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NCRB रिपोर्ट 2023: हर तीन मिनट में एक बच्चा जुर्म का शिकार, यूपी सबसे खतरनाक!

NCRB Data: मर्डर, महिलाओं के प्रति अपराध में यूपी सबसे ऊपर. मध्य प्रदेश में बच्चों के खिलाफ सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए. वहीं खेती-किसानी से जुड़े 10 हजार से अधिक लोगों ने अपनी जान दे दी.

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देश भर में साइबर क्राइम के मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है (PHOTO-Pexels)

भारत में साइबर अपराध और महिलाओं के प्रति होने वाले अपराध बढ़ते जा रहे हैं. ऑनलाइन धोखाधड़ी, साइबर फ्रॉड, डिजिटल अरेस्ट और डीपफेक से फर्जी और अश्लील वीडियो बनाने जैसे मामलों में बढ़ोतरी देखने को मिली है. मीडिया रिपोर्ट्स को देखें तो अखबार से लेकर ऑनलाइन, हर जगह, हर दिन एक खबर ऑनलाइन फ्रॉड की मिल ही जाएगी. और अब एक रिपोर्ट आई है जिसमें इस बात की पुष्टि हुई है कि देश भर में अन्य अपराधों की तुलना में ऑनलाइन अपराधों और साइबर फ्रॉड (Increase in Cyber Fraud) में बढ़ोतरी हुई है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB Report 2023) की रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध बीते 10 सालों में सबसे अधिक थे. सबसे ज्यादा मर्डर यूपी में देखने को मिले.

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दो साल बाद जारी हुई 2023 की NCRB रिपोर्ट

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB, देश भर में होने वाले अपराधों का डेटा रखती है. ब्यूरो ने 29 सितंबर 2025 को साल 2023 का डेटा जारी किया है. इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2023 में भारत में 62.4 लाख अपराध दर्ज किए गए. इस आंकड़े को देखें तो 2023 में हर 5वें सेकेंड देश में एक अपराध हुआ. रिपोर्ट में ये देखने को मिला कि साइबर फ्रॉड, रैश ड्राइविंग (सड़क पर खतरनाक ढंग से गाड़ी चलाना) जैसे मामलों में उछाल देखने को मिला है.

साल 2023 में इंडियन पीनल कोड (IPC) की धाराओं में 37.6 लाख अपराध दर्ज हुए. 2024 में IPC को बदल कर भारतीय न्याय संहिता (BNS) कर दिया गया था. लेकिन 2022 से देखें तो साल 2023 में IPC की धाराओं में 5.7 प्रतिशत मामले अधिक दर्ज हुए.

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इसके अलावा कुछ कानून ऐसे होते हैं जो राज्य और जगह के हिसाब से बदलते रहते हैं. वहीं कुछ कानून ऐसे होते हैं जो विशेष मामलों में लागू होते हैं. उदाहरण के लिए नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सबस्टान्सेस एक्ट, 1985 ( NDPS Act 1985). ऐसे कानूनों को स्पेशल लॉ कहा जाता है. NCRB 2023 के मुताबिक ऐसे 'स्पेशल एंड लोकल लॉ' के 24.8 लाख मामले सामने आए. बीते साल की तुलना में ये 9.5 प्रतिशत अधिक था. इस रिपोर्ट के कुछ मुख्य बिंदुओं को देखें तो- 

  • मर्डर के मामलों में 2.8 प्रतिशत कमी आई. 
  • रेप के मामलों में भी कमी देखने को मिली. 
  • अपहरण के मामले 5.6 प्रतिशत बढ़ गए. 
  • बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराध 9.2 प्रतिशत बढ़े. 
  • महिलाओं के साथ होने वाले अपराध में 0.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. 
  • अनुसूचित जाति के साथ होने वाले अपराध 0.4 प्रतिशत बढ़े. जबकि अनुसूचित जनजातियों के साथ होने वाले अपराध 28.8 प्रतिशत बढ़ गए. 
  • साइबर क्राइम के मामलों में जबरदस्त रूप से 31.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

सबसे तेज वृद्धि हुई IPC अपराधों (तेज गति से गाड़ी चलाना, पति/रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता) में हुई, जो 9.6% थी. इसके बाद अन्य IPC अपराधों में 8.2% की बढ़ोतरी हुई. वहीं जालसाजी, धोखाधड़ी और में भी 6.2% की वृद्धि हुई. यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि 2023 IPC के तहत डेटा का अंतिम साल था, क्योंकि जुलाई 2024 में नई भारतीय न्याय संहिता (BNS) लागू हो गई.

महिलाओं के साथ अपराध 

देश भर में यूपी एक ऐसा राज्य रहा जहां महिलाओं के खिलाफ अपराध के सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए. यूपी में कुल 66,382 मामले दर्ज हुए. वहीं यूपी के बाद महाराष्ट्र में 47,101; राजस्थान में 45,450; पश्चिम बंगाल में 34,691 और मध्य प्रदेश में 32,342 मामले दर्ज किए गए. 2023 में देश में दुष्कर्म के कुल 29,670 मामले दर्ज किए गए. सबसे ज्यादा 5,078 मामले राजस्थान और 3,516 मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए. दिल्ली में 1,094 मामले सामने आए.

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दहेज हत्या के मामलों में भी उत्तर प्रदेश सबसे ऊपर रहा. सीएम योगी कितना भी दावा करें कि राज्य में सब ठीक है, लेकिन उनके दूसरी बार सीएम बनने के अगले साल ही दहेज हत्या के सबसे अधिक मामले यूपी में ही सामने आए. यूपी में 2,122 मामले सामने आए. वहीं दूसरा नंबर पड़ोसी राज्य बिहार का रहा जहां 1,143 मामले सामने आए.

बच्चों के खिलाफ अपराधी में एमपी सबसे ऊपर 

NCRB डेटा के अनुसार 2023 में बच्चों के प्रति अपराध के कुल 1.77 लाख मामले दर्ज किए गए. 2022 में ये आंकड़ा 1.62 लाख था. यानी साल भर के भीतर ही ऐसे अपराधों में 9.2% की बढ़ोतरी देखने को मिली. इनमें सबसे अधिक 22,293 मामले सिर्फ एक राज्य मध्य प्रदेश में सामने आए. कुल मिलाकर देखें तो हर तीन मिनट में एक बच्चा अपराध का शिकार हुआ.

किसानों की आत्महत्या 

सरकारें किसानों के लिए कई तरह की योजनाएं चलाने का दावा करती है. बावजूद इसके 2023 में खेती-किसानी से जुड़े 10,700 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान दे दी. इसमें सबसे ज्यादा 38.5% लोग लोग महाराष्ट्र से थे. महाराष्ट्र के बाद 22.5% लोग कर्नाटक से थे. यहां गौर करने वाली बात ये है कि खेती-किसानी से जुड़े सभी पीड़ितों में से 66.2% लोगों की सालाना आय एक लाख रुपये से भी कम थी.

वीडियो: महिलाओं के खिलाफ अपराध की पीएम मोदी ने क्या सजा बता दी?

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