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सुशीला कार्की हो सकती हैं नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री, Gen Z ने लगाई मुहर, BHU से पढ़ी हैं

बीती 8 और 9 सितंबर को नेपाल में 'जेन-जी' यानी युवाओं के देशव्यापी उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद केपी शर्मा ओली की सरकार गिर गई थी. कई मंत्रियों के साथ खुद प्रधानमंत्री ओली को भी इस्तीफा देना पड़ा था.

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सुशीला कार्की को पीएम पद के लिए सबसे ज्यादा समर्थन (India Today)

नेपाल में Gen-Z आंदोलनकारियों ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में चुन लिया है. अगर इस पर अंतिम मुहर लगती है तो कार्की देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनेंगी. इससे पहले साल 2016 में नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश बनकर वह इतिहास रच चुकी हैं. 

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बुधवार, 10 सितंबर को जेन जी आंदोलन से जुड़े लोगों ने वर्चुअल मीटिंग बुलाई थी, जिसमें अंतरिम प्रधानमंत्री के नामों पर चर्चा हुई. आंदोलन का सबसे लोकप्रिय चेहरा और प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार रहे बालेन शाह ने कई बार संपर्क करने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया. जिसके बाद कई अन्य नामों पर चर्चा हुई, जिनमें सुशीला कार्की को सबसे ज्यादा लोगों ने समर्थन दिया है.

बीती 8 और 9 सितंबर को नेपाल में 'जेन-जी' यानी युवाओं के देशव्यापी उग्र विरोध प्रदर्शन के बाद केपी शर्मा ओली की सरकार गिर गई थी. कई मंत्रियों के साथ खुद प्रधानमंत्री ओली को भी इस्तीफा देना पड़ा था. राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के भी इस्तीफे की खबर आई लेकिन बाद में नेपाल की सेना ने इसका खंडन कर दिया. इसके बाद 10 सितंबर को जेन Z आंदोलनकारियों ने एक वर्चुअल मीटिंग बुलाई. इस ऑनलाइन मीटिंग में 5 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए थे, जिसमें प्रधानमंत्री के लिए उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा हुई.

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इंडिया टुडे के रिपोर्टर सुबोध कुमार को आंदोलन के एक प्रतिनिधि ने बताया कि मीटिंग में सबसे ज्यादा समर्थन पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की को मिला. काठमांडू के मेयर बालेन शाह ने कई बार संपर्क करने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया. प्रतिनिधि ने बताया कि जब उन्होंने कॉल नहीं उठाई तो चर्चा दूसरे नामों पर चली गई. इस दौरान कुलमान घिसिंग, सागर ढकाल और हरका सम्पांग के अलावा एक यूट्यूबर रैंडम नेपाली के नाम पर भी चर्चा चली. उन्हें काफी वोट मिले, लेकिन अब तक सबसे ज्यादा समर्थन सुशीला कार्की को मिला है.

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सुशीला कार्की को सबसे ज्यादा वोट मिले (India Today)

रिपोर्ट के मुताबिक, कार्की ने पहले कहा था कि वह प्रधानमंत्री का पद तभी स्वीकार करेंगी, जह उन्हें एक हजार हस्ताक्षर के साथ लिखित समर्थन मिलेगा. खबर है कि उन्हें कुल 2500 से ज्यादा हस्ताक्षर मिले हैं.

लेकिन, सुशीला कार्की का प्रधानमंत्री बनना अभी एकदम तय नहीं है. रास्ता अभी लंबा है. उन्होंने पीएम बनने का प्रस्ताव तो स्वीकार कर लिया है, लेकिन अब उन्हें सबसे पहले सेना प्रमुख जनरल अशोक राज सिग्देल से मिलना होगा और फिर राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल की मंजूरी भी लेनी होगी. इसके बाद वह प्रधानमंत्री पद की शपथ ले पाएंगी.

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सुशीला कार्की कौन हैं? 

72 साल की सुशीला कार्की नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश हैं. जिस समय उन्होंने यह पद ग्रहण किया था, तब संयोग से देश की राष्ट्रपति भी एक महिला विद्यादेवी भंडारी थीं. भंडारी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सिफारिश पर उनकी नियुक्ति की थी. अपनी ईमानदार और निडर छवि के लिए जानी जाने वाली सुशीला ने भारत में वाराणसी के बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है. यहां उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है.

अपने करियर की शुरुआत उन्होंने टीचर की नौकरी से की थी. उनके मुख्य न्यायाधीश बनने की कहानी नेपाल के बदलते सामाजिक परिवेश का प्रतीक भी है. ‘हिंदू राष्ट्र’ नेपाल के गणतंत्र बनने के बाद ही महिलाओं को बराबरी के अधिकार मिलने शुरू हुए थे.

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