अनशन पर बैठे जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर को सिविल कोर्ट से बिना शर्त जमानत मिल गई है. जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने पटना स्थित शेखपुरा हाउस में मीडिया को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने हम लोगों के अनुरोध को स्वीकार करते हुए अनकंडीशनल बेल दी है. ये जनता का समर्थन है. प्रशांत ने बताया कि बेऊर जेल में रखने के लिए उन लोगों के पास पेपर ही नहीं थे. वो पेपर के इंतजार में बैठे रहे, तब तक कोर्ट का फाइनल निर्णय आ गया.
‘मेरा अनशन जारी था, जारी है, जारी रहेगा..’, प्रशांत किशोर ने बताया आगे का पूरा प्लान
पीके ने कहा कि लोगों की आवाज और भरोसा किसी भी शक्ति से ज़्यादा मजबूत होता है और 'सत्याग्रह' का असर साफ़ है.

प्रशांत किशोर ने आगे कहा,
'मेरा अनशन जारी था, जारी है, जारी रहेगा. मैं अनशन वापस नहीं ले रहा हूं. आज आधी रात को बैठक होगी, अनशन की जगह तय कर कल इसकी घोषणा करूंगा. जब तक न्याय नहीं मिल जाता कोई भी ताकत मुझे नहीं झुका सकेगी. किसी भी सरकारी बल से ज्यादा ताकतवर जन बल होता है.'
प्रशांत किशोर ने आगे बताया.
'दो घंटे पहले बिहार पुलिस मुझे बेऊर जेल ले गई. कोर्ट ने हमारे अनुरोध पर बिना शर्त जमानत दे दी. लोगों की आवाज और भरोसा किसी भी शक्ति से ज़्यादा मजबूत होता है और 'सत्याग्रह' का असर साफ़ है. मैंने जेल जाना स्वीकार किया, लेकिन उन्होंने मुझे बेऊर जेल में नहीं रखा क्योंकि उनके पास कागजात नहीं थे. कागज़ मिलने का इंतज़ार करते हुए अदालत के फैसले ने पुलिस की कार्रवाई को वैध ठहराया और ये भी माना कि गांधी मैदान में 'सत्याग्रह' के लिए बैठना किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं है.'
अनशन जारी रखने की बात कहते हुए पीके ने आगे कहा,
‘जब मैं एम्स गया तो कुछ डॉक्टरों ने तीन साल से जन सुराज से जुड़े होने की बात कही. मैं फतुहा के डॉक्टरों को सलाम करना चाहता हूं, क्योंकि पुलिस के दबाव के बावजूद उन्होंने उनकी मांग के मुताबिक फिटनेस सर्टिफिकेट जारी नहीं किया. जब पुलिस मुझे फतुहा से पटना ला रही थी तो तीन-चार पुलिसकर्मियों ने मुझसे कहा कि वो कभी बीपीएससी के अभ्यर्थी थे. उन्होंने कहा कि भले ही वो अपनी नौकरी से बंधे हैं, लेकिन वो मेरी लड़ाई का पूरा समर्थन करते हैं. कोर्ट में कई लोगों ने मुझे भरोसा दिलाया कि वो मेरे साथ हैं और मुझे डरना नहीं चाहिए. मैं आज भी बिहार की जनता का दिल से आभारी हूं. मेरी भूख हड़ताल जारी रहेगी.’
प्रशांत किशोर को पुलिस ने 6 जनवरी को सुबह 4 बजे गिरफ्तार किया था. वो 2 जनवरी की शाम 5 बजे से BPSC अभ्यर्थियों के समर्थन में आमरण अनशन पर बैठे थे. पटना सिविल कोर्ट में उनकी पेशी हुई. SDJM आरती उपाध्याय की कोर्ट से उन्हें 25 हजार के निजी मुचलके पर बेल मिली थी. कोर्ट में पेशी के दौरान प्रशांत किशोर ने खुद दलील दी. उन्होंने जज को बताया कि किस तरह से पुलिस ने बर्बरता की थी. कोर्ट से उन्हें जमानत मिली, लेकिन वो सशर्त जमानत लेने के लिए तैयार नहीं हुए.
प्रशांत किशोर ने PR बॉन्ड पर साइन नहीं किए. उनकी ओर से ज्यूडिशियल कस्टडी की मांग की गई. 6 जनवरी को दोपहर 2 बजे के करीब पीके को पटना सिविल कोर्ट ने 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया था. देर शाम पुलिस पीके को लेकर बेऊर जेल पहुंच गई. लेकिन जेल प्रशासन के पास कोर्ट का आदेश नहीं पहुंचा था. इसके बाद पीके को पुलिस बेऊर थाना लेकर गई. कुछ देर वो यहीं रहे. जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें दिन के अंत तक बिना शर्त बेल दे दी.
वीडियो: प्रशांत किशोर की गिरफ्तारी से पहले गांधी मैदान में क्या हुआ, वहां मौजूद महिलाओं ने बताया