राजस्थान के रणकपुर में बीजेपी के एक बड़े नेता के यहां विवाह समारोह था. एक जमाने में वे यूपी, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, झारखंड से लेकर छत्तीसगढ़ के प्रभारी थे. इन दिनों सिक्किम के राज्यपाल हैं. नाम - ओम प्रकाश माथुर. उनकी पौत्री का पाणिग्रहण समारोह था. इसमें देश भर के बीजेपी नेताओं का मेला लगा. वसुंधरा राजे सिंधिया भी आईं. पर सबकी नजरें गृह मंत्री अमित शाह पर थीं. वे किस से मिले, किन से मिल कर भी नहीं मिले. पर चर्चा तो बस राजस्थान के दो बीजेपी नेताओं से शाह से हुई मुलाकात की है. लोग पूछ रहे हैं कि क्या राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी के बाद एक और कोई बड़ी सर्जरी होने वाली है?
बिहार जीतकर राजस्थान पहुंचे अमित शाह ने इन दो नेताओं से मुलाकात कर माहौल गरमा दिया
अमित शाह वर-वधू को आशीर्वाद देकर मंच से नीचे उतरे. उनकी नजर सामने खड़े राजेन्द्र राठौड़ पर पड़ी. उन्होंने राठौड़ को इशारे से अपने पास बुलाया. फिर उन्हें अपनी गाड़ी में बिठाकर हेलिकॉप्टर की तरफ रवाना हो गए. अब शाह और राठौड़ की इस छोटी सी मुलाकात से ही राजस्थान की सियासत में तूफान मचा है. लोग अपने-अपने हिसाब से इसकी व्याख्या कर रहे हैं.


तो राजस्थान के रणकपुर में अमित शाह वर-वधू को आशीर्वाद देकर मंच से नीचे उतरे. उनकी नजर सामने खड़े राजेन्द्र राठौड़ पर पड़ी. उन्होंने राठौड़ को इशारे से अपने पास बुलाया. फिर उन्हें अपनी गाड़ी में बिठाकर हेलिकॉप्टर की तरफ रवाना हो गए. अब शाह और राठौड़ की इस छोटी सी मुलाकात से ही राजस्थान की सियासत में तूफान मचा है. लोग अपने-अपने हिसाब से इसकी व्याख्या कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि राठौड़ के अच्छे दिन आने वाले हैं. उनके बारे में बात आगे हो, उससे पहले उन्हें जान लीजिए.
राठौड़-वसुंधरा राजे के समीकरणराठौड़ कभी वसुंधरा राजे सिंधिया के करीबी माने जाते थे. लेकिन पिछले चुनाव में वसुंधरा के सीएम फेस को लेकर जब ये कह दिया गया कि चुनाव तो पीएम मोदी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा. तब से वसुंधरा और उनके रिश्ते 36 के हो गए. एक और किस्से का जिक्र जरूरी है. दो साल पहले उदयपुर में अमित शाह का एक कार्यक्रम था. उनकी दाहिनी ओर वसुंधरा राजे थीं. और मंच संभाल रहे थे राजेन्द्र राठौड़. तब राठौड़ ने वसुंधरा राजे को बिन बुलाए ही अमित शाह को भाषण के लिए आमंत्रित कर दिया था.
दोनों के बीच तकरार की ऐसी कई कहानियां हैं, जिन्हें 'हरि अनंत, हरि कथा अनंता' कहना चाहिए.
राठौड़ 7 बार विधायक रहे. अशोक गहलोत की सरकार में विपक्ष के नेता थे. पर चुनाव हुआ तो करीब 10 हजार वोट से हार गए. हालांकि, उनके समर्थक मानते हैं कि वे हारे नहीं, बल्कि उन्हें ‘हराया गया’. वे खुल्लमखुल्ला तब बीजेपी के सांसद राहुल कस्वां को राठौड़ की हार के लिए जिम्मेदार बताते रहे. कस्वां अब कांग्रेस में हैं. वे चुरू लोकसभा सीट से सांसद रहे.
भैरो सिंह शेखावत से लेकर वसुंधरा राजे सिंधिया सरकार में ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और पंचायती राज जैसे अहम महकमे संभाल चुके राठौड़ इन दिनों जयपुर से दूर पटना में सक्रिय थे. बिहार विधानसभा चुनाव में इनकी ड्यूटी लगी थी. वो भी पाटलीपुत्र के इलाके में. यहां की 14 में से 11 सीटों पर बीजेपी की जीत हुई है.
तो इस जीत के बदले चर्चा राजेन्द्र राठौड़ को इनाम मिलने की है. राठौड़ राजपूत बिरादरी से हैं. राजस्थान में 9 फीसदीी राजपूत वोटर हैं. इसी समाज की दिया कुमारी डिप्टी सीएम हैं. 7 प्रतिशत आबादी वाले ब्राह्मण कोटे से भजनलाल शर्मा सीएम हैं. बीजेपी ने दलित चेहरे प्रेमचंद बैरवा को भी डिप्टी सीएम बना रखा है. राजस्थान में एससी समुदाय की आबादी करीब 18 फीसदी है. संख्या के हिसाब से जाट राजस्थान में 12 फीसदी हैं. लेकिन आज तक इस समुदाय का कोई नेता मुख्यमंत्री की कुर्सी तक नहीं पहुंचा है.
इसी समाज से आने वाले सतीश पूनिया भी पिछला चुनाव हार गए थे. पुनिया तब उप नेता प्रतिपक्ष थे. ओम माथुर के यहां के फंक्शन में जब अमित शाह जब पहुंचे तो सतीश पूनिया वहां बहुत किनारे पर खड़े थे. शाह उनकी तरफ बढ़े. उनका अभिवादन स्वीकार किया और दोनों के बीच बातचीत हुई. अब इस मुलाकात के वीडियो को लेकर भी खूब कानाफूसी हो रही है. सतीश पूनिया राजस्थान के आंबेर सीट से विधायक होते थे. लेकिन राठौड़ की तरह ये भी करीबी अंतर से पिछला चुनाव हार गए थे.
बिहार चुनाव में सतीश पूनिया के माइक्रो मैनेजमेंट की भी तारीफ हो रही है. इन्हें नवादा लोकसभा की 6 सीटों की जिम्मेदारी दी गई थी. जहां पिछले चुनाव में एनडीए के पास एक सीट थी. इस बार एनडीए ने 6 में से 5 जीत लीं. तो इसका क्रेडिट सतीश पूनिया को भी मिला है.
हरियाणा के प्रभारी पूनिया और उनके साथी नेता राजेन्द्र राठौड़ को राज्यसभा भेजे जाने की खबरें हैं. दोनों इस समय किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं. अगले साल राजस्थान में राज्यसभा के चुनाव हैं. 10 में से 3 सीटें खाली होने वाली हैं. बीजेपी के राजेन्द्र गहलोत, रवनीत सिंह बिट्टू और कांग्रेस के नीरज डांगी का कार्यकाल जून 2026 में खत्म हो रहा है.
वीडियो: राजधानी: ओवैसी बिहार के बाद यूपी में भी करेंगे कमाल?

















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