सोशल मीडिया नागरिक पत्रकारिता का बड़ा टूल है और यह सूचना प्रसारण और अभिव्यक्ति का ऐसा जरिया है, जो किसी भी लोकतांत्रिक देश में आम जनता की ताकत बनकर सामने आती है. सरकारों के लिए कई बार ये परेशानी का सबब भी बनती है. क्योंकि, इस पर बिना रोकटोक के सरकार की आलोचना की जा सकती है. उसकी नीतियों पर सवाल उठाए जा सकते हैं. सरकार के खिलाफ लोगों को लामबंद किया जा सकता है. जैसा नेपाल में हुआ भी. सोशल मीडिया पर नेपोकिड्स और राजनेताओं के बेटों को लेकर चलाए जा रहे अभियान के बीच सरकार ने इसे कंट्रोल करने की कोशिश की तो लोग सड़कों पर उतर आए.
ताकत का ढिंढोरा पीटते, लेकिन सोशल मीडिया से थरथर कांपते, ये 5 देश इतना डरते क्यों हैं?
Social Media Fear in Governments: सोशल मीडिया को लेकर नेपाल में बवाल जारी है. लेकिन नेपाल के अलावा दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जिन्होंने फेसबुक, एक्स और यूट्यूब जैसे पश्चिमी सोशल मीडिया एप पर बैन लगा रखा है. दुनिया के पांच ऐसे देश इस मामले में सबसे आगे हैं, जो खुद को बहुत ताकतवर बताते हैं.
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नतीजा ये हुआ कि दो दिन के अंदर नेपाल की सरकार भी ‘निपट’ गई. नेपाल के लोगों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध नई बात थी, जिसे वह पचा नहीं सके और फट पड़े. लेकिन, कई ऐसे देश हैं, जहां पर सरकारों ने बिना किसी विरोध प्रदर्शन का सामना किये लंबे समय से सोशल मीडिया बैन कर रखा है.
कई देश ऐसे भी हैं, जहां इसके पर कुतरे गए. सरकारों की निगरानी में ये जैसे-तैसे चल रहे हैं. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल गैर-लाभकारी संस्था फ्रीडम हाउस की एक रिपोर्ट ने बताया कि दुनिया भर में लगातार 14वें साल इंटरनेट की आजादी घटी है. कम से कम 25 देशों में सरकारों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाए हैं.
इस रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में भी सरकार ऑनलाइन कंटेंट पर सेंसरशिप करती है. कई बार सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स की रीच को सीमित कर दिया जाता है या फिर टेक कंपनियों को कुछ पोस्ट हटाने का आदेश दे दिया जाता है.
कई देश तो ऐसे भी हैं, जिन्होंने पूरी तरह से फेसबुक, एक्स और यूट्यूब जैसे पश्चिमी सोशल मीडिया एप्स पर कंप्लीट बैन लगा रखा है. आज हम कुछ ऐसे ही देशों की चर्चा करेंगे, जहां सोशल मीडिया आजाद नहीं है. प्रतिबंधों के साये में है या फिर प्रतिबंधित ही है.

इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में सोशल मीडिया पर दुनिया की सबसे कड़ी पाबंदियां हैं. यहां फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पूरी तरह से ब्लॉक हैं. सरकार घरेलू सोशल मीडिया जैसे वीचैट और वीबो पर भी नजर रखती है और कंटेंट सेंसर करती है. ‘ग्रेट फायरवॉल’ नाम की व्यवस्था इंटरनेट कंटेंट को फिल्टर करती है. अगर कोई ऐसी जानकारी फैलाए, जिसे सरकार झूठा या राष्ट्रविरोधी मानती है तो उसे सजा भी मिल सकती है.
किम जोंग उन के शासन वाले उत्तर कोरिया की चर्चा वहां के प्रतिबंधों के लिए तो खूब होती ही है और किसी को हैरत भी नहीं होगी, अगर वहां सोशल मीडिया पर भी बैन लगा हो. सच बात भी तो यही है. यहां सोशल मीडिया और इंटरनेट दोनों पर लगभग पूरी तरह पाबंदी है. सिर्फ एक छोटा-सा स्पेशल एलीट सेक्शन ही है, जो इंटरनेट इस्तेमाल कर सकता है. बाकी लोगों को इसकी इजाजत नहीं है. सभी तरह के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म वहां बैन हैं.
यूके की एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक, उत्तर कोरिया में सरकार के पास हर तरह के टेली कम्युनिकेशन पर पूरा और व्यवस्थित नियंत्रण है. वहां के लोगों को अपने देश और बाहरी दुनिया के बारे में बहुत सीमित जानकारी मिलती है, क्योंकि सरकार ऑनलाइन मीडिया को सेंसर करती है और उन वेबसाइट्स को फिल्टर कर देती है जो उसकी प्रोपेगैंडा लाइन से मेल नहीं खातीं. ज्यादातर उत्तर कोरियाई लोगों को इंटरनेट का एक्सेस नहीं है. वहां सिर्फ क्वांगम्योंग नाम का घरेलू इंट्रानेट है, जिसमें केवल सरकार की मंजूरी वाली वेबसाइट्स और ईमेल सिस्टम की ही इजाजत होती है.

