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कहीं मां को बेटे का इंतजार तो किसी पिता ने मान ली हार , 'रैगिंग' के कारण हुई 78 मौतों के पीछे की दर्दनाक कहानी

Deaths Due to Ragging: कई परिवार अब भी अपने मृत बच्चों के लिए न्याय के इंतजार में हैं. कई परिवारों ने लंबी लड़ाई के बाद अब हार मान ली है. एक मां को तो इस बात की भी जानकारी नहीं थी कि उनके मृत बेटे के गर्दन पर गोली लगने और चाकू घोंपने के निशान मिले थे.

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हाल के दिनों में भी रैगिंग के कई मामले सामने आए हैं. (सांकेतिक तस्वीर)

एक RTI आवेदन के जरिए खुलासा हुआ है कि 2012 से 2023 के बीच कथित रूप से रैगिंग के कारण 78 छात्रों की मौत (Deaths Due to Ragging) हुई है. ये मामले अलग-अलग यूनिवर्सिटी के कैंपस में हुए हैं. पिछले कई महीनों में भी रैंगिग से जुड़ी कई खबरें सामने आई हैं. 

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इंडियन एक्सप्रेस ने इस मामले में एक RTI आवेदन दायर किया था. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने इसके जवाब में 78 मौतों के आंकड़े का खुलासा किया है. कई परिवारों की कहानियां सामने आई हैं जो इन घटनाओं के बाद या तो न्याय का इंतजार कर रहे हैं या हार मान बैठे हैं.

"मेरा बेटा वापस आएगा"

14 अक्टूबर, 2022. आईआईटी खड़गपुर. 23 साल के फैजान अहमद हॉस्टल के एक कमरे में मृत पाए गए. घटना से आठ महीने पहले उन्होंने अपने साथियों को ‘समावेश’ नाम के एक सीनियर के बारे में बताया था. उन्होंने आरोप लगाया था कि सीनियर ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया. उनके परिवार वालों ने भी आरोप लगाया कि फैजान के साथ गलत हुआ, उनको रैगिंग का सामना करना पड़ा.

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कोलकाता हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया था. SIT को आंशका है कि फैजान की हत्या की गई. फॉरेंसिक रिपोर्ट से पता चला कि उनके गले पर गोली लगने और चाकू घोंपने के निशान थे. असम के तिनसिकुया में रहने वाली उनकी मां को इन निशानों के बारे में जानकारी नहीं थी. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वो आज भी अपने बेटे का इंतजार कर रही हैं. वो अपने घर का दरवाजा हमेशा खुला रखती हैं. उनको लगता है कि किसी भी वक्त उनका बेटा वापस आ सकता है. 

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"लड़ाई लड़ी लेकिन अब हार मान ली"

18 साल की सुम्बुल इसहाक, ‘डॉ एमसी सक्सेना कॉलेज ऑफ फार्मेसी, लखनऊ’ में पढ़ती थीं. उनके परिवार के अनुसार, इसहाक को उनके सीनियर्स परेशान करते थे. उन्होंने कॉलेज प्रशासन से शिकायत की. प्रशासन के आश्वासन के बाद उन्होंने फिर से क्लास जाना शुरू किया. लेकिन 3 सितंबर, 2013 को उन्होंने आत्महत्या कर ली. 

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सुम्बुल के पिता अबू इसहाक ने कॉलेज के खिलाफ FIR दर्ज कराई. संस्थान ने इसे इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी. पुलिस ने कहा कि सुम्बुल की मौत व्यक्तिगत कारणों से हुई. कॉलेज की एंटी-रैगिंग कमेटी ने कहा कि ये घटना रैगिंग से संबंधित नहीं थी. उनके पिता ने बताया कि उनकी बेटी सुम्बुल रैगिंग के कारण मानसिक रूप से परेशान चल रही थीं. स्थानीय भाषा के स्कूल से होने के कारण उनका मजाक उड़ाया जाता था. उन्होंने कहा कि वो तीन साल तक कानूनी लड़ते रहे लेकिन अब हार मान ली है. 

ठाकुरगंज पुलिस ने बताया कि ये मामला पुराना हो चुका है. इसके जांच अधिकारी भी रिटायर हो चुके हैं. 

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"बंगाली लहजे के लिए परेशान किया"

महाराष्ट्र के जलगांव का ‘डॉ उल्हास पाटिल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल’. 19 साल की प्रियंका मुखर्जी यहां पढ़ती थीं. 2014 में वो अपने हॉस्टल के कमरे में मृत पाई गईं. एक कागज पर लिखा मिला कि उनके रूममेट्स ने उनका सबकुछ बर्बाद कर दिया. इस मामले में भी पुलिस ने रैगिंग की पुष्टि नहीं की.

प्रियंका के पिता डॉ नयन मुखर्जी ने इस मामले में FIR दर्ज कराई. केस बॉम्बे हाईकोर्ट में पेंडिंग है. मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने कहा कि ये उत्पीड़न का मामला है. आरोपियों को एक साल के लिए हॉस्टल से निष्कासित कर दिया गया. मुखर्जी का परिवार पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी का रहने वाला है. नयन मुखर्जी ने बताया कि प्रियंका को बंगाली लहजे के लिए परेशान किया जा रहा था.

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कोर्ट की कार्रवाई के लिए वो 40 से अधिक बार पश्चिम बंगाल से महाराष्ट्र के औरंगाबाद जा चुके हैं. उन्होंने न्याय की उम्मीद छोड़ दी है. परिवार ने एक बच्चे को गोद ले लिया है.

वीडियो: रैगिंग के दौरान छात्र को देर तक खड़ा रखा, मौत

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