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महाराष्ट्र में भी 'भाषा युद्ध' का मैदान तैयार, स्कूलों में हिंदी तीसरी अनिवार्य भाषा बनी

कांग्रेस नेता और पूर्व विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार ने केंद्र और राज्य सरकार पर शिक्षा के अधिकार और मराठी पहचान को कमजोर करने का आरोप लगाया है.

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सरकार के नोटिफिकेशन में बताया गया कि महाराष्ट्र सरकार ने नई नीति को लागू करने के लिए कई समितियों का गठन किया है. (फोटो- AI)

महाराष्ट्र सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 को लागू करने का फैसला किया है. इसके तहत राज्य के स्कूलों में क्लास 1 से 5 तक हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य कर दिया गया है. राज्य सरकार का ये निर्णय 2025-26 एकेडमिक ईयर से लागू होगा. करिकुलम में हिंदी को अनिवार्य बनाने के सरकार के इस फैसले को लेकर राजनीतिक घमासान भी शुरू हो गया है.

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इंडिया टुडे से जुड़े रित्विक भालेकर की रिपोर्ट के मुताबिक NEP 2020 का ये करिकुलम राज्य में कई फेज में लागू किया जाएगा. 2025-26 एकेडमिक ईयर से इसे क्लास 1 में लागू किया जाएगा. 2028-29 तक सभी ग्रेड तक इसका विस्तार होना तय है. भाषा नीति के तहत, हिंदी को प्रारंभिक कक्षा के छात्रों के लिए अनिवार्य तीसरी भाषा के रूप में लागू किया जाएगा. इस बदलाव के लिए राज्य सरकार 2025 तक 80% टीचर्स को नए शैक्षणिक तरीकों और डिजिटल टूल्स में ट्रेन करने की भी योजना बना रही है.

नई नीति के तहत, महाराष्ट्र 5+3+3+4 एजुकेशनल स्ट्रक्चर को अपनाएगा. जिसमें करिकुलम बनाने का काम स्थानीय स्तर पर SCERT और बालभारती द्वारा किया जाएगा. नए करिकुलम के तहत NEP 2020 के 5+3+3+4 एजुकेशनल स्ट्रक्चर को स्कूली शिक्षा में लागू किया जाएगा. ये शिक्षा को चार चरणों में विभाजित करती है.

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सरकार के नोटिफिकेशन में बताया गया कि महाराष्ट्र सरकार ने नई नीति को लागू करने के लिए कई समितियों का गठन किया है. जिनमें स्कूल शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली राज्य संचालन समिति भी शामिल है.

भाषा को लेकर राजनीतिक घमासान

स्कूली करिकुलम में हिंदी को अनिवार्य बनाने के सरकार के इस फैसले को लेकर राजनीतिक घमासान भी शुरू हो गया है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे ने X पर लिखा,

"हमारी पार्टी कक्षा 1 से हिंदी थोपने को स्वीकार नहीं करेगी. हिंदी राष्ट्रीय भाषा नहीं बल्कि राज्य की भाषा है. केंद्र सरकार का 'हिंदीकरण' यहां सफल नहीं होगा. अगर मजबूर किया गया, तो संघर्ष करेंगे और सरकार जिम्मेदार होगी. मराठी और हर भाषा सम्मान की हकदार है, जबरदस्ती की नहीं."

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कांग्रेस नेता और पूर्व विपक्षी नेता विजय वडेट्टीवार ने भी नीति की आलोचना की है. विजय ने केंद्र और राज्य सरकारों पर शिक्षा के अधिकार और मराठी पहचान को कमजोर करने का आरोप लगाया है. वडेट्टीवार ने कहा,

"केंद्रीय शिक्षा नीति में बार-बार किए जाने वाले बदलाव आम लोगों के अधिकारों का हनन करने की कोशिश है. भारत का गठन भाषाई आधार पर हुआ था, फिर भी NEP का इस्तेमाल महाराष्ट्र में हिंदी थोपने के लिए किया जा रहा है.”

विजय ने आगे कहा कि हिंदी वैकल्पिक होनी चाहिए, अनिवार्य नहीं. ये मराठी पर हमला है, जिस भाषा के लिए महाराष्ट्र की स्थापना हुई थी.

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