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MP: किडनी फेल होने से अब तक 9 बच्चों की मौत, ये दो कफ सिरप भूलकर भी न पिलाएं, पूरी तरह बैन

छिंदवाड़ा में किडनी फेल होने से अब तक नौ बच्चों की मौत हो चुकी है. परासिया के एसडीएम ने इसकी जानकारी दी. इससे पहले मरने वाले बच्चों का आंकड़ा छह था. इस बीच दो कफ सिरप पर बैन लगाया गया है.

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Coldrif और Nextro-DS नाम के दो कप सिरप पर बैन लगाया गया है. (Photo: ITG)

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में किडनी फेलियर से होने वाली बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है. परासिया तहसील के SDM के अनुसार अब तक कुल 9 बच्चों की मौत हो चुकी है. इनमें से पांच बच्चों ने उन्हीं दो कफ सिरप का इस्तेमाल किया था, जिसे प्रशासन ने अब बैन कर दिया है. इनके नाम हैं Coldrif और Nextro-DS. मीडिया रिपोर्ट्स में इन सिरप की क्वालिटी पर सवाल उठाए गए हैं. हालांकि अब तक बच्चों की मौत की कोई आधिकारिक वजह नहीं बताई गई है.

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बच्चों की मॉनिटरिंग की जा रही: SDM

SDM ने बताया कि हमने प्रोटोकॉल बनाया है कि दो दिन से ऊपर कोई भी बच्चा बीमार रहता है, तो उसको हम सिविल हॉस्पिटल में 6 घंटे मॉनिटरिंग में रखते है. तबीयत बिगड़ने पर जिला अस्पताल रेफर करते हैं. ठीक होने के बाद उनको घर भेज देते है. इसके बाद भी आशा कार्यकर्ताओं से उनकी मॉनिटरिंग करवाते है. इसके अलावा हमने पानी और मच्छर संबंधी जांच करवा ली है, जो कि नॉर्मल आई है. एसडीएम ने आजतक से जुड़े पवन शर्मा से बातचीत करते हुए कहा,

एक सैंपल हमारा नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी गया था. वह भी नॉर्मल आया है. पानी के सैंपल जांच के लिए CSIR निरी भेजे गए हैं, जिसका इंतजार है. अभी तक जिन 9 बच्चों की डेथ हुई है, उनमें से 5 बच्चों की Coldrif और 1 बच्चे की nextro सिरप लेने की हिस्ट्री मिली है. अभी हमने सभी प्राइवेट डॉक्टर्स को एहतियात बरतने को कह दिया है कि वायरल वाला पेशेंट आता है तो उसको आप अटेंड नहीं करें. उसे सीधे सिविल अस्पताल भेजें. उसको सिस्टम को हैंडल करने दें.

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क्या है पूरा मामला?

छिंदवाड़ा में पिछले कुछ दिनों में अचानक से कई बच्चों की मौत के मामले सामने आए हैं. 4 सितंबर से 26 सितंबर के बीच यहां 6 बच्चों की मौत हुई थी. सभी मामलों में बच्चों की किडनी फेल होने की बात सामने आई है. मामले की समीक्षा के लिए बुलाई गई कलेक्टर की मीटिंग में डॉक्टरों ने जानकारी दी थी कि कुछ परिजन बच्चों का इलाज झोला छाप डॉक्टरों से करा रहे हैं, जहां गलत दवाओं के उपयोग से स्थिति बिगड़ रही है. इस पर कलेक्टर ने ऐसे झोला छाप डॉक्टरों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए थे. साथ ही उन्होंने Coldrif एवं Nextro-DS सिरप का उपयोग पूरी तरह से बंद करने का भी आदेश दिया था. कलेक्टर ने मेडिकल संचालकों को निर्देश दिया कि बच्चों को कॉम्बिनेशन वाले सिरप न दें, केवल साधारण प्लेन सिरप ही उपलब्ध कराएं.

कफ सिरप पीने से मौत?

दैनिक भास्कर ने रिपोर्ट में बताया कि शुरुआती जांच में इन बच्चों के किडनी सैंपल में दूषित डायएथिलीन ग्लायकॉल पाया गया. आमतैर पर यह कफ सिरप बनाने में इस्तेमाल होता है. रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल शंका जताई जा रही है कि इसी वजह से मासूमों की किडनी फेल हुई है. इधर, हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन भी एक्टिव हो गया है. स्वास्थ्य विभाग ने अब तक 500 से ज्यादा लोगों की जांच करवाई है. इनमें ब्लड टेस्ट, लिवर और किडनी फंक्शन टेस्ट शामिल हैं, लेकिन अब तक किसी एक खास बीमारी की पुष्टि नहीं हो पाई है. राज्य और केंद्र सरकार की एक्सपर्ट्स टीमों ने भी प्रभावित गांवों का दौरा कर सैंपल लिए हैं.

इधर, सोमवार, 29 सितंबर को छिंदवाड़ा के कलेक्टर ने हालात की समीक्षा के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों और डॉक्टर्स की बैठक भी बुलाई थी. बैठक में मामलों की लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए गए. साथ ही कहा गया कि जरूरत पड़ने पर मरीजों को नागपुर स्थित एम्स अस्पताल रेफर करें. यदि मरीज को तत्काल रेफर करने की आवश्यकता हो तो शासन की पीएम श्री एयर एंबुलेंस सेवा के तहत एयर एंबुलेंस की भी व्यवस्था करें, ताकि मरीज को समय पर इलाज मिल सके.

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बच्चों के बीमार होने पर क्या करें?

छिंदवाड़ा कलेक्टर ने मीटिंग में सभी पैरेंट्स से विशेष अपील करते हुए कुछ सुझाव दिए हैं कि बच्चे की तबीयत खराब होने पर क्या करें.

  • बिना प्रिस्क्रिप्शन के बच्चों को दवा न दें.
  • सर्दी-खांसी होने पर बच्चों को तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल लेकर जाएं.
  • झोला छाप डॉक्टरों से इलाज बिल्कुल न कराएं.
  • हर 6 घंटे में ध्यान रखें कि बच्चा यूरिन कर रहा है या नहीं, यदि नहीं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं.
  • उल्टी या सुस्ती की स्थिति में विलंब न करें और तत्काल चिकित्सक के पास जाएं.
  • बच्चों को अधिक से अधिक पानी पिलाएं.
  • यदि बुखार दो दिन से अधिक बना रहता है तो तुरंत इलाज कराएं.

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