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सोनम वांगचुक के अरेस्ट के खिलाफ पत्नी सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं, पूछा- ऐसा क्या किया जो NSA लगाया?

गीतांजलि अंगमो (Gitanjali Angmo) ने Supreme Court में दायर याचिका में Sonam Wangchuk की हिरासत को चुनौती दी है. और साथ ही उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है. अंगमों ने अपने पति वांगचुक के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाया है.

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गीतांजलि अंगमो (दाएं) ने सोनम वांगचुक (बाएं) की रिहाई की मांग की है. (इंडिया टुडे, एक्स)

सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) की पत्नी गीतांजलि अंगमो (Gitanjali Angmo) ने उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की है. ये याचिका 2 अक्टूबर की शाम को दाखिल की गई है. याचिका में केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय को पक्षकार बनाया गया है. 

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गीतांजलि ने सोनम वांगचुक को तुरंत रिहा करने की मांग करते हुए हेबियस कार्पस याचिका दायर की है. वांगचुक फिलहाल जोधपुर की जेल में बंद हैं. उन्हें 24 सितंबर को लेह में हिंसा भड़काने के आरोप में 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया था. लेह हिंसा में 4 लोगों की मौत हुई थी.

गीतांजलि अंगमो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए याचिका की जानकारी दी है. उन्होंने लिखा, 

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मैंने सोनम वांगचुक की नजरबंदी के खिलाफ एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus) के जरिए सुप्रीम कोर्ट से राहत मांगी है. आज एक हफ्ता हो गया. लेकिन अभी भी मुझे सोनम की सेहत और नजरबंदी के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं है.

गीतांजलि अंगमो ने वकील सर्वम ऋतम खरे के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में वांगचुक की हिरासत को चुनौती दी है. और साथ ही उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है. अंगमों ने अपने पति वांगचुक के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाया है. उनका आरोप है कि अभी तक उन्हें हिरासत के आदेश की कॉपी नहीं मिली है, जोकि नियमों का उल्लंघन है.

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हैबियस कार्पस क्या है?

जब किसी व्यक्ति को बिना कानूनी औचित्य के अवैध रूप से हिरासत में लिया जाता है या फिर पुलिस हिरासत में लिए जाने के 24 घंटे के भीतर कोर्ट में पेश नहीं किया जाता है, तो उसकी ओर से कोई भी व्यक्ति (जैसे परिवार का सदस्य या रिश्तेदार) कोर्ट में हैबियस कार्पस याचिका दायर कर सकता है. 

याचिका के बाद कोर्ट उस व्यक्ति को हिरासत में लेने वाले पुलिस या दूसरे अधिकारी को बंदी व्यक्ति को कोर्ट में पेश करने का आदेश देता है. कोर्ट यह जांच करता है कि व्यक्ति को किस आधार पर हिरासत में लिया गया है. और क्या वह हिरासत कानूनी रूप से सही है. यदि हिरासत अवैध पाई जाती है. तो कोर्ट उस व्यक्ति को तुरंत रिहा करने का आदेश देता है. सुप्रीम कोर्ट अनुच्छेद 32 के तहत और हाई कोर्ट में अनुच्छेद 226 के तहत इस रिट को जारी कर सकते हैं.

प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और गृह मंत्री को पत्र लिख चुकी हैं अंगमो

गीतांजलि अंगमो ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर भी अपने पति सोनम वांगचुक की तुरंत रिहाई की मांग की है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, लद्दाख के उप राज्यपाल कविंदर गुप्ता, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को और लेह के जिला आयुक्त को भी इस पत्र की एक-एक कॉपी भेजी है.

लद्दाख के शिक्षाविद और पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को 29 सितंबर को लेह जिले के उनके गांव से गिरफ्तार किया गया था. उनकी गिरफ्तारी उस समय हुई जब लेह एपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) के नेतृत्व में लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा था. इस प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी, जिसमें 4 लोगों की जान चली गई थी. 

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