हरियाणा के कैथल स्थित स्पेशल कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया कि पुलिस महकमा हक्का-बक्का रह गया. एक मामले की सुनवाई में कई तारीखों पर पेश ना होने पर SHO को कोर्ट ने बख्शीखाने (सलाखों) में रखने का आदेश दे दिया (Kaithal court order puts SHO behind bars). कोर्ट ने आदेश दिया, लेकिन वो लिखित नहीं था. फिर भी SHO साहब को एक घंटे तक सलाखों में रखा गया. कहा जा रहा है कि इस कार्रवाई के बाद पुलिस महकमे में नाराजगी है.
सुनवाई में नहीं आ रहे थे SHO, गुस्साए कोर्ट ने वर्दी समेत सलाखों के पीछे भेजा
SHO को एक घंटे तक सलाखों में रखा गया. इस कार्रवाई के बाद पुलिस महकमे में नाराजगी की बात सामने आई है.


आजतक से जुड़े वीरेंद्र पुरी की रिपोर्ट के मुताबिक पूरा प्रकरण 'स्टेट ऑफ हरियाणा बनाम गौरव' केस से जुड़ा है. आरोप है कि मामले की सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी इंस्पेक्टर राजेश कुमार कई बार कोर्ट के सामने पेश नहीं हुए. 11 सितंबर को जब वो कोर्ट आए तो नाराज एडिशनल डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज मोहित अग्रवाल ने उन्हें एक घंटे के लिए सलाखों के पीछे भेज दिया. सिरसा जिले के बड़ागुड़ा थाने के SHO राजेश कुमार को वर्दी समेत कोर्ट परिसर के बख्शीखाना (हवालात) में 10:30 से 11:30 बजे तक बंद रखा गया.
बिना लिखित आदेश के हवालात?यहां ट्विस्ट ये है कि जब इंस्पेक्टर को हवालात में डालने की बात आई, तो प्रिजनर एस्कॉर्ट इंचार्ज सब-इंस्पेक्टर सुरेश कुमार ने लिखित आदेश मांगा. लेकिन ना कोर्ट रीडर के पास, ना ही PP के पास कोई लिखित आदेश था. फिर भी, SHO राजेश को एक घंटे तक सलाखों के पीछे रखा गया. बाद में लाइव कोर्ट से लिखित आदेश आया, तब जाकर उन्हें कोर्ट में पेश किया गया. अब सवाल ये उठ रहा है कि बिना लिखित आदेश के क्या किसी पुलिस अधिकारी को हवालात में डाला जा सकता है?
कोर्ट के इस रुख से पुलिस महकमे में गुस्सा है. रिपोर्ट के मुताबिक पुलिसकर्मियों का कहना है कि कोर्ट की नाराजगी अपनी जगह है, लेकिन एक SHO को वर्दी में हवालात भेजना अपमानजनक है. वो भी तब, जब लिखित आदेश तक मौजूद नहीं था. कई तो ये भी कह रहे हैं कि कोर्ट दूसरी सजा भी दे सकता था.
क्या है पूरा मामला?कोर्ट में जिस मामले की सुनवाई हो रही थी वो 2021 में हुई एक हत्या से जुड़ा है. कैथल के सीवन थाना क्षेत्र के गांव कक्हेड़ी में मनीष नाम के शख्स की हत्या हुई थी. मनीष के चाचा राजवीर सिंह ने अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धारा 302 के तहत FIR दर्ज कराई थी. जांच इंस्पेक्टर राजेश कुमार के हाथ में सौंपी गई थी. अब वही केस कोर्ट में गवाही के स्टेज पर है. लेकिन राजेश बार-बार कोर्ट में हाजिर नहीं हो रहे थे. नतीजा? कोर्ट ने 29 अगस्त को उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी कर दिया था. जिसको लेकर वो गवाही देने कोर्ट पहुंचे थे.
वीडियो: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान CJI ने नेपाल-बांग्लादेश का जिक्र क्यों किया?