The Lallantop

महिलाओं का राज, कोई टैक्स नहीं... केरल का वो आदिवासी समाज, जिसके राजा को रिपब्लिक डे परेड में बुलाया गया है

Kerala के आदिवासी राजा Raman Rajamannan अपनी पत्नी बिनुमोल के साथ 26 जनवरी को नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में शिरकत करेंगे. रमन राजमन्नन केरल के एक जनजाति समूह मन्नान समुदाय के राजा हैं.

post-main-image
राजा रमन राजमन्नन मन्नान समुदाय के राजा हैं. (इंडिया टुडे)

26 जनवरी 1950 को भारत गणतंत्र (Republic Day) बना. राजाओं की सत्ता समाप्त कर दी गई. लेकिन गणतंत्र के 76 वें साल के जश्न में एक राजा को कर्तव्य पथ की परेड (Raman Rajamannan Republic Day) में हिस्सा लेने का आमंत्रण मिला है. एक ऐसा राजा जिनके पास कोई राज्य नहीं है. यही नहीं उनके पास कोई महल या सवारी भी नहीं है. और वो एक साधारण से घर में रहते हैं. और हमारी व्यवस्था के सबसे वंचित समुदायों में से एक का प्रतिनिधित्व करते हैं. इन राजा का नाम है. राजमन्नन.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल के आदिवासी राजा रमन राजमन्नन अपनी पत्नी बिनुमोल के साथ 26 जनवरी को नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस समारोह में शिरकत करेंगे. केरल सरकार में अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री ओआर केलू ने इसकी जानकारी दी है.

रमन एक राजा हैं. वो राजा की तरह एक मुकुट भी पहनते हैं. जिसे ‘थालापाव’ कहा जाता है. लेकिन उनके पास कोई राज्य नहीं है. और वो एक साधारण से घर में रहते हैं. रमन राजमन्नन की उम्र 39 साल है. लगभग 12 साल पहले आर्यन राजमन्नन के निधन के बाद उन्हें मन्नान जनजाति का राजा बनाया गया था. वे इकॉनोमिक्स में ग्रेजुएट हैं. और इडुक्की जिले में एक छोटी आदिवासी बस्ती कोझिमाला में रहते हैं.

उनके पास कोई पैलेस या राजकीय सवारी नहीं है. वह अपने समुदाय के सदस्यों से टैक्स भी नहीं वसूलते. हालांकि, विशेष उत्सव के आयोजन के दौरान वो अपनी तरफ से कंट्रीब्यूट करते हैं. रमन एक सामान्य किसान की तरह जीवनयापन करते हैं. एक साधारण कंक्रीट के घर में रहते हैं. और अपने परिवार के साथ गांव में एक मंदिर का संचालन भी करते हैं.

भूमिका और जिम्मेदारियां

राजा के पास नागरिक समाज में कोई अधिकार या कर्तव्य नहीं होता है. लेकिन वह चार उप राजाओं (डिप्टी) एक इलियाराजा (राजकुमार) और 50 सदस्यीय मंत्रिपरिषद की सहायता से सामुदायिक मामलों की देखरेख करता है. मंत्रिपरिषद को कानी नाम से जाना जाता है.

यह परिषद साल में तीन से चार बार मन्नान समुदाय के आपसी मामलों पर चर्चा करने के लिए मिलती है. चार उप राजा चार अलग-अलग स्थानों पर तैनात हैं. मन्नान समुदाय की कुल 46 बस्तियां हैं. प्रत्येक बस्ती में 13 सदस्यों की एक समिति है. जो स्थानीय मामलो को देखती है. राजा रमन इस पूरी शासन व्यवस्था के टॉप पर हैं.

मन्नान समुदाय

मन्नान जनजातीय समुदाय की संख्या आज लगभग 3 हजार है. ये इडुक्की जिले की 46 बस्तियों में फैले हुए हैं. इस समुदाय की उत्पत्ति तमिलनाडु से मानी जाती है. चोल और पांड्या राजाओं के बीच चले खूनी संघर्ष के दौरान इनके पूर्वजों को वहां से पलायन करने पर मजबूर होना पड़ा था. उन्हें इडुक्की के घने जंगलों में सुरक्षित ठिकाना मिला. जहां उन्होंने अपना छोटा सा राज्य बसाया. 

मन्नान समुदाय में करीब 36 उपजातियां हैं. पहले वे जंगल में रहते थे. लेकिन आज इस समुदाय के ज्यादातर लोग किसान या दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते हैं. कुछ लोग सरकारी नौकरियों में भी हैं. जिनमें अधिकतर वन विभाग में चौकीदार की नौकरी करते हैं.

इस समुदाय के बच्चे अब नियमित स्कूल जाते हैं. और इनमें (बहिर्विवाह) समुदाय के बाहर शादी आम बात हो गई है. मन्नान समुदाय मातृसत्ता प्रणाली फॉलो करता है. समुदाय में वंश और विरासत परिवार की महिलाओं के माध्यम से पता लगाया जाता है. 

वीडियो: लल्लनटॉप चुनाव यात्रा: रामायण की जनजातियों के बारे में BHU के जंतु विज्ञान विभाग के छात्रों ने क्या बताया?