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IAS बनने आया था, 'लड़की बनने के लिए' अपना प्राइवेट पार्ट काट दिया, अब हॉस्पिटल में है

प्रयागराज में एक छात्र ने अपना प्राइवेट पार्ट काट लिया. उसने दावा किया कि पुरुष शरीर होने के बावजूद वह लड़की जैसा महसूस करता था. पढ़ाई के दौरान उसने एक ‘झोलाछाप’ डॉक्टर से संपर्क किया, जिसकी सलाह पर उसने यह कदम उठाया. क्या है पूरा मामला?

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लड़की बनने के लिए अपना प्राइवेट पार्ट काट लिया (फोटो: आजतक)

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (Prayagraj) में UPSC की तैयारी कर रहे एक 20 साल के छात्र ने अपना प्राइवेट पार्ट काट लिया. पुलिस ने बताया कि छात्र ‘लड़की बनना चाहता था’, जिसके लिए उसने एक 'झोलाछाप' डॉक्टर की सलाह पर ये कदम उठाया. फिलहाल, घायल छात्र का अस्पताल में इलाज चल रहा है. उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है.

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आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, युवक मूल रूप से अमेठी जिले का रहने वाला है. उसने दावा किया कि 14 साल की उम्र से वह लड़की जैसा महसूस करता है. इकलौता लड़का होने की वजह से वह मां-बाप को कभी ये बात नहीं कह पाया. जेंडर चेंज करने के लिए वह यूट्यूब पर सर्च करता रहता था. इस दौरान उसने कटरा में एक ‘झोलाछाप’ डॉक्टर से संपर्क किया, जिसके कहने पर उसने एनेस्थीसिया का इंजेक्शन और सर्जिकल ब्लेड मेडिकल स्टोर से खरीद लिया. 

इसके बाद अपने किराए के कमरे पर आकर उसने अपना गुप्तांग काट लिया. युवक ने बताया कि जब तक एनेस्थीसिया का असर था, तब तक उसे ज्यादा दर्द नहीं हुआ लेकिन जैसे-जैसे इसका असर खत्म होता गया, दर्द बर्दाश्त से बाहर होता गया और ब्लीडिंग बढ़ती गई. एक घंटे तक शर्म और झिझक के नाते उसने इसके बारे में किसी को नहीं बताया, लेकिन दर्द जब हद से बाहर हो गया तो उसने मकान मालिक को इसकी जानकारी दी. इसके बाद मकान मालिक ने तत्काल एंबुलेंस बुलाकर उसे बेली अस्पताल में भर्ती कराया.

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हालत गंभीर देखते हुए और बहुत खून बह जाने की वजह से उसे स्वरूपरानी नेहरू (SRN) अस्पताल रेफर कर दिया गया. सीनियर डॉ. संतोष सिंह ने बताया कि खून ज्यादा बह गया है, लेकिन छात्र अब खतरे से बाहर है. उसका उचित इलाज चल रहा है. डॉक्टर से बातचीत में छात्र ने बताया कि आवाज, हाव-भाव और चाल-ढाल से उसे ऐसा महसूस हो रहा था, जैसे वह लड़की हो. 14 साल की उम्र से उसे ऐसा ही लगता है.

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‘जेंडर आइडेंटिटी डिसआर्डर का शिकार है युवक’

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डॉ संतोष सिंह के मुताबिक, युवक जेंडर आईडेंटिटी डिसऑर्डर या जेंडर डिस्फोरिया की बीमारी से पीड़ित है. उन्होंने बताया कि इस बीमारी में मरीज को लगता था कि वह लड़की है. उनके मुताबिक यदि समय रहते छात्र अस्पताल नहीं पहुंचता तो उसकी जान भी जा सकती थी. डॉ संतोष सिंह ने बताया कि मनोचिकित्सक के जरिए छात्र की काउंसिलिंग कराई जाएगी और उनकी राय भी ली जाएगी.

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