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एक करोड़ का इंश्योरेंस, तब भी अस्पताल ने नहीं दिया प्राइवेट रूम, अब कंपनी की सफाई आई है

प्रेम सोनी ने एक पोस्ट में बताया कि उन्होंने 1 करोड़ 20 लाख रुपये का Acko Platinum Health Plan लिया था. लेकिन जब वक्त आया, तो उन्हें एहसास हुआ कि इंश्योरेंस कंपनियों के बड़े-बड़े वादे सिर्फ कागजों तक सीमित हैं.

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ACKO प्लैटिनम हेल्थ प्लान में नो रूम रेंट लिमिट का दावा था. (फोटो- AI)

इंश्योरेंस. एक ऐसी व्यवस्था जिसमें बीमाधारक व्यक्ति इंश्योरेंस कंपनी को नियमित रूप से प्रीमियम राशि देता है. बदले में कंपनी इमरजेंसी उसे इमरजेंसी में आर्थिक मदद देने की गारंटी देती है. हाल में GST काउंसिल ने पर्सनल इंश्योरेंस को टैक्स फ्री किया, तो देश के लोग खुश थे. लेकिन अब एक मामला सामने आया है जो इंश्योरेंस कराने वालों के कान खड़े कर देगा. 1 करोड़ 20 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस लेने वाला एक शख्स जब अपने बच्चे को लेकर हॉस्पिटल पहुंचा, तो वहां उसे प्राइवेट रूम नहीं दिया गया. इस शख्स ने अस्पताल के साथ कंपनी पर भी आरोप लगाए हैं.

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प्रेम सोनी पेशे से फाइनेंस एक्सपर्ट हैं. उन्होंने एक X पोस्ट में अपने साथ हुई घटना को शेयर किया है. 9 सितंबर को किए पोस्ट में प्रेम सोनी ने बताया कि उन्होंने 1 करोड़ 20 लाख रुपये का Acko Platinum Health Plan लिया था. लेकिन जब वक्त आया, तो उन्हें एहसास हुआ कि इंश्योरेंस कंपनियों के बड़े-बड़े वादे सिर्फ कागजों तक सीमित हैं.

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बेटे की तबीयत बिगड़ी, तो असलियत पता चली

प्रेम ने बताया कि वो अपने बेटे को हॉस्पिटल लेकर पहुंचे थे. ACKO प्लैटिनम हेल्थ प्लान में ‘नो रूम रेंट लिमिट’ का दावा था. मतलब, चाहे सूट रूम हो या VIP वार्ड, सबकुछ कवर! प्रेम ने सोचा अब तो बेटे की देखभाल बिना टेंशन के हो जाएगी. लेकिन यहीं से शुरू हुआ तमाशा.

हॉस्पिटल पहुंचे प्रेम ने सूट रूम मांगा. उनके मुताबिक पहले तो स्टाफ ने हामी भरी, "जी सर, उपलब्ध है, शिफ्ट कर दें." लेकिन जैसे ही प्रेम ने कैशलेस क्लेम की बात कही, हॉस्पिटल का रवैया 360 डिग्री घूम गया. हॉस्पिटल ने कहा,

"सर, सूट रूम नहीं मिलेगा, ACKO के साथ हमारा MOU नहीं है!"

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ये सुन प्रेम दंग रह गए. नो रूम रेंट लिमिट का मतलब क्या था? सिर्फ विज्ञापन का जुमला? प्रेम का गुस्सा सातवें आसमान पर था. और तो और, हॉस्पिटल वालों ने साफ कहा कि अगर प्रेम पॉकेट से पैसे दें, तो सूट रूम तुरंत मिल जाएगा. लेकिन कैशलेस क्लेम की बात आते ही मना! यानी इंश्योरेंस की कवरेज सिर्फ दिखावा थी. उनका भरोसा चकनाचूर हो गया.

ACKO का सपोर्ट: 30 मिनट का इंतजार!

प्रेम ने ACKO की कस्टमर केयर को कॉल किया. लेकिन वहां का हाल और भी खराब! सपोर्ट टीम ने उन्हें क्लेम टीम से बात करने को कहा, और फिर शुरू हुआ 30 मिनट का होल्ड. हॉस्पिटल में एक तरफ बेटा एडमिट था, और प्रेम कंपनी के साथ कॉल होल्ड पर थे. प्रेम ने पोस्ट किया,

"क्या यही है आपका प्लैटिनम कवर @ACKOIndia?"

प्रेम की ये पोस्ट वायरल हो गई. लोगों ने अपने-अपने किस्से शेयर किए. मधुसूदन नाम के एक यूजर ने लिखा,

"मेरे साथ भी ऐसा हुआ है, इंश्योरेंस बड़ा स्कैम है!"

एडवोकेट प्रतीक ने कहा,

“अब समय आ गया है कि भारत सरकार कुछ नियम बनाए क्योंकि कैशलेस दावों को लेकर लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हर किसी के लिए मुकदमा करना संभव नहीं है.”

वहीं जयश्री ने लिखा,

“सबसे बड़े घोटालेबाज तो बीमा कंपनियां हैं! उम्मीद है आपका बेटा जल्द ठीक हो जाएगा.”

कंपनी ने क्या कहा?

इस मामले को लेकर कंपनी की तरफ से हमें जवाब आया. Acko ने प्रेम सोनी के पोस्ट पर भी अपनी सफाई दी. कंपनी के प्रतिनिधि कृष्णप्रसाद ने हमें मेल कर बताया कि प्रेम के मामले को सुलझा दिया गया है. अस्पताल ने माना कि ये समस्या उनकी ओर से हुई गलतफहमी के कारण उत्पन्न हुई थी. 

वहीं सोनी के पोस्ट पर कंपनी की तरफ से रीना इवान्स ने लिखा,

“हमने इस मुद्दे पर अस्पताल से भी बात की, उन्होंने अपनी ओर से हुई गलतफहमी को स्वीकार किया. आज सुबह अस्पताल द्वारा जमा किया गया कैशलेस हमारी ओर से पहले ही स्वीकृत हो चुका था. पॉलिसी कवरेज के अनुसार प्राइवेट रूम भी अलॉट किया गया है.”

ोमकद
कंपनी की सफाई.

इस सब के बावजूद प्रेम की ये कहानी इंश्योरेंस के भरोसे को हिला रही है. लोग अब सोच रहे हैं कि क्या सच में ये प्लान्स शांति देते हैं, या सिर्फ सिरदर्द? क्या आपके साथ भी ऐसा हुआ? कॉमेंट करके बताएं.

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