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कैंसर का अंत? जंग के बीच रूस ने बनाई नई mRNA वैक्सीन, टेस्ट में 80% तक सिकुड़े ट्यूमर

Russia Cancer Vaccine: रूस से आई कैंसर वैक्सीन ने प्री-क्लिनिकल टेस्ट की हर बाधा पार कर ली है. वैज्ञानिकों का कहना है कि इसकी सुरक्षा और असर दोनों साबित हो चुके हैं. अब यह वैक्सीन लोगों तक पहुँचने के लिए तैयार खड़ी है.

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एंटरोमिक्स नाम की यह वैक्सीन mRNA टेक्निक पर आधारित है. (सांकेतिक फोटो: आजतक)

रूस के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने कैंसर को खत्म करने वाली वैक्सीन (Russia Cancer Vaccine) विकसित कर ली है और अब यह इस्तेमाल के लिए तैयार है. एंटरोमिक्स (Enteromix) नाम की यह वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित है. यही तकनीक रूस ने कोविड-19 वैक्सीन तैयार करने में भी इस्तेमाल की थी.

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कैसे काम करेगी यह वैक्सीन?

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, रूस की फेडरल मेडिकल एंड बायोलॉजिकल एजेंसी (FMBA) की प्रमुख वेरोनिका स्क्वोर्त्सोवा ने जानकारी दी कि इस वैक्सीन ने सभी प्री-क्लिनिकल टेस्ट सफलतापूर्वक पूरे कर लिए हैं. इससे इसकी सुरक्षा और प्रभावशीलता साबित हो गई है. इस टीके का पहला लक्ष्य कोलोरेक्टल कैंसर (बड़ी आंत का कैंसर) होगा.

mRNA टीके शरीर की कोशिकाओं को ऐसे प्रोटीन बनाने का निर्देश देते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (Immune response) को सक्रिय करते हैं. प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया वह प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से शरीर बैक्टीरिया, वायरस और अन्य हानिकारक रोगजनकों से खुद को सुरक्षित करता है.

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रिसर्च और नतीजे

FMBA प्रमुख स्क्वोर्त्सोवा ने बताया कि इस वैक्सीन को विकसित करने में कई वर्षों की रिसर्च शामिल है, जिनमें तीन साल तक चले जरूरी प्री-क्लिनिकल टेस्ट भी शामिल हैं. इन परीक्षणों में पाया गया कि बार-बार खुराक देने पर भी यह वैक्सीन सुरक्षित और प्रभावी बनी रही. कुछ मामलों में कैंसर के ट्यूमर 60% से 80% तक सिकुड़ गए या बढ़ने से रुक गए.

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कई तरह के कैंसर पर काम

इस वैक्सीन का पहला फोकस कोलोरेक्टल कैंसर है, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि आगे चलकर यह वैक्सीन कई गंभीर कैंसरों के खिलाफ भी कारगर हो सकती है. इनमें ग्लियोब्लास्टोमा (तेज़ी से बढ़ने वाला ब्रेन कैंसर), मेलेनोमा (त्वचा का कैंसर) और ऑक्यूलर मेलेनोमा (आंखों को प्रभावित करने वाला कैंसर) शामिल हैं.

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वैश्विक मंच पर एलान

इस वैक्सीन का एलान रूस के व्लादिवोस्तोक में आयोजित 10वें पूर्वी आर्थिक मंच के दौरान किया गया, जिसमें 75 से अधिक देशों के 8,400 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया. रूस की यह खोज लाखों कैंसर रोगियों के लिए आशा की नई किरण मानी जा रही है.

कैंसर वैक्सीन अलग है

कैंसर वैक्सीन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (Immune System) को कैंसर कोशिकाओं की पहचान करके उन्हें नष्ट करने के लिए प्रशिक्षित करती है. यह सामान्य वैक्सीन से थोड़ी अलग तरह से काम करती है, क्योंकि यहां लक्ष्य वायरस या बैक्टीरिया नहीं, बल्कि शरीर के अंदर पनपी हुई असामान्य कोशिकाएं (कैंसर कोशिकाएं) होती हैं.

कैसे काम करती है वैक्सीन

कैंसर वैक्सीन की तीन अहम भूमिका होगी.

1- कैंसर कोशिकाओं की पहचान: कैंसर कोशिकाओं की सतह पर कुछ खास प्रोटीन/एंटीजन होते हैं, जो सामान्य कोशिकाओं से अलग होते हैं. वैक्सीन इन्हीं प्रोटीन के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली को सतर्क करती है.

2- mRNA तकनीक की भूमिका: नई कैंसर वैक्सीन (जैसे रूस की एंटरोमिक्स) mRNA तकनीक पर आधारित है. इसमें कृत्रिम mRNA शरीर में डालकर कोशिकाओं को ऐसा प्रोटीन बनाने का आदेश दिया जाता है, जो कैंसर कोशिकाओं जैसा दिखता है. जब यह प्रोटीन बनता है, तो प्रतिरक्षा प्रणाली इसे “खतरे का संकेत” मानकर सक्रिय हो जाती है.

3- प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया (Immune Response): शरीर टी-सेल्स और एंटीबॉडीज़ तैयार करता हैे. ये सक्रिय प्रतिरक्षा कोशिकाएं कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर उन पर हमला करती हैं.

कैंसर पर असर

लगातार खुराक मिलने पर शरीर कैंसर कोशिकाओं को मारने और नए ट्यूमर बनने से रोकने की क्षमता हासिल कर लेता है. रिसर्च में पाया गया है कि ट्यूमर का आकार 60% से 80% तक घट सकता है.

आसान भाषा में कहें तो, कैंसर वैक्सीन शरीर की ‘सुरक्षा सेना’ को खास ट्रेनिंग देती है ताकि वह कैंसर कोशिकाओं को दुश्मन मानकर खत्म कर सके.

वीडियो: सेहत: कैंसर दोबारा क्यों हो जाता है?

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