कर्नाटक के हावेरी जिला अस्पताल में एक नवजात बच्चे की फर्श पर गिरने से मौत हो गई. महिला ने ‘टॉयलेट’ जाते समय बीच रास्ते में बच्चे को जन्म दिया. लेकिन मेडिकल हेल्प ना मिल पाने की वजह से बच्चा फर्श पर गिर गया. महिला के परिवार ने इस घटना के लिए अस्पताल के कर्मचारियों को दोषी ठहराया है. जिसके बाद जिला अस्पताल के सर्जन डॉ. पी. आर. हवनूर ने मामले की निष्पक्ष जांच शुरू कर दी है.
अस्पताल में चलते- चलते हुई डिलीवरी, फर्श पर गिरने से नवजात की मौत, लापरवाही का लगा आरोप
30 वर्षीय रूपा गिरीश को प्रसव पीड़ा के दौरान अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन परिवारवालों ने बताया कि महिला एवं बाल चिकित्सा विंग में बेड ना होने के कारण उन्हें लेबर वॉर्ड में रखने से मना कर दिया गया था. इसके कुछ देर बाद ये घटना घटी.


ये घटना मंगलवार 19 नवंबर की है. 30 वर्षीय रूपा गिरीश करबन्नानवर को प्रसव पीड़ा के दौरान अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन परिवारवालों ने बताया कि महिला एवं बाल चिकित्सा विंग में बेड ना होने के कारण उन्हें लेबर वॉर्ड में रखने से मना कर दिया गया था.
जानकारी के मुताबिक, रूपा को कथित तौर पर लेबर वॉर्ड के बाहर ही बैठना पड़ा. रूपा ने टॉयलेट जाने की कोशिश की मगर रास्ते में ही उसका प्रसव दर्द और बढ़ा. उसने अस्पताल के कॉरिडोर में ही नवजात को जन्म दिया. लेकिन मेडिकल हेल्प ना मिल पाने की वजह से बच्चा फर्श पर गिर गया. गिरने के बाद उसे गहरी चोट आई और कुछ ही देर बाद मौत हो गई.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक़, महिला के परिवार ने अस्पताल के कर्मचारियों के खिलाफ ऑफिशियल कंप्लेंट की है. उन्होंने कहा कि मेडिकल लापरवाही की वजह से बच्चे की जान गई है. परिवार के एक सदस्य ने बताया,
डॉक्टर ने क्या बताया?जब हम अस्पताल पहुंचे तो वो बहुत दर्द में थी. लेकिन किसी डॉक्टर या नर्स ने उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया. हम हॉस्पिटल स्टाफ से बार-बार कहते रहे कि वो उसे एडमिट कर लें लेकिन वो लोग अपने मोबाइल फ़ोन में ही व्यस्त थे. वो चाहते तो बच्चे को बचा सकते थे.
जिला सर्जन डॉ. पी. आर. हवनूर ने बताया कि शुरुआत में देखकर ऐसा लगता नहीं है कि कोई लापरवाही बरती गई है, लेकिन हम मामले की जांच करेंगे. उन्होंने कहा कि महिला सुबह 10: 30 बजे अस्पताल आई थी, लेकिन उस समय वॉर्ड में पहले से ही तीन महिलाएं थीं इसीलिए उनसे इंतज़ार करने को कहा गया था. उन्होंने आगे कहा,
महिला आठ महीने की गर्भवती थी और उसने बताया था कि सोमवार से ही उसके भ्रूण में कोई हलचल नहीं हो रही है. इसलिए वो अस्पताल आई थी. हमें शक है कि प्रसव से पहले ही बच्चे की मौत हो गई हो.
हालांकि उन्होंने ये भी बताया कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक कमिटी का गठन किया गया है. इस कमिटी में डिप्टी कमिश्नर, चाइल्ड वेलफेयर ऑफिसर, चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर, गाइनेकोलॉजिस्ट और जिला सर्जन शामिल हैं.
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