भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज 1 सितंबर को SCO समिट में मुलाकात करेंगे. भारत पर अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ लागू होने के बाद दोनों देशों की यह पहली मीटिंग होगी. बीते महीने अगस्त में मोदी और पुतिन के बीच दो बार फोन पर बात हुई थी. एक बार पुतिन के अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप से मिलने के पहले और दूसरी बार उनसे मिलने के बाद.
मोदी-पुतिन मुलाकात: ट्रंप के आरोपों के बाद SCO समिट में बड़ा एलान मुमकिन!
Modi-Putin Meet: दोनों देशों के नेताओं के बीच बैठक दोपहर को होगी जो लगभग 45 मिनट तक चल सकती है. यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से मोदी और पुतिन एक-दूसरे के संपर्क में हैं. लेकिन स्थिति एक ऐसे नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है जहां रूस से तेल खरीदने के लिए अमेरिका भारत पर लगातार टैरिफ लगा रहा है.


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मोदी और पुतिन के बीच इस मुलाकात को बेहद अहम माना जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रंप ने भारत द्वारा रूसी तेल खरीदने पर आपत्ति जताई थी. इसके लिए उन्होंने भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ और 25 प्रतिशत पेनल्टी लगाई थी. पुतिन के साथ बैठक के बारे में पूछे जाने पर विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा कि वह मुलाकात से पहले इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहते.
दोनों देशों के नेताओं के बीच बैठक दोपहर को होगी जो लगभग 45 मिनट तक चल सकती है. यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से मोदी और पुतिन एक-दूसरे के संपर्क में हैं. लेकिन स्थिति एक ऐसे नाजुक मोड़ पर पहुंच गई है जहां रूस से तेल खरीदने के लिए अमेरिका भारत पर लगातार टैरिफ लगा रहा है. मोदी-पुतिन की बैठक में इस मुद्दे पर बातचीत मुमकिन है. पुतिन के साथ एक महीने में मोदी की यह तीसरी बातचीत होगी.
अलास्का में ट्रंप से मुलाकात के तीन दिन बाद 18 अगस्त को पुतिन ने मोदी को फोन किया था और बातचीत के बारे में बताया था. यह मुलाकात ट्रंप की जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं से मुलाकात से कुछ घंटे पहले हुई थी.
वहीं, 9 अगस्त को अलास्का में बातचीत से पहले भी मोदी और पुतिन ने ताजा मामलों पर बातचीत की थी. तब रूस ने ट्रंप के टैरिफ लगाए जाने की आलोचना की थी और भारत के अपने व्यापारिक साझेदार चुनने के अधिकार का समर्थन किया था.
वहीं, इस हफ्ते की शुरुआत में ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने रूस-यूक्रेन युद्ध को “मोदी का युद्ध” बताया था. उन्होंने कहा था कि शांति का रास्ता, कम से कम आंशिक रूप से नई दिल्ली से होकर जाता है. भारत जो कर रहा है, उसके कारण अमेरिका में हर कोई हार रहा है.
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वहीं रूस से तेल खरीदने को लेकर भारत का रुख साफ है. रूस में भारतीय राजदूत विनय कुमार ने रूस की TASS समाचार एजेंसी को बताया कि भारतीय कंपनियां को जहां भी अच्छी डील मिलेगी वे वहीं से तेल खरीदना जारी रखेंगी. बता दें कि पुतिन इस साल दिसंबर में भारत आने वाले हैं.
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