराने स्तंभ पर दरगाह के पास दीप जलाने की इजाजत दी थी. इसकी वजह से प्रदेश की सियासत में माहौल तनावपूर्ण है.
किसी भी हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने का प्रस्ताव लोकसभा या राज्यसभा किसी भी सदन में लाया जा सकता है. अगर स्पीकर उस नोटिस को मंजूरी दे देते हैं तो एक तीन सदस्यीय जांच समिति बनाई जाती है. इस समिति में सुप्रीम कोर्ट का एक जज, किसी हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस, और एक वरिष्ठ कानून एक्सपर्ट (ज्यूरिस्ट) शामिल होता है. यह समिति आरोपों की जांच करती है. अगर समिति जांच के बाद आरोपों को सही मान लेती है तो फिर वह प्रस्ताव दोनों सदनों में पास होना अनिवार्य होता है.
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