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वाजपेयी, डोभाल और मनमोहन सिंह... यासीन मलिक ने कोर्ट को ऐसा क्या बताया जो बवाल मच गया?

अलगाववादी नेता Yasin Malik ने दावा किया है कि केंद्र सरकारों ने लंबे अरसे तक उससे संपर्क बनाए रखा, ताकि कश्मीर के मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाया जा सके. उसने कहा है कि IB के अनुरोध पर उसने आतंकी हाफिज सईद से मुलाकात की थी. यासीन मलिक ने अटल बिहारी वाजपेयी, अजीत डोभाल और मनमोहन सिंह सहित कई बड़े नामों का जिक्र किया है.

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हाफिज सईद के साथ यासीन मलिक. (फाइल फोटो: एजेंसी)

कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik) ने दावा किया है कि 1990 में उसकी गिरफ्तारी के बाद, वीपी सिंह से लेकर मनमोहन सिंह तक की लगातार छह सरकारों ने उससे संपर्क बनाए रखा. उसने कहा है कि उससे ये संपर्क कश्मीर के मुद्दे को बातचीत के जरिए सुलझाने के लिए किए गए थे. यासीन मलिक ने और भी कई बड़े दावे किए हैं.

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बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, मलिक ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया है कि उसने 2006 में खुफिया ब्यूरो (IB) के तत्कालीन विशेष निदेशक वीके जोशी के अनुरोध पर पाकिस्तान के आतंकवादी हाफिज सईद और अन्य आतंकवादियों से मुलाकात की थी. उसने अपने लिखित हलफनामे में कहा है,

मुझसे हाफिज सईद और पाकिस्तान के अन्य आतंकवादी नेताओं के साथ इस बैठक के लिए विशेष रूप से अनुरोध किया गया था. वजह ये बताई गई कि राष्ट्रीय राजधानी में हुए बम विस्फोट के कारण, आतंकवाद और शांति वार्ता एक साथ नहीं चल सकते.

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'मनमोहन सिंह ने थैंक्स बोला था'

यासीन ने दावा किया कि इस बैठक से भारत लौटने के बाद उसने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) एन के नारायणन से मुलाकात की और उन्हें इस बारे में जानकारी दी. उसने कहा,

मैंने उन्हें (प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को) अपनी बैठकों के बारे में जानकारी दी और संभावनाओं से अवगत कराया. उन्होंने मेरे प्रयासों, समय, धैर्य और समर्पण के लिए आभार व्यक्त किया. मेरी ये बैठक IB के विशेष निदेशक वीके जोशी के अनुरोध पर ही शुरू हुई और अंजाम दी गई थी. लेकिन दुर्भाग्य से, इसी बैठक को मेरे खिलाफ एक अलग संदर्भ में पेश किया गया.

'वाजपेयी सरकार में डोभाल सुनाने आए रिहाई की खबर'

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में यासीन को मौत की सजा देने की मांग की थी. इसी के जवाब में यासीन ने ये हलफनामा दिल्ली हाई कोर्ट में दायर किया है. यासीन मलिक ने इसमें पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के साथ अपने संबंधों और IB के तत्कालीन विशेष निदेशक अजीत डोभाल के साथ अपनी बैठकों का भी जिक्र किया. उसने कहा कि डोभाल ने 2000 के दशक के प्रारंभ में जेल में उससे मुलाकात की थी और उसकी रिहाई की खबर दी थी. मलिक ने कहा,

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IB के स्पेशल डायरेक्टर अजीत कुमार डोभाल ने मुझसे नई दिल्ली में मुलाकात की और IB निदेशक श्यामल दत्ता और तत्कालीन प्रधानमंत्री के NSA ब्रजेश मिश्रा के साथ मेरी स्वतंत्र रूप से एक बैठक आयोजित की. दोनों ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए बातचीत प्रक्रिया को लेकर गंभीर हैं और मुझे उनके रमजान युद्धविराम का समर्थन करना चाहिए.

इसके अलावा, यासीन ने कहा कि उसने पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और कम्युनिस्ट नेताओं (जो उस समय विपक्ष में थे) से भी मुलाकात की थी, ताकि उन्हें कश्मीर में तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी की शांति प्रक्रिया में शामिल किया जा सके. उसने बताया,

साल 2002 में, मैंने पूरे जम्मू-कश्मीर में एक हस्ताक्षर अभियान शुरू किया था. इसका एकमात्र उद्देश्य कश्मीर में अहिंसक लोकतांत्रिक संस्कृति को बढ़ावा देना और कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत की प्रक्रिया में कश्मीरी नेतृत्व को शामिल करना था. ये बेहद मुश्किल था और मुझे आसपास के हर गांव, स्कूल और कॉलेज का दौरा करने में ढाई साल लग गए, जहां मैं इस अभियान के लिए 15 लाख हस्ताक्षर जुटाने में कामयाब रहा.

‘मनमोहन सिंह ने कश्मीर मुद्दे को सुलझाने के लिए बात की थी’

यासीन मलिक ने आगे कहा कि 2004 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद, 2006 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उसे औपचारिक वार्ता के लिए आमंत्रित किया, जहां मनमोहन सिंह ने उनसे कहा कि वो कश्मीर मुद्दे को सुलझाना चाहते हैं. इस बैठक के बाद यासीन मलिक अमेरिका गया और अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारियों से मुलाकात की. हालांकि, जल्द ही प्रधानमंत्री सिंह को विरोध का सामना करना पड़ा, जिसके बाद मलिक ने पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी को पत्र लिखा. 

ये भी पढ़ें: 'हथियार छोड़ दिए, अब मैं गांधीवादी...' तिहाड़ में बंद यासीन मलिक नेे ऐसा क्यों लिखकर दिया है?

अपने लिखित बयान में यासीन मलिक ने ये भी कहा कि भारत की सरकारों ने ही उसे अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बोलने के लिए राजी किया था. मलिक ने कहा, 

मुझे न केवल कश्मीर मुद्दे पर बोलने के लिए घरेलू मंच प्रदान किया गया, बल्कि सत्ता में मौजूद सरकारों ने मुझे बार-बार सक्रिय रूप से इसमें शामिल किया और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर बोलने के लिए राजी किया.

उसने कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और सामूहिक बलात्कार के आरोपों से भी इनकार किया और कहा कि अगर ये सच है तो वो खुद ही फांसी लगा लेगा. उसने कहा,

ऐसे निराधार दावे किए जा रहे हैं कि कश्मीरी पंडितों का पलायन मेरे द्वारा शुरू किए गए कथित नरसंहार और गिरोह के कारण हुआ… (अगर ये सच साबित हुआ तो) मैं बिना किसी मुकदमे के खुद को फांसी पर लटका लूंगा और अपना नाम मानव जाति के लिए एक कलंक और अभिशाप के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज करवा दूंगा.

इसके अलावा, मलिक ने 2016 में कश्मीर में बुरहान वानी की मुठभेड़ के बाद पत्थरबाजी को समर्थन देने से भी इनकार किया. दिल्ली हाई कोर्ट में इस मामले की सुनवाई नवंबर में होनी है. यासीन मलिक फिलहाल आतंकी फंडिंग मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है.

वीडियो: यासीन मलिक के आजीवन कारावास पर क्या बोले बिलावल भुट्टो और शाहिद आफरीदी

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