सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए मार्केट रेगुलेटर ‘सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया’ (SEBI) को कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने SEBI के ‘डबल स्टैंडर्ड’ पर तो सवाल उठाए ही. साथ ही, CBI के ‘ठंडे रवैये’ पर भी तीखे सवाल पूछ लिए. कोर्ट ने पूछा कि SEBI, इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (IHFL) के खिलाफ आरोपों की जांच क्यों नहीं करना चाहता.
सुप्रीम कोर्ट SEBI के 'डबल स्टैंडर्ड' पर भड़का, IHFL केस में CBI के 'ठंडे रवैये' पर भी सवाल उठाए
Supreme Court ने SEBI के ‘डबल स्टैंडर्ड’ पर सवाल उठाए. साथ ही, आश्चर्य जताते हुए कहा कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) इस मामले में ‘ठंडा रवैया’ अपनाए हुए है.


IHFL को अब सम्मान कैपिटल लिमिटेड के नाम से जाना जाता है. इस कंपनी के ‘संदिग्ध लेनदेन’ की जांच को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. आरोप है कि IHFL और इसके प्रमोटर्स ने शेल कंपनियों को लोन दिए. उस फंड को फिर प्रमोटर्स से जुड़े फर्म्स में ट्रांसफर किया गया. ये भी कहा गया है कि SEBI के एफिडेविट में इन आरोपों के सबूत हैं.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, NGO सिटीजन व्हिसल ब्लोअर फोरम ने विशेष जांच दल (SIT) से इन आरोपों की जांच कराने की मांग करते हुए याचिका दायर की है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सुर्यकांत, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह के तीन जजों की बेंच ने कई तीखे सवाल पूछे. बेंच की अध्यक्षता कर रहे जस्टिस सूर्यकांत ने अलग-अलग मामलों में SEBI के जवाबों की तुलना करते हुए पूछा,
जब संपत्तियों को अपने कब्जे में लेने और बेचने का सवाल आता है, तो आप कहते हैं कि देश में हमारे पास ही अधिकार क्षेत्र है. लेकिन जब जांच का सवाल आता है... जब हम आपको कुछ अधिकार देना चाहते हैं, तो आप क्यों हिचकिचाते हैं...?
हर दिन हम SEBI के दोहरे मापदंड देखते हैं. एक मामले में जहां मैंने एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया था, आपका रुख ये था कि केवल SEBI को ही संपत्तियों की नीलामी का अधिकार है. और आप क्या नीलाम कर रहे हैं, ये हम जानते हैं! 30 करोड़ रुपये की संपत्ति आपने कुछ लाख रुपये में बेच दी. जब अदालतें निर्देश दे रही हैं, तो आपको अपना वैधानिक कर्तव्य निभाना चाहिए. आप कहते हैं कि आपके पास अधिकार नहीं हैं. अगर आपके पास अधिकार नहीं हैं, तो आपके अधिकारी वेतन क्यों ले रहे हैं?
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने पीठ के सामने मामले में प्राथमिकी दर्ज न किए जाने का मुद्दा उठाया. इस पर अदालत ने आश्चर्य जताया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) इस मामले में ‘ठंडा रवैया’ क्यों अपनाए हुए है. कोर्ट ने आगे कहा,
हमने इस मामले में ऐसा दोस्ताना रवैया पहले कभी नहीं देखा. हमें ये देखकर दुख हो रहा है. ये अंततः जनता का पैसा है. किसी का निजी कमाया हुआ पैसा नहीं है, जिसे इधर-उधर किया जा रहा है…
प्रशांत भूषण ने दलील दी कि मामले में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ED) के जवाबों ने FIR दर्ज करने के लिए पर्याप्त आधार दिए हैं. उन्होंने अदालत से FIR दर्ज करने का निर्देश देने का आग्रह किया.
इधर CBI और सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए. उन्होंने अदालत को आश्वासन दिया कि CBI डायरेक्टर इस मुद्दे पर विचार करने के लिए सभी एजेंसियों के अधिकारियों की एक बैठक बुलाएंगे. राजू के इस बयान के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसी से नया हलफनामा दाखिल करने को कहा है.
वीडियो: अडानी पर आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर सेबी ने क्या कहा है?



















