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क्या है परमानेंट कमीशन, जिस पर केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट में बहस छिड़ी हुई है?

मामला भारतीय कोस्ट गार्ड में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने से जुड़ा है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि "तटरक्षक बल सेना और नौसेना से थोड़ा अलग तरीके से" काम करता है.

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परमानेंट कमीशन में महिलाएं रिटायरमेंट तक काम कर सकती हैं. ( फोटो- इंडिया टुडे )
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प्रगति चौरसिया
29 फ़रवरी 2024 (Updated: 29 फ़रवरी 2024, 09:17 PM IST) कॉमेंट्स
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हाल में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय कोस्ट गार्ड में महिलाओं को परमानेंट कमीशन नहीं दिये जाने पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी. 26 फरवरी को कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा था कि अगर केंद्र सरकार मौजूदा नियमों में कोई बदलाव नहीं करती है तो न्यायपालिका को मजबूरन कदम उठाना पड़ेगा. चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने अगर सरकार कदम नहीं उठाती है तो कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ेगा. इस मामले पर अगली सुनवाई 1 मार्च को होनी है. अब सवाल ये है कि ये परमानेंट कमीशन है क्या, जिसको लेकर कोस्ट गार्ड महिलाएं लड़ाई लड़ रही हैं?

मालूम हो कि भारतीय सेना और नौसेना में भी महिलाएं पहले शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत काम करती थीं. लेकिन साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद महिलाओं को बराबरी का दर्जा मिला. कोर्ट ने कहा था कि आर्मी की हर स्ट्रीम में तैनात महिलाएं परमानेंट कमीशन के लिए योग्य होंगी. इसके बाद महिलाओं को परमानेंट कमीशन दिया जाने लगा. लेकिन भारतीय कोस्ट गार्ड में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने में केंद्र सरकार अब भी कतरा रही है. 

परमानेंट कमीशन क्या है?

परमानेंट कमीशन का मतलब होता है कि कोई भी अधिकारी रिटायरमेंट की उम्र तक सेना में काम कर सकता है. वहीं, शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत नियुक्त अधिकारी का कार्यकाल केवल 10 या 14 साल का होता है. इसके बाद वो रिटायर हो जाती हैं. परमानेंट कमीशन मिलने से महिला अधिकारी भी अपने रैंक के हिसाब से रिटायर होंगी.

पहले पुरुषों और महिलाओं के लिए नियम अलग-अलग थे. शॉर्ट सर्विस कमीशन को पूरा करने के बाद पुरुष अधिकारियों के पास दो ऑप्शन होते है. या तो वो परमानेंट कमीशन चुनें या सेना छोड़ दें. वहीं महिलाओं की बात करें तो शॉर्ट सर्विस कमीशन पूरा होने के बाद उनके पास पहले केवल एक ही ऑप्शन होता है. सर्विस छोड़नी पड़ती है. सेना और नेवी में महिलाओं के लिए परमानेंट कमीशन का पालन किया जा रहा है. लेकिन भारतीय कोस्ट गार्ड में पुराने नियम के तहत महिलाओं को परमानेंट कमीशन नहीं दिया जा रहा है.

परमानेंट कमीशन से महिलाओं को फायदा

# परमानेंट कमीशन में महिलाएं रिटायरमेंट तक काम कर सकती हैं.
# इसके तहत वे महिला अधिकारी भी स्थायी कमीशन में जा सकती हैं, जो अभी शॉर्ट सर्विस कमीशन में काम कर रही हैं.
# इसके लागू होने के बाद महिलाएं ज्यादा वक्त तक काम कर सकेंगी. 
# पेंशन और कई दूसरी सुविधाएं भी मिलेंगी. जो कि शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारियों को नहीं मिलती हैं.

कोस्ट गार्ड अधिकारी प्रियंका त्यागी की याचिका

सुप्रीम कोर्ट में मौजूदा मामला कोस्ट गार्ड की एक शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी प्रियंका त्यागी की याचिका का है. जिन्हें त्रुटिहीन रिकॉर्ड के साथ 14 साल की सेवा के बाद भी परमानेंट कमीशन का मौका नहीं दिया गया था. महिला अधिकारी ने अपनी याचिका में कहा कि उन्होंने पुरुष और महिला सहित सभी रक्षा बलों में सीनियॉरिटी के हिसाब से सबसे ज्यादा घंटे उड़ान भरी हैं जो कि एक रिकॉर्ड है. 

प्रियंका त्यागी डोर्नियर विमान पर 4500 घंटे उड़ान भर चुकी हैं. 300 से ज्यादा लोगों की जान बचाई हैं. बावजूद इसके उन्हें परमानेंट कमीशन नहीं मिला. ये सब उन्होंने अपनी याचिका में बताया है.

ये भी पढ़ें- केंद्र ने पूछा- सेना में परमानेंट कमीशन कैसे दें? महिला अफसरों ने इतनी वजहें गिना दीं

'तटरक्षक बल सेना और नौसेना अलग'- सरकार

इस मामले पर केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने दलील दी थी कि "तटरक्षक बल सेना और नौसेना से थोड़ा अलग तरीके से" काम करता है. इस पर, मुख्य न्यायाधीश ने जोर देकर कहा कि कार्यक्षमता के तर्क महिलाओं को बाहर करने के लिए सही बहाना नहीं हैं. उन्होंने कहा था कि ये कार्यक्षमता जैसे तर्क 2024 में मायने नहीं रखते. महिलाओं को इस तरह बाहर नहीं किया जा सकता.

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