प्रयागराज (Prayagraj Mahakumbh) में महाकुंभ चल रहा है. इस दौरान लाखों श्रद्धालु रोज संगम में डुबकी लगा रहे हैं. प्रयागराज मेला प्रशासन की माने तो अब तक 54 करोड़ से ज्यादा लोग स्नान कर चुके हैं. इस बीच एक रिपोर्ट आई है जिसमें बताया गया है कि प्रयागराज स्थित गंगा और यमुना का पानी नहाने के लायक नहीं है.
संगम का पानी क्या नहाने लायक नहीं है? केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट ने उठाए सवाल
Prayagraj Mahakumbh मेला प्रशासन के मुताबिक 13 जनवरी से अब तक महाकुंभ में 54 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने स्नान किया है. इस बीच गंगा और यमुना के पानी की सेहत को लेकर एक चिंतित करने वाली रिपोर्ट आई है.

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को एक रिपोर्ट सौंपा है. रिपोर्ट के मुताबिक, महाकुंभ मेले के दौरान उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अलग-अलग स्थानों पर नदी के पानी में ‘फेकल कोलीफॉर्म’ का स्तर स्नान के गुणवत्ता मानकों (क्वालिटी स्टैंडर्ड) के अनुरूप नहीं था. फेकल कोलीफॉर्म पानी में सीवेज की मिलावट का मार्कर है. CPCB के तय किए गए स्टैंडर्ड के मुताबिक 100 मिलीलीटर पानी में 2,500 यूनिट फेकल कोलीफॉर्म से ज्यादा नहीं होना चाहिए.
NGT अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव, ज्यूडिशियल मेंबर जस्टिस सुधीर अग्रवाल और एक्सपर्ट मेंबर ए सेंथिल वेल की बेंच 17 फरवरी को प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में सीवेज के डिस्चार्ज को रोकने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस दौरान ये जानकारी सामने आई. CPCB ने 3 फरवरी को NGT कोर्ट में ये रिपोर्ट सबमिट की थी.
प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस रिपोर्ट के निष्कर्षों की समीक्षा की. और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के अधिकारियों को 19 फरवरी को वर्चुअली कोर्ट में पेश होने को कहा है. अधिकारियों को बढ़ते पॉल्यूशन लेवल के जवाब में किए गए उपायों के बारे में बताना होगा.
NGT ने पहले UPPCB को डिटेल्ड रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया था. लेकिन बोर्ड ने केवल पानी में हाई फेकल कोलीफॉर्म दिखाने वाले टे्स्ट रिपोर्ट सबमिट किया. इसके चलते एनजीटी ने UPPCB को एक व्यापक रिपोर्ट सबमिट करने के लिए अतिरिक्त समय दिया है. और इसके प्रमुख अधिकारियों को 19 फरवरी को अगली सुनवाई में मौजूद रहने का निर्देश दिया है.
प्रयागराज में सीवेज और वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम की मॉनिटरिंग और ट्रीटमेंट दिसंबर 2024 से जांच के दायरे में है. दिसंबर 2024 में NGT ने धार्मिक आयोजनों के दौरान पानी की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए सख्त नियंत्रण का आह्वान किया था.
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