ईरान में फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब जैसे कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रोक है. सरकार का कहना है कि ये पाबंदियां ‘नैतिकता और राष्ट्रीय सुरक्षा’ के लिए जरूरी हैं. सरकार सोशल मीडिया पर नजर रखती है और अक्सर उन लोगों को गिरफ्तार कर लेती है जिनका कंटेंट उसे सरकार-विरोधी या अनैतिक लगता है. अलजजीरा की एक रिपोर्ट के अनुसार, बहुत से ईरानी लोग वीपीएन का इस्तेमाल करके इन ब्लॉक प्लेटफॉर्म्स तक पहुंचते हैं लेकिन साल 2022 में ही ईरान ने वीपीएन की खरीद-बिक्री को इल्लीगल घोषित कर दिया. उसे Refinement-breaking tools का नया नाम देते हुए ईरान की सुप्रीम काउंसिल ऑफ साइबरस्पेस (SCC) ने कहा कि बिना कानूनी इजाजत के इसका इस्तेमाल करना अपराध होगा.
सऊदी में है सख्त सेंसरशिपसऊदी अरब में सोशल मीडिया बैन नहीं है लेकिन उस पर निगरानी बहुत कड़ी होती है. ET के मुताबिक, सऊदी अरब में कई ऐसे लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने शाही परिवार की आलोचना की. सरकारी नीतियों पर सवाल उठाए या फिर ऐसा कंटेंट साझा किया जिसे इस्लामी मूल्यों के खिलाफ माना गया. हालांकि, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स आम लोगों के लिए उपलब्ध हैं, निगरानी सख्त है. यहां साइबरक्राइम कानून बहुत कठोर है. इसके तहत अगर कोई ऐसा कंटेंट शेयर करता है जिसे सरकार सार्वजनिक व्यवस्था या धार्मिक मूल्यों के खिलाफ समझे, तो उसे भारी जुर्माना या जेल तक की सजा मिल सकती है.

रूस में सोशल मीडिया इस्तेमाल करने के लिए बहुत सख्त कानून बनाए गए हैं. ईटी के मुताबिक, यहां सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यूजर्स का डेटा देश के अंदर ही रखना पड़ता है और ऐसा कंटेंट हटाना पड़ता है जिसे सरकार गैरकानूनी मानती है. अगर कोई प्लेटफॉर्म इन नियमों का पालन नहीं करता तो सरकार उसे ब्लॉक कर सकती है. रूस का सॉवरेन इंटरनेट कानून सरकार को इंटरनेट ट्रैफिक पर और ज्यादा नियंत्रण देता है. साल 2022 में यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद टेलीग्राम और वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया एप पर सरकार ने कंट्रोल बढ़ा दिया था और इस एप के जरिए वॉयस कॉल पर रोक लगा दी थी. खबर ये भी है कि रूस की सरकार लोकप्रिय मैसेजिंग सेवाओं की जगह मैक्स नाम का एक घरेलू रूसी एप लाने की योजना बना रही है. इसे लेकर भी लोगों में डर है कि इससे उनके डेटा तक अधिकारियों को पहुंच मिल जाएगी.
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