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'थर्ड पार्टी को पर्सनल डेटा नहीं दूंगी' MP में टीचर ने अटेंडेंस ऐप चलाने से इंकार कर दिया

घटना Madhya Pradesh के Jabalpur की है. टीचर ने कहा है कि शासन द्वारा फोन के डेटा की सुरक्षा का आश्वासन, क्षतिपूर्ति के आश्वासन के बिना किसी थर्ड पार्टी एप्प को फोन की एक्सेस देना संभव नहीं है.

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टीचर ने सरकार को अपने निजी फोन का एक्सेस देने से इंकार कर दिया है (PHOTO-AI)

'ये मेरा मोबाइल है, इसमें मेरा डेटा है. मैं क्यों किसी एप्प को अपने फोन का एक्सेस दूं'? ये सवाल है मध्य प्रदेश के जबलपुर की एक टीचर का. दरअसल मध्य प्रदेश में स्कूली शिक्षा विभाग ने सभी टीचरों के लिए स्कूल में ई-अटेंडेंस को अनिवार्य कर दिया है. टीचर इसका पालन भी कर रहे हैं. लेकिन सभी टीचर सरकार द्वारा लागू किए गए इस सिस्टम से खुश नहीं हैं. जबलपुर में टीचर ज्योति पांडे राजकीय हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाने वाली ज्योति को स्कूल से नोटिस मिला है. और इस नोटिस के जवाब ने सभी को हैरान कर दिया है.

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हमारे शिक्षक एप्प में कुछ इस तरह से अटेंडेंस दर्ज की जाती है (PHOTO- Google Play Store)
क्या है पूरा मामला?

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर्स को कहा है कि वो अपने मोबाइल में एप्प डाउनलोड कर उस से अपना ई-अटेंडेंस लगाया करें. दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक जबलपुर के महाराजपुर स्थित स्कूल में कार्यरत ज्योति पांडे ने ऐसा नहीं किया. लिहाजा उन्हें नोटिस भेजा गया कि वो जल्द से जल्द 'हमारे शिक्षक' एप्प डाउनलोड करें. कुल चार टीचरों को नोटिस आया जिसमें से तीन ने तकनीकी कारण से एप्प डाउनलोड न कर पाने की बात कही. लेकिन ज्योति पांडे का जवाब ऐसा था कि उसने सुर्खियां बना ली. साथ ही ये सवाल फिर से उपजा कि मोबाइल एप्प को दी जाने वाली तमाम परमिशन हमारी प्राइवेसी के लिए कितना बड़ा खतरा है?

ज्योति पांडे ने अपने जवाब में लिखा

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वर्तमान में जो एंड्रॉयड फोन मेरे पास है, वो शासन द्वारा नहीं दिया गया. वो मेरा निजी फोन है. उसमें मेरी निजी जानकारी, फोटो, व्यक्तिगत जानकारी के साथ बैंक आदि से जुड़ी वित्तीय जानकारी भी है. शासन द्वारा इसके डेटा की सुरक्षा का आश्वासन, क्षतिपूर्ति के आश्वासन के बिना किसी थर्ड पार्टी एप्प को फोन की एक्सेस देना संभव नहीं है.

ज्योति अपने जवाब में आगे लिखती हैं,

शासन को किसी एप्प के माध्यम से मेरी लोकेशन, कैमरा, फोटो की एक्सेस देने से मेरे 'निजता के मौलिक अधिकार' का उल्लंघन होता है.

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इसके अलावा भी ज्योति ने कुछ और कारण बताए. उन्होंने कहा कि उनका फोन हमेशा उनके पास नहीं होता. बेटी की पढ़ाई के लिए वो फोन घर पर भी छोड़ कर आती हैं. इसके अलावा ज्योति पांडे ने साइबर फ्रॉड, बैंक फ्रॉड की आशंका जताते हुए कहा कि एक्सेस देने से उनके बैंक में सेंध लग सकती है. ज्योति मांग करती हैं कि अगर शासन उन्हें अलग फोन और सिम देगा, तो ही वो इस एप्प का उपयोग कर पाएंगी.

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टीचर ज्योति का लेटर सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है (PHOTP-Social Media)
शिक्षक संघ ने किया समर्थन

इस मामले में टीचर्स का एक संघ ज्योति पांडे के समर्थन में उतर आया है. आजाद अध्यापक संघ के प्रदेश अध्यक्ष भरत पटेल ने ज्योति के जवाब का समर्थन करते हुए इसे पूरी तरह उचित बताया. उन्होंने आरोप लगाया कि ई-अटेंडेंस ऐप के जरिए डेटा चोरी और साइबर धोखाधड़ी की घटनाएं सामने आई हैं. कई शिक्षकों के बैंक खातों से पैसे निकाले गए हैं और ऐप के जरिए अवांछित कॉल भी आ रही हैं. पटेल ने सुझाव दिया कि सरकार को शिक्षकों को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने का कोई वैकल्पिक तरीका उपलब्ध कराना चाहिए, ताकि उन्हें अपने निजी मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करना पड़े.

वहीं इस मामले पर शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी ने कहा कि उन्हें फिलहाल इस नोटिस के बारे में कोई जानकारी नहीं है, लेकिन इतना तय है कि सरकारी आदेशों का हर हाल में पालन होना चाहिए. सरकार ने ई-अटेंडेंस को लेकर नियम बनाए हैं, जिनका ज्यादातर शिक्षक पालन कर रहे हैं. इस मामले में जल्द ही उचित निर्णय लिया जाएगा.

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