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सलवान मोमिका ने मस्जिद के सामने जलाई थी कुरान, कल रात किसी ने गोली मारकर हत्या कर दी

Sweden में मस्जिद के सामने कुरान जलाने वाले Salwan Momika की 29 जनवरी की रात गोली मारकर हत्या कर दी गई. 38 साल के सलवान मोमिका की हत्या को लेकर अब तक क्या-क्या पता लगा है? और उन्होंने कुरान क्यों जलाई थी?

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सलवान मोमिका | फाइल फोटो: इंडिया टुडे

सलवान मोमिका की गोली मारकर हत्या कर दी गई है (Salwan Momika Murder in Sweden). सलवान ने साल 2023 में स्वीडन में एक मस्जिद के सामने कुरान की प्रतियां जलाई थीं. जिसके बाद उनकी काफी आलोचना हुई थी. बुधवार, 29 जनवरी की रात को सलवान मोमिका को स्टॉकहोम के एक अपार्टमेंट में गोली मार दी गई. बताया जाता है कि हत्या के समय वो टिकटॉक पर लाइव थे.

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BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक सलवान मोमिका की हत्या किसने की, इसके बारे में अभी कुछ भी पता नहीं चला है. पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है और हत्यारों को पकड़ने के लिए जांच शुरू कर दी है.

38 साल के सलवान मोमिका और उनके दोस्त सलवान नजीम पर इस मामले को लेकर केस भी किया गया था. उन पर इस्लाम के खिलाफ नफरत फैलाने का आरोप लगा था. 16 जनवरी, 2025 को स्वीडन के स्टॉकहोम कोर्ट में इस मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई थी. 30 जनवरी को भी दोनों आरोपियों को कोर्ट में पेश होना था. लेकिन सलवान मोमिका की मौत की पुष्टि होने के बाद स्टॉकहोम कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी. इस मामले पर फैसला 31 जनवरी को सुनाया जाना था.

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Salwan Momika ने क्यों जलाई थी Quran?

साल 2023 में सलवान मोमिका ने इस्लाम के खिलाफ प्रदर्शन करने की इजाजत मांगी थी. स्वीडन पुलिस से अनुमति मिलने के बाद उन्होंने प्रदर्शन किया था.

कुरान जलाने से पहले उनका कहना था,

हम कुरान की प्रति जलाने जा रहे हैं. हम कहना चाहते हैं कि अब भी समय है, जाग जाओ. यहां (स्वीडन में) लोकतंत्र है. हम मुस्लिमों के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम उनके विचारों और मान्यताओं के खिलाफ हैं. मुस्लिम धर्म का बहुत नकारात्मक असर पड़ा है और इसे दुनियाभर में बैन किया जाना चाहिए.’

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इस दौरान सलवान का ये भी कहना था कि वो स्वीडन की जनता को कुरान के संदेशों से बचाना चाहते हैं और इसलिए ये प्रदर्शन कर रहे हैं.

सलवान के कुरान जलाने और पैगंबर की आलोचना करने के बाद, दुनियाभर में स्वीडन और सलवान मोमिका के खिलाफ प्रदर्शन हुए थे.

Salwan Momika कौन थे?

सलवान मोमिका को इराक में असीरियन-अरामी (ईसाई) समुदाय से जुड़ा बताया जाता है. ये इराक का एक अल्पसंख्यक समुदाय है. साल 2010-12 के आसपास इराक में जब आतंकी समूह आईएसआईएस ने ईसाइयों का उत्पीड़न करना शुरू किया, तो मोमिका असीरियन पैट्रियटिक पार्टी में शामिल हो गए और इसके मोसुल मुख्यालय में एक सिक्योरिटी गार्ड के रूप में काम करने लगे.

जून 2014 में आईएसआईएस द्वारा मोसुल पर कब्जा करने के बाद, सलवान मोमिका आतंकी समूह से लड़ने के लिए पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज (पीएमएफ) में शामिल हो गए. पॉपुलर मोबिलाइजेशन फोर्सेज के तहत कई संगठनों को इस्लामिक स्टेट से लड़ने के लिए इराकी सेना में भी एकीकृत किया गया था.

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ये भी बताया जाता है कि सलवान मोमिका ने 2017 में इराकी शहर मोसुल के बाहरी इलाके में अपना एक सशस्त्र समूह भी बनाया था. लेकिन, यहां एक अन्य ईसाई मिलिशिया संगठन - बेबीलोन - के प्रमुख रेयान अल-कलदानी के साथ सत्ता संघर्ष के बाद उन्हें 2018 में इराक छोड़ना पड़ा था.

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