देश में बेरोजगारी का आलम ये है कि राजस्थान में चपरासी की नौकरी के लिए ओवर क्वालिफाइड उम्मीदवार सामने आ रहे हैं. 10वीं पास की क्वालिफिकेशन वाली सरकारी नौकरी का इम्तिहान है. और अप्लाई करने वाले 90% कैंडिडेट्स ओवर क्वालिफाइड हैं. ग्रेजुएट, एमएससी, बीटेक, यहां तक कि PhD वाले भी चपरासी बनने को तैयार हैं. क्यों? क्योंकि बड़ी नौकरियों की वैकेंसी आती नहीं, और जो आती हैं, उनमें या तो पेपर लीक की मार पड़ती है या डमी कैंडिडेट खेल कर जाते हैं.
चपरासी की नौकरी के लिए 25 लाख आवेदन, 90% कैंडिडेट के पास बीटेक से पीएचडी तक की डिग्री!
जयपुर के गांधीनगर परीक्षा सेंटर के बाहर एग्जाम देने आए लोगों की लंबी-लंबी कतारें देखी गईं. ये कोई राशन की लाइन नहीं, बल्कि देश के पढ़े-लिखे नौजवानों की भीड़ है, जो ऑफिस में चाय-पानी पिलाने और फाइलें ढोने की नौकरी पाने के लिए लाइन में खड़े हैं.


जयपुर के गांधीनगर परीक्षा सेंटर के बाहर एग्जाम देने आए लोगों की लंबी-लंबी कतारें देखी गईं. ये कोई राशन की लाइन नहीं, बल्कि देश के पढ़े-लिखे नौजवानों की भीड़ है, जो ऑफिस में चाय-पानी पिलाने और फाइलें ढोने की नौकरी पाने के लिए लाइन में खड़े हैं.
यहां बात काम को छोटा बताने की नहीं है. बात है योग्यता की. ग्रेजुएशन से पीएचडी तक की पढ़ाई चपरासी बनने के लिए तो नहीं ही की थी. सेंटर के बाहर खड़े नरेंद्र बिजानिया मैथमेटिक्स में M.Sc और B.Ed हैं. पिछले 5 साल से पेपर लीक के खिलाफ प्रदर्शन करते-करते थक चुके हैं. अच्छी सरकारी नौकरी के इंतजार में उम्र 30 के करीब आई तो सोचना पड़ा, “चलो, चपरासी ही सही!”
आजतक से जुड़े शरत कुमार की रिपोर्ट कहती है कि ज्यादातर M.Sc, B.Tech वाले कैंडिडेट कैमरे से मुंह छिपाते नजर आए. क्योंकि गांव में रिश्तेदारों को लगता है, “इतना पढ़ा-लिखा है, बड़ी नौकरी में होगा.” लेकिन हकीकत ये है कि ये लोग चपरासी की नौकरी के लिए लाइन में लगे हैं. एक कैंडिडेट ने बताया, “जिस स्कूल में टीचर बनने का सपना देखा, वहां घंटी बजाने और पानी पिलाने को तैयार हूं.”
8 साल बाद फोर्थ ग्रेड की भर्ती, लेकिन हाल वहीरिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में 8 साल बाद फोर्थ ग्रेड की भर्ती आई है. 53,749 पदों के लिए 24 लाख 75 हजार आवेदन किए गए. इनमें सिर्फ 10% ही 10वीं पास हैं. बाकी 90% के पास बड़ी डिग्रियां हैं. परीक्षा के लिए 38 जिलों में 1286 सेंटर बनाए गए हैं, जहां हर शिफ्ट में 4 लाख से ज्यादा लोग पसीना बहा रहे हैं.
पेपर तो हो जाएगा. लेकिन पेपर लीक का क्या होगा? अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के राज में 30 से भी ज्यादा बड़ी भर्तियों में पेपर लीक हुए हैं. नतीजा, पढ़ने वालों का सिलेक्शन रुका और डमी कैंडिडेट्स की चांदी हुई.
धांधली का खेल अभी तक रुका नहीं है. चपरासी भर्ती में पहले दिन ही 1700 कैंडिडेट्स के फोटो डुप्लीकेट पाए गए, जिन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया. नकल रोकने के लिए उम्मीदवारों से नंगे पांव इम्तिहान दिलवाया जा रहा है. नाक-कान की जूलरी तक उतरवाई जा रही है.
उधर, कांग्रेस विधायक डीसी बैरवा मांग कर रहे हैं कि छोटी नौकरियों के लिए नियम बदले जाएं, ताकि 10वीं पास वालों को मौका मिले. यानी जैसी जिसकी योग्यता, वैसी उसकी पात्रता.
लेकिन फिर सवाल उठता है कि क्या नौकरियों की भारी कमी के होते नए नियम ज्यादातर युवाओं के साथ न्याय कर पाएंगे? क्योंकि हाई कैटेगरी की वैकेंसीज बेहद कम हैं, और निम्न स्तर की नौकरियों के आवेदन में आप सीमाएं तय कर देंगे तो डिग्री धारक उम्मीदवार कहां जाएंगे.
वीडियो: राजस्थान SI 2021 भर्ती परीक्षा रद्द, प्रोटेस्ट में उतरीं महिला SI ने रोते हुए पूछे गंभीर सवाल