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हरियाणा के 600 अस्पताल मोदी सरकार की आयुष्मान योजना को दिखाएंगे ठेंगा? 7 अगस्त से सुविधा बंद की चेतावनी

आयुष्मान भारत योजना साल 2018 में शुरू की गई थी. इसके तहत गरीब और कमजोर परिवारों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज किया जाता है.

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400 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान को लेकर IMA ने 3 फरवरी से सेवाएं बंद करने की चेतावनी दी थी. (फोटो- X)

हरियाणा के लगभग 600 प्राइवेट अस्पतालों में आयुष्मान भारत-प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के तहत इलाज मिलना जल्द ही बंद हो सकता है. इन अस्पतालों का प्रतिनिधित्व करने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने योजना से जुड़े 500 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान को लेकर चेतावनी दे दी है. IMA ने कहा है कि अगर 7 अगस्त तक ये बकाया नहीं चुकाया गया, तो वो इस योजना के तहत इलाज बंद कर देंगे.

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इस संबंध में IMA ने आयुष्मान भारत हरियाणा की सीईओ संगीता तेतरवाल को लेटर भी लिखा है. इसमें बताया गया है कि बकाया भुगतान न होने के कारण निजी अस्पतालों के लिए योजना को जारी रखना असंभव हो गया है. IMA ने लेटर में कहा,

"इन अस्पतालों के लिए 7 अगस्त से आयुष्मान सेवाएं जारी रखना तब तक संभव नहीं होगा जब तक कि सभी भुगतान (15 जुलाई तक लंबित) नहीं हो जाते. हरियाणा के गरीब लोगों को होने वाली किसी भी असुविधा की जिम्मेदारी पूरी तरह से हरियाणा सरकार के कंधों पर होगी. जो ना तो पर्याप्त बजट उपलब्ध करा रही है और ना ही इस योजना की प्रक्रिया को सुचारू बना रही है."

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पहले भी बकाया की बात रखी थी

ये पहली बार नहीं है जब IMA ने इस मुद्दे को उठाया है. जनवरी में भी संगठन ने 400 करोड़ रुपये के बकाया भुगतान को लेकर 3 फरवरी से सेवाएं बंद करने की चेतावनी दी थी. उस समय भुगतान लगभग पूरा कर दिया गया था. IMA हरियाणा के डॉक्टर महावीर जैन ने इंडिया टुडे को बताया,

“राज्य में लगभग 5 लाख लोगों को आयुष्मान कार्ड जारी किए गए हैं, जिनमें 600 से ज्यादा निजी अस्पताल शामिल हैं. लाभार्थियों को मुफ्त इलाज मिलता है और अस्पतालों को सरकार द्वारा इसकी पेमेंट की जाती है. हालांकि, मार्च से पेमेंट रोक दी गई हैं. हम इतने वित्तीय दबाव में काम नहीं कर सकते.”

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IMA पंचकूला के सचिव डॉक्टर कुलदीप मंगला ने छोटे अस्पतालों के सामने आने वाली चुनौतियों पर अपनी बात रखी. उन्होंने बताया,

“हम पीएम मोदी के विजन के सम्मान में आयुष्मान भारत योजना में शामिल हुए. लेकिन हमारे बिल छह महीने तक के लिए अटके रहते हैं, खासकर मार्च से. मनमाने तरीके से कटौती की जाती है और हमारी शिकायतों को नजरअंदाज किया जाता है. बड़े अस्पतालों के विपरीत, हमारे पास आय का कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं है. अगर ऐसा ही चलता रहा, तो हममें से कई लोग अपना काम बंद करने और दूसरा काम ढूंढने पर मजबूर हो सकते हैं.”

2018 में शुरू हुई थी योजना

आयुष्मान भारत योजना साल 2018 में शुरू की गई थी. इसके तहत गरीब और कमजोर परिवारों को प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक के मुफ्त इलाज की सुविधा दी जाती है. बुजुर्गों के लिए ये 10 लाख रुपये है. हरियाणा में इस योजना के तहत 1,300 अस्पताल सूचीबद्ध हैं. इनमें से 600 निजी हैं. 2022 में शुरू की गई चिरायु योजना ने इस दायरे को बढ़ाया. इसमें 1 लाख 80 हजार रुपये तक की आय वाले परिवारों को मुफ्त इलाज मिलता है. साथ ही 1 लाख 80 हजार से 3 लाख रुपये तक की आय वालों को 1,500 रुपये का वार्षिक लाभ मिलता है.

IMA का कहना है कि मार्च से अस्पतालों को उनके बिल का केवल 10-15% भुगतान मिला है, जिससे कई अस्पताल वित्तीय संकट में हैं. कुछ अस्पताल मरीजों को वापस करने या अपने संसाधनों का उपयोग करने को मजबूर हैं. यदि ये बकाया समय पर नहीं चुकाया गया, तो हजारों गरीब मरीजों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं. 

हरियाणा सरकार ने आश्वासन दिया है कि वो इस मुद्दे को हल करने के लिए काम कर रही है. लेकिन IMA का कहना है कि बार-बार की देरी और अपर्याप्त बजट से उनकी विश्वसनीयता प्रभावित हो रही है.

राज्य की स्वास्थ्य मंत्री आरती सिंह राव ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने इंडिया टुडे से बातचीत में बताया कि सरकार सभी अस्पतालों का बकाया जल्द से जल्द चुकाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. इसके लिए पेमेंट जारी करने का निर्देश पहले ही जारी किया जा चुका है.

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