शिवसेना (उद्धव बालासाहब ठाकरे) के मुखपत्र ‘सामना’ ने भारत में रह रहे अवैध पाकिस्तानियों के मुद्दे पर सरकार को घेरा है. सामना ने आरोप लगाया कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र सरकार का दिमाग चल नहीं रहा है.
शिवसेना के मुखपत्र सामना का मोदी सरकार से सवाल, पूछा- 'पहले क्यों नहीं लिया घुसपैठियों पर एक्शन'
Saamna on Pakistani Citizen Issue: सामना ने आरोप लगाया कि BJP के कार्यकाल में देश में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या बढ़ी है. लिखा- 'ये सही है कि पाकिस्तानी नागरिकों को देश से बाहर निकाल दिया गया. लेकिन इसके लिए पहलगाम जैसे हमले के इंतजार करने की क्या ज़रूरत थी.'
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सामना ने लिखा कि सरकार की आदत अपना सारा समय राजनीति, षड्यंत्रों में बिताना और इस तरह के हमला होने के बाद नींद से जाग जाना है. अब भी ऐसा ही हुआ है. शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत सामना के कार्यकारी संपादक हैं. अख़बार ने 27 अप्रैल को अपने लेख में लिखा,
केंद्र सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को पाकिस्तान भगाने का अभियान शुरू कर दिया है. लेकिन जहां BJP सालों से सत्ता में है, वहां सबसे ज्यादा पाकिस्तानी पाए जा रहे हैं. ये तो तय है कि ये लोग इतने सालों से सोते रहे हैं. फिर जब कुछ होता है, तो वहां मुस्लिम छात्रों, फल वालों, सब्जी वालों, कपड़ा व्यवसायियों, छोटे-बड़े व्यापारियों को पाकिस्तानी नागरिक कहकर परेशान करने का अभियान शुरू कर दिया जाता है. इसके चलते मूल पाकिस्तानी नागरिक, घुसपैठिए अलग रह गए.
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सामना ने ये भी आरोप लगाया कि BJP के कार्यकाल में देश में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी नागरिकों की संख्या बढ़ी है. लिखा,
ये सही है कि पाकिस्तानी नागरिकों को देश से बाहर निकाल दिया गया. लेकिन इसके लिए पहलगाम जैसे हमले के इंतजार करने की क्या ज़रूरत थी. ये एक ऐसा सवाल है, जो आम लोग पूछते हैं और ये ग़लत नहीं है. हज़ारों पाकिस्तानियों को हिंदुस्तान में आकर क्यों रहना चाहिए और हमारे देश को उन्हें आने की अनुमति क्यों देनी चाहिए?
सामना के लेख के मुताबिक़, अगर पाकिस्तान को दुश्मन राष्ट्र मानते हैं. फिर इतनी बड़ी संख्या में पाकिस्तानी नागरिकों को क्यों वैध-अवैध तरीक़े से देश के हर राज्य में आने दिया गया? सामना के लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी कई गंभीर आरोप लगाए हैं.
घुसपैठिए कैसे आ गए? देश के प्रधानमंत्री स्वयं को जनता का चौकीदार कहते हैं. लेकिन सीमा में सुराख कर पाकिस्तानी नागरिक, घुसपैठिए, उग्रवादी सीमा पार कर भारत में आ सकते हैं. देश के किसी भी राज्य में जा सकते हैं और अगर वो पहलगाम जैसे हमले और नरसंहार के बाद गायब हो रहे हैं, तो देश की सरकार, गृह मंत्रालय और खुफिया एजेंसियां क्या कर रही हैं?
सामना का ये भी कहना है कि कितने पाकिस्तानी महाराष्ट्र में लापता हैं, इसके बारे में भी स्पष्टता नहीं है. राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बयान अलग-अलग हैं. ऐसे संवेदनशील मामले में भी सरकार में एक राय नहीं होगी, तो बात कैसे बनेगी?
बता दें, मराठी अखबार सामना का प्रकाशन 23 जनवरी 1988 को शिव सेना के संस्थापक बाल ठाकरे ने शुरू किया था.
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