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इस कंपनी के ड्रोन्स ने ऑपरेशन सिंदूर में गदर काटा, अब चंद दिनों में जुटा लिए 850 करोड़ रुपये

मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के बाद India-Pakistan के बीच भी Drone Warfare देखने को मिला. इसी दौरान Raphe mPhibr के ड्रोन्स भी भारत ने इस्तेमाल किए.

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एयरो इंडिया 2025 में आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी को ड्रोन दिखाती Raphe mPhibr की टीम (PHOTO-X/Raphe mPhibr)

भारत की एक ड्रोन बनाने वाली कंपनी राफे एमफाइबर (Raphe mPhibr) को फंडरेजिंग के जरिए 100 मिलियन डॉलर से भी अधिक यानी लगभग 850 करोड़ रुपये की फंडिंग मिली है. खास बात यह है कि इस कंपनी के ड्रोन्स को ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) में भारतीय सेनाओं ने इस्तेमाल किया था. इस कंपनी के ड्रोन्स ने अपने मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया. 

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मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक Raphe mPhibr एक भारतीय डिफेंस एंड एयरोस्पेस स्टार्टअप है. कंपनी ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद कंपनी ने ग्लोबल इन्वेस्टमेंट कंपनी जनरल कैटलिस्ट (General Catalyst) के जरिए लगभग 850 करोड़ का फंड मिला है. Raphe mPhibr के सीईओ विवेक मिश्रा बताते हैं कि थिंक इन्वेस्टमेंट्स, अमल पारीख और दूसरे परिवारों ने भी फंड जुटाने में योगदान दिया. इससे कंपनी को कुल 145 मिलियन डॉलर (लगभग 1240 करोड़) की फंडिंग मिली.

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पेरिस एयर शो के दौरान Raphe mPhibr के ड्रोन (PHOTO- LinkedIn/ Raphe mPhibr)

ये इन्वेस्टमेंट ऐसे समय आया है जब दुनियाभर के वॉरफेयर में ड्रोन्स की अहमियत बढ़ती जा रही है. रूस-यूक्रेन की जंग का मैदान हो या ईरान-इजरायल का हालिया संघर्ष; दोनों में ड्रोन्स का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया. साथ ही मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच भी ड्रोन वॉरफेयर देखने को मिला. इसी दौरान Raphe mPhibr के ड्रोन्स भी भारत ने इस्तेमाल किए. कंपनी के CEO विवेक मिश्रा बताते हैं कि करीब एक दशक पहले उन्होंने अपने भाई और कंपनी के चेयरमैन विकास मिश्रा के साथ मिल कर इस कंपनी की शुरुआत की थी. नोएडा स्थित ये स्टार्टअप कई ऐसे प्रोडक्ट्स बनाती हैब्जो मिलिट्री के काम आते हैं. जैसे 

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  • मानव रहित यान (Unmanned Aerial Vehicle - UAV) 
  • mR10 स्वार्म ड्रोन 
  • mR20 हाई एल्टीट्यूड यानी अधिक ऊंचाई वाले ड्रोन 
  • भारत - इंसान द्वारा ऑपरेट किया जाने वाला पोर्टेबल ड्रोन 
  • X8 - समुद्र में निगरानी करने वाला प्लेटफॉर्म

Raphe mPhibr के मुताबिक इन में से कई सिस्टम्स का इस्तेमाल ऑपरेशन सिंदूर में किया गया था. फंडिंग में अहम योगदान देने वाले जनरल कैटलिस्ट के मैनेजिंग डायरेक्टर नीरज अरोड़ा ने भी Raphe mPhibr को मिले फंड पर अपनी प्रतिक्रिया दी. MD नीरज अरोड़ा कहते हैं 

हमें Raphe mPhibr के साथ जुड़ने पर गर्व है. जिस तरह के क्रिटिकल सिस्टम्स वो बना रहे हैं, वो इस फील्ड में उनकी शानदार यात्रा को दर्शाता है. Raphe mPhibr के बनाए गए प्रोडक्ट्स ने ऑन ग्राउंड अपनी काबिलियत साबित की है.

OP Sindoor और ड्रोन

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत के लोगों ने पहली बार वॉरफेयर का एक नया तरीका देखा. ये तरीका था ड्रोन वॉरफेयर का. अब तक भारत ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का जवाब देने के लिए Boots On Ground यानी सर्जिकल स्ट्राइक की. पुलवामा हमले के बाद एयरफोर्स का इस्तेमाल कर बालाकोट स्ट्राइक को अंजाम दिया. लेकिन ऑपरेशन सिंदूर के बाद जो वीडियो सेना ने जारी किए, उनमें दिखा कि सेनाओं ने बड़े पैमाने पर ड्रोन का इस्तेमाल किया है. ऑपरेशन सिंदूर के बाद लल्लनटॉप की टीम जब लाइन ऑफ कंट्रोल पर पहुंची, तो वहां इंडियन आर्मी की एक फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनात सेना के एक अधिकारी ने इस बारे में जिक्र किया था. 

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line of control drone operation sindoor
लाइन  ऑफ कंट्रोल पर निगरानी के लिए बनी सेना की अंडरग्राउंड पोस्ट 

उन्होंने बताया था कि जमीन से कई फीट नीचे मौजूद अंडरग्राउंड कमांड पोस्ट से दुश्मन पर निगरानी रखने के लिए सेना ने ड्रोन्स का इस्तेमाल किया. साथ ही दुश्मन के एयर डिफेंस की थाह लेने के लिए 'डीकॉय' (Decoy) ड्रोन्स भेजे. और तो और भारत ने लॉयटरिंग म्युनिशन (Loitering Munitions) यानी विस्फोटक से लैस कामेकाज़ी ड्रोन्स (Armed Drones)  का इस्तेमाल कर दुश्मन पर हमला भी किया. इसके अलावा पाकिस्तानी पोस्ट्स की निगरानी और दुश्मन की पोजीशन समझने के लिए सर्विलांस ड्रोन्स का इस्तेमाल किया गया. अब हूबहू कौन से ड्रोन इस्तेमाल हुए थे, ये तो ऑपरेशनल सीक्रेट है लेकिन सेना के अधिकारी के बयान को देखें तो ऐसा लगता है कि Raphe mPhibr के ड्रोन्स को संभवतः इन्हीं मिशंस में यूज किया गया होगा.

भारत बीते कुछ समय से लगातार डिफेंस सेक्टर में प्राइवेट प्लेयर्स को आगे बढ़ाने पर काम कर रहा है. देश के डिफेंस एंड एयरोस्पेस इंडस्ट्री को रफ्तार देने के उद्देश्य से सरकार ऐसा कर रही है. सरकार सीमा पर बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के अलावा अब प्राइवेट प्लेयर्स को भी उनके इनोवेशन और नई तकनीक की वजह से Defence Excellence (iDEX) प्रोग्राम भी चला रही है.

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