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पाकिस्तान LoC पर तैनात कर रहा एंटी-ड्रोन सिस्टम, ऑपरेशन सिंदूर में भारत के ड्रोन्स ने हालत खराब कर दी थी

Pakistan नए Anti Drone और Air Defence Systems खरीदने के लिए Turkiye और China से भी बातचीत कर रहा है. कारण कि पाकिस्तान अपनी एंटी-ड्रोन क्षमताओं में महसूस की जा रही कमियों को दूर करना चाहता है, जिनकी पोल India ने Operation Sindoor के दौरान खोल दी थी.

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पाकिस्तान के सिस्टम भारतीय ड्रोन्स को रोकने में असमर्थ रहे थे ( PHOTO-India Today)

ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया का परिचय एक नए किस्म के युद्ध से हुआ. ये था ड्रोन युद्ध (Drone Warfare). 6 और 7 मई की दरम्यानी रात भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों पर हमला किया. ये हमला तो आतंकी ठिकानों पर किया गया, लेकिन इससे पाकिस्तान में बैठे हुक्मरानों को काफी तकलीफ हुई. इससे बौखला कर उन्होंने भारत के नागरिक ठिकानों पर हमले शुरू किए. लेकिन सबसे अधिक हमला पाकिस्तान ने ड्रोन्स से किया. पाकिस्तान ने छोटे-बड़े, तुर्किए मेड (Baykar, Yiha Drone), चाइना मेड, हर तरह के ड्रोन्स से हमला किया. 

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लेकिन उसे ये अंदाजा नहीं था कि भारत भी बीते काफी समय से ड्रोन्स के क्षेत्र में काम कर रहा है. भारत ने जवाब दिया और हेरोप (Harop Drone) और हार्पी (Harpy Drone) जैसे खतरनाक कामिकाजे ड्रोन्स(Kamikaze Drones) भेजे. पाकिस्तान का एयर डिफेंस इन्हें रोकने में असमर्थ साबित हुआ. लिहाजा उसे भारी नुकसान हुआ. और इसी नुकसान से बचने को कोशिश में पाकिस्तान अब नियंत्रण रेखा (LoC) पर एंटी-ड्रोन सिस्टम्स की तैनाती कर रहा है.

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हेरोप और हार्पी ड्रोन (PHOTO-Wikimedia Commons)
आतंकी ठिकानों के आसपास एंटी ड्रोन सिस्टम

इंटेलिजेंस से जुड़े सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा के पास करीब 30 से अधिक एंटी-ड्रोन सिस्टम्स डिप्लॉय किए हैं. ये तैनाती पाकिस्तानी सेना की 12वीं इंफेंट्री डिवीजन कर रही है. इसका हेडक्वार्टर मर्री में है. इसके साथ ही 23वीं इंफेंट्री डिवीजन, जिसके तहत कोटली-भिंबर से लगी रेखा के ब्रिगेड आते हैं, वो भी इस डिप्लॉयमेंट में शामिल है. इंफेंट्री का मतलब वैसे तो पैदल सेना होता है. लेकिन आज के समय में लगभग हर आर्मी के इंफेंट्री सैनिक भी हर तरह के हथियार इस्तेमाल करने के लिए ट्रेंड होते हैं. और कोटली-भिंबर वो इलाके हैं जहां भारत ने आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की थी. लिहाजा इन जगहों पर पाकिस्तानी सेना अधिक सतर्कता बरत रही है. 

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File:Operation Sindoor Target Terrorist Camp Kotli Abbas.png - Wikimedia  Commons
कोटली का आतंकी कैंप जिसे भारत ने तबाह कर दिया था (PHOTO-Indian Army)
कहां-कहां तैनात किए गए एंटी-ड्रोन सिस्टम्स?

सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि ये सभी एंटी ड्रोन सिस्टम्स सेक्टर के हिसाब से तैनात किए गए हैं. रावलकोट में काउंटर-ड्रोन सिस्टम मुख्य रूप से 2nd आजाद कश्मीर ब्रिगेड द्वारा ऑपरेट किए जाते हैं, जो पुंछ सेक्टर में भारतीय ठिकानों के सामने वाले इलाकों के लिए जिम्मेदार है. कोटली में, यह जिम्मेदारी 3rd आजाद कश्मीर ब्रिगेड की है. ये ब्रिगेड राजौरी, पुंछ, नौशेरा और सुंदरबनी के सामने वाले सेक्टर को संभालती है. साथ ही भिंबर सेक्टर को 7th आजाद कश्मीर ब्रिगेड संभाल रही है. 

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भारतीय सेना द्वारा गिराए गए तुर्किए मेड पाकिस्तानी ड्रोन (PHOTO-India Today)

तैनात किए गए मुख्य सिस्टम में स्पाइडर काउंटर-UAS (अनमैन्ड एरियल सिस्टम) सिस्टम शामिल है, जो रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल कर ड्रोन्स को ढूंढता है. दावा किया जाता है कि यह 10 किलोमीटर तक की रेंज में छोटे लोइटरिंग म्यूनिशन (सुसाइड ड्रोन्स) और बड़े ड्रोन्स का पता लगा सकता है. इसे पाकिस्तान की कंपनी Global Industrial & Defence Solutions (GIDS) बनाती है. इसके अलावा, सफराह एंटी-UAV जैमिंग गन भी इस्तेमाल में है, जो एक कंधे पर रखकर चलाई जाने वाली सिस्टम है जिसकी प्रभावी रेंज लगभग 1.5 किलोमीटर है. इसे ड्रोन कंट्रोल, वीडियो और GPS लिंक (कनेक्शन) को डिस्टर्ब करने के लिए डिजाइन किया गया है.

 
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सफराह एंटी-UAV जैमिंग गन (PHOTO-X)

इसके अलावा पाकिस्तान नए ड्रोन और एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए तुर्की और चीन से भी बातचीत कर रहा है. कारण कि पाकिस्तान अपनी एंटी-ड्रोन क्षमताओं में महसूस की जा रही कमियों को दूर करना चाहता है, जिनकी पोल भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान खोल दी थी.

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