बर्खास्त आरपीएफ कॉन्स्टेबल चेतन सिंह चौधरी के खिलाफ मुकदमे में एक चश्मदीद गवाह ने अदालत में चौंकाने वाली बात बताई है. उसने कहा कि उसने आरपीएफ जवान को राइफल लिये हुए, खून से लथपथ एक दाढ़ी वाले व्यक्ति के पास खड़ा देखा था. गवाह ने बताया कि उसने आरपीएफ जवान को ये कहते सुना था कि ‘ये 2008 का बदला है.’
'ये 2008 का बदला है...', बर्खास्त RPF कॉन्स्टेबल चेतन सिंह को गवाह ने क्या कहते सुना था?
चेतन सिंह चौधरी पर धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने समेत कई आरोपों के तहत केस चल रहा है. उस पर धर्म देखकर पीड़ितों को निशाना बनाने का आरोप भी लगा है.


चेतन सिंह पर 31 जुलाई, 2023 को चार लोगों की गोली मारकर हत्या करने का आरोप है. मृतकों में चेतन के सीनियर असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर (ASI) टीकाराम मीणा और तीन मुसलमान यात्री- असगर अली अब्बास, अब्दुल कादिर भानपुरवाला और सैयद सैफुद्दीन शामिल थे. जयपुर से मुंबई जा रही ट्रेन में उसने घटना को अंजाम दिया था. चेतन सिंह पर धार्मिक आधार पर दुश्मनी को बढ़ावा देने समेत कई आरोपों के तहत केस चल रहा है. क्योंकि उस पर धर्म देखकर पीड़ितों को निशाना बनाने का आरोप लगा है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, हालिया सुनवाई में एक 32 व्यक्ति के व्यक्ति ने गवाही दी. इस दौरान उसने अदालत को बताया कि वो जुलाई, 2023 में अपने मूल स्थान से मुंबई लौट रहा था. और जयपुर-मुंबई ट्रेन के एस 6 कोच में सवार हुआ था. फिर उसने रात का खाना खाया और लगभग 12.30 बजे सो गया. सुबह लगभग 5.30 बजे उसने एक तेज आवाज सुनी, जिससे वो जाग गया. उसने अदालत को बताया,
मैंने एक दाढ़ी वाले व्यक्ति को खून से लथपथ देखा और एक आरपीएफ जवान राइफल के साथ खड़ा था. मैं डर गया, अपना सामान उठाया और कोच के दूसरी तरफ भाग गया… मैंने आरपीएफ पुलिसकर्मी को ये कहते हुए सुना- 'ये 2008 का बदला है. बाद में सभी यात्री कोच से बाहर निकल गए थे.
बताया गया कि साल, 2008 का संदर्भ 26 नवम्बर, 2008 को मुंबई में दस पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किये गये आतंकवादी हमलों के बारे में था.
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पुलिस का आरोप है कि अपने वरिष्ठ सहकर्मी को गोली मारने के बाद चेतन सिंह ने तीन अन्य यात्रियों की पहचान की और उन्हें गोली मार दी. इससे पहले कि एक यात्री ने चेन खींची और ट्रेन रुक गई, वो भाग गया और अन्य पुलिसकर्मियों ने उसे गिरफ्तार कर लिया.
चेतन सिंह के वकील जयवंत सिंह द्वारा की गई जिरह के दौरान गवाह ने अपनी गवाही को झूठा बताने से इनकार किया. गवाह को चौधरी की पहचान करने की प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ा. जबकि उसे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में पेश किया गया था.
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