The Lallantop

CJI गवई बोले- 'ये चलन खतरनाक है...' जज पर आरोप लगाने वालों को सुप्रीम कोर्ट की खरी-खरी

Supreme Court में केस की सुनवाई के दौरान CJI BR Gavai की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मनचाहा आदेश न मिलने पर वकील, जज के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने लगते हैं.

Advertisement
post-main-image
सुप्रीम कोर्ट ने इसे बहुत गलत और खतरनाक प्रवृत्ति बताया. (फोटो: आजतक)

सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अब लोगों में यह चलन बन गया है कि जब भी उन्हें कोर्ट का फैसला पसंद नहीं आता, तो वे जजों पर तरह-तरह के आरोप लगाने लगते हैं. कोर्ट ने इसे बहुत गलत और खतरनाक प्रवृत्ति बताया. कोर्ट ने साफ कहा कि इस तरह के आरोप न सिर्फ न्याय व्यवस्था को कमजोर करते हैं, बल्कि अदालत की गरिमा को भी ठेस पहुंचाते हैं.

Add Lallantop as a Trusted Sourcegoogle-icon
Advertisement
क्या है मामला?

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना हाई कोर्ट की जज जस्टिस मौसमी भट्टाचार्य के खिलाफ कुछ वकीलों ने कथित तौर पर अपनी याचिका में आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं. इस पर 29 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए उन पर अवमानना का नोटिस जारी किया. भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि “इस तरह की प्रथा की कड़ी निंदा की जानी चाहिए.”

कोर्ट ने कड़ी चेतावनी जारी करते हुए कहा कि मनचाहा आदेश न मिलने पर वादी और वकील, जज के खिलाफ अपमानजनक और निंदनीय आरोप लगाने लगते हैं. कोर्ट ने इस बढ़ते चलन पर चिंता जताई.

Advertisement

बाद में वकीलों ने अपनी गलती मान ली और जज से माफी मांग ली. जज ने भी माफी स्वीकार कर ली. सोमवार, 10 नवंबर को, सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि जस्टिस भट्टाचार्य ने ‘याचिकाकर्ताओं द्वारा मांगी गई माफी स्वीकार करने की उदारता’ दिखाई थी. पीठ ने कहा कि कोर्ट भी उनकी माफी स्वीकार कर रहा है.

सुप्रीम कोर्ट ने मामला खत्म करते हुए कहा कि वकील अदालत के अधिकारी के तौर पर काम करते हैं, इसलिए उन्हें याचिकाओं पर हस्ताक्षर करते समय ध्यान रखना चाहिए कि उनमें कोई गलत या बेबुनियाद आरोप न लिखा हो.

ये भी पढ़ें: गिरफ्तारी पर नहीं चलेगी पुलिस की मनमानी! सुप्रीम कोर्ट बोला-लिखित कारण बताना जरूरी है

Advertisement

पीठ ने अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट के 23 जुलाई के फैसले का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि वकीलों को छोटी-छोटी गलतियों के लिए दंडित नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे उनके करियर पर गलत प्रभाव पड़ सकता है.

वीडियो: 'पायलट को दोष नहीं दिया जा सकता...', एयर इंडिया प्लेन क्रैश पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

Advertisement