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बीजेपी दफ्तर की सड़क बनाने के लिए 40 पेड़ काट दिए, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को सुना डाला

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि करनाल में नए बने बीजेपी ऑफिस के लिए सड़क बनाने के नाम पर 40 बड़े पेड़ उखाड़ देना निराशाजनक है. कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से इस पर मजबूत स्पष्टीकरण मांगा है.

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सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को फटकार लगाई है (india today)

हरियाणा के करनाल में भाजपा के नए दफ्तर के लिए सड़क बनाने के नाम पर कथित तौर पर 40 पेड़ काट दिए गए. एक पूर्व सैनिक की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार, 27 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार और शहरी विकास निकाय को जमकर फटकार लगाई है. पेड़ काटने को कोर्ट ने बेहद निराशाजनक (Pathetic) बताया और कहा कि वो इसका समाधान चाहते हैं. नहीं तो सरकार को इसके लिए कड़ी कार्रवाई झेलनी पड़ सकती है. 

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पूर्व सैनिक ने दायर की याचिका

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में रिटायर्ड कर्नल देविंदर सिंह राजपूत की अपील पर सुनवाई चल रही थी. राजपूत ने 1971 के युद्ध में हिस्सा लिया था और घायल हुए थे. उन्हें ‘वीर चक्र’ से भी सम्मानित किया गया है. उनकी ओर से वकील भूपेंद्र प्रताप सिंह कोर्ट में दलीलें पेश कर रहे थे. वकील ने बताया कि देविंदर सिंह ने हरियाणा के करनाल के सेक्टर-9 में 1000 वर्ग गज का प्लॉट हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (HSVP) से खरीदा था. राजपूत का आरोप है कि रिहायशी इलाके में उनके प्लॉट के बगल वाली जमीन नियमों के खिलाफ जाकर सत्ताधारी दल (बीजेपी) को दे दी गई. यह फैसला हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट एक्ट, 1977 (HUDA) और टाउन प्लानिंग की नीतियों के खिलाफ था.

याचिका में कहा गया कि उनके घर के पास की 100 मीटर की ग्रीन बेल्ट में से 10 मीटर का रास्ता बनाने के लिए 40 पेड़ काट दिए गए. खास बात ये है कि करीब 36 साल पहले प्लॉट खरीदते समय राजपूत ने ग्रीन बेल्ट के सामने वाली लोकेशन के लिए 10 फीसदी ज्यादा पैसा (Preferential Location Charges) दिया था. 

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उनके वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि नियमों के अनुसार किसी भी संस्थागत जगह को कम से कम 24 मीटर चौड़ी सड़क पर होना चाहिए, लेकिन यहां पर 1550 वर्ग गज की जो जमीन बीजेपी को दी गई, वह सिर्फ 9 मीटर चौड़ी सड़क पर थी और 1989 से खाली पड़ी थी. इसे बिना किसी प्रक्रिया के ‘संस्थागत’ घोषित कर दिया गया.

इसे लेकर राजपूत ने हाईकोर्ट में भी अपील की थी. लेकिन उनकी याचिका खारिज कर दी गई, जिसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचे हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए हरियाणा की सरकार को जमकर फटकारा. पीठ ने प्रदेश सरकार के वकील एडीशनल सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से पूछा, 

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बड़े-बड़े पेड़ों को उखाड़ देना गलत है. फिर ऐसा क्यों किया गया? इन पेड़ों का क्या हुआ? आपका क्या स्पष्टीकरण है? पार्टी का ऑफिस किसी और जगह क्यों नहीं ले जाया जा सकता?

इस पर बनर्जी ने ‘नियमों का पालन होने’ का दावा करते हुए कहा कि जितने पेड़ काटे गए, उतने ही नए लगाए जाएंगे. 

हालांकि, दोनों जज इस बात पर संतुष्ट नहीं दिखे. उन्होंने आगे पूछा कि 40 बड़े पेड़ों का नुकसान कौन पूरा करेगा? उन्होंने बनर्जी से एक ‘मजबूत स्पष्टीकरण’ लेकर आने को कहा और चेतावनी दी कि ऐसा नहीं किया गया तो सरकार और उसकी एजेंसियों को ‘कड़ी कार्रवाई’ का सामना करना पड़ेगा.

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