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ADGP जयराम की गिरफ्तारी से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास HC का आदेश ही रद्द कर दिया

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के एडीजीपी एचएम जयराम की अपहरण केस में गिरफ्तारी के मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया है. उन्होंने राज्य सरकार से कहा है कि वह मामले की जांच सीबीसीआईडी को सौंप दें.

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मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया (India Today)

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के ADGP एचएम जयराम की गिरफ्तारी के मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि जिस मामले में जयराम की गिरफ्तारी हुई थी, उसकी जांच सीबीसीआईडी (CBCID) को सौंपी जाए. तमिलनाडु सरकार इसके लिए तैयार हो गई है, लेकिन उसने कोर्ट से अपील की है कि जांच पूरी होने तक एडीजीपी का निलंबन जारी रहे. 

सरकार ने इसे नियम के अनुसार बताया है और कहा है कि जांच पूरी होने के बाद उसकी रिपोर्ट के आधार पर निलंबन पर फैसला होगा.

ये मामला तमिलनाडु के तिरुवल्लूर जिले के थिरुवलंगाडु पुलिस स्टेशन में दर्ज अपहरण के एक मामले से जुड़ा है. आरोप है कि अपहरण में एडीजीपी भी शामिल हैं क्योंकि अपहरणकर्ताओं ने वारदात के दौरान उनकी सरकारी गाड़ी का इस्तेमाल किया था. मद्रास हाई कोर्ट ने इसी मामले में आरोपी विधायक जगन मूर्ति की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए एडीजीपी जयराम को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था. कोर्ट की सुनवाई के बाद पुलिस ने जयराम को गिरफ्तार भी कर लिया. हालांकि, 24 घंटे की हिरासत के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया. 

सुप्रीम कोर्ट ने जताई थी हैरानी

जयराम ने मद्रास हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. बुधवार 18 जून को सुप्रीम कोर्ट ने एडीजीपी की गिरफ्तारी पर हैरानी जताई थी. उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के फैसले पर कहा कि याचिकाकर्ता एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हैं और उनकी गिरफ्तारी का फैसला ‘मनोबल गिराने वाला’ है.

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लाइव लॉ के अनुसार, गुरुवार, 19 जून को मामले पर अंतिम फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस मनमोहन ने मद्रास हाई कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया. इतना ही नहीं, बेंच ने मद्रास हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से कहा कि वह इस केस और इससे जुड़े दूसरे लंबित मामलों की सुनवाई किसी दूसरी बेंच को सौंप दें.

कोर्ट ने राज्य सरकार से मामले की जांच को सीबीसीआईडी को सौंपने के लिए कहा, जिस पर तमिलनाडु की सरकार ने कोई आपत्ति नहीं जताई.

ADGP के निलंबन का सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी पूछा था कि ‘क्या ADGP जयराम का निलंबन वापस लिया जा सकता है?’

राज्य सरकार की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ दवे ने इस पर कहा कि ADGP जयराम का निलंबन मद्रास हाई कोर्ट के आदेश से नहीं, बल्कि 1969 के 'ऑल इंडिया सर्विसेज (डिसिप्लिन एंड अपील) रूल्स' के तहत किया गया है. इन नियमों के अनुसार, अगर किसी अफसर पर आपराधिक आरोपों की जांच या मुकदमा चल रहा हो तो उसे सस्पेंड किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि जैसे ही जांच पूरी होगी, निलंबन रद्द करने पर फैसला लिया जाएगा.

‘द हिंदू’ की रिपोर्ट के मुताबिक, ADGP जयराम के वकील आदित्य कुमार चौधरी ने कोर्ट से गुहार लगाई कि जांच के लिए कोई समय सीमा तय कर दी जाए, क्योंकि जयराम अगले साल रिटायर होने वाले हैं. कोर्ट ने उनकी अपील ये कहकर खारिज कर दी कि जांच के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की जा सकती.

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