दिवाली में पटाखे के नाम पर चलाई गई कैल्शियम कार्बाइड गन ने दर्जनों लोगों को अस्पताल पहुंचा दिया है. मध्य प्रदेश के अलग-अलग अस्पतालों में करीब 125 लोगों का इलाज चल रहा है, जिनमें बच्चों की संख्या काफी ज्यादा है. इनमें से 60 अकेले राजधानी भोपाल के अस्पतालों में भर्ती हैं. कैल्शियम कार्बाइड गन से घायल हुए ज्यादातर बच्चों की उम्र 8 से 14 साल है. बताया जा रहा है कि इस गन से खतरनाक किस्म की गैस निकलती है, जिससे बच्चों की सेहत पर गंभीर असर पड़ सकता है.
दिवाली पर खूब चली कार्बाइड गन, दर्जनों बच्चे अस्पताल में भर्ती, कोई जल गया, किसी को दिख नहीं रहा
MP Carbide Gun Diwali: गैस लाइटर, प्लास्टिक पाइप और कैल्शियम कार्बाइड से बनी ये ‘खतरनाक’ गन इस दिवाली पर खूब चलन में रही. एक अधिकारी ने बताया कि गन में मौजूद कैल्शियम कार्बाइड पानी के संपर्क में आने पर एसिटिलीन गैस बनाता है और चिंगारी के संपर्क में आने पर फट जाता है.


आजतक से जुड़े रवीश पाल की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पतालों के आंकड़ों में 125 से ज्यादा लोगों के नाम दर्ज हैं, जिनकी आंखें पटाखों की वजह से खतरे में हैं. दिवाली के मौके पर इन पटाखों को 150-200 रुपये में बेचा जा रहा था. सोशल मीडिया पर ये पानी वाले पटाखे के नाम से पॉपुलर है और मार्केट में कैल्शियम कार्बाइड गन के नाम से बिकते हैं.
जानकारों ने क्या बताया?मामले पर भोपाल के मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) मनीष शर्मा ने कहा,
कार्बाइड पाइप गन बहुत खतरनाक होती हैं. इन गनों के इस्तेमाल से घायल हुए 60 लोगों का अब भी राज्य की राजधानी के अस्पतालों में इलाज चल रहा है. सभी सुरक्षित हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक पांच लोगों का इलाज सेवा सदन अस्पताल में चल रहा है. जबकि अन्य को हमीदिया अस्पताल, जेपी अस्पताल और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में भर्ती कराया गया है. अधिकारियों ने बताया कि ज्यादातर मामलों में किसी मरीज की जान को कोई खतरा नहीं है. फिर भी कई मरीजों की आंखों को गंभीर नुकसान पहुंचा है. कुछ की आंखों की रोशनी चली गई है और कुछ के चेहरे जल गए हैं.
भोपाल में नेत्र रोग की जानकार डॉ. अदिति दुबे ने बताया कि दिवाली पर अक्सर सुतली बम या रस्सी बम से घायल लोग आते थे. लेकिन इस बार कैल्शियम कार्बाइड बम के काफी मरीज आए. उन्होंने बताया कि इस पटाखे में कुछ ऐसे केमिकल डाले गए हैं, जिसकी वजह से लोगों की आंखें डैमेज हो गईं. डॉक्टर ने बताया कि भोपाल के अलावा भी कई शहरों ऐसे केसेज मिले हैं.
वहीं, आंखों से जुड़ी बीमारियों की एक और जानकार डॉ. कविता कुमार ने इंडिया टुडे को बताया इस पटाखे से छोटे-छोटे कई सारे प्लास्टिक के टुकड़े निकलते हैं, जो सीधा आंख में जाकर उसे डैमेज करते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ बच्चों की आंखें पूरी तरह से सफेद पड़ चुकी हैं.
Calcium Carbide Gunगैस लाइटर, प्लास्टिक पाइप और कैल्शियम कार्बाइड से बनी ये ‘खतरनाक’ गन इस दिवाली खूब चलन में रही. एक अधिकारी ने बताया कि गन में मौजूद कैल्शियम कार्बाइड पानी के संपर्क में आने पर एसिटिलीन गैस बनाता है और चिंगारी के संपर्क में आने पर फट जाता है.
जानकारों के मुताबिक, पाइप से निकले छोटे प्लास्टिक के टुकड़े, छर्रे की तरह शरीर में घुसकर गंभीर चोटें पहुंचाते हैं और विभिन्न अंगों, खासकर आंखों, चेहरे और त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं.
हमीदिया अस्पताल में इलाज करा रहे 14 साल के हेमंत पंथी और 15 साल के आरिस के परिवारों ने इस गन की उपलब्धता के लिए प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग की है. आरिस के पिता सारिख खान ने कहा,
ऐसी गन बाजार में बिकनी ही नहीं चाहिए. इन्हें बनाने और बेचने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए. बच्चों के इलाज पर हुए खर्च के लिए मुआवजा दिया जाना चाहिए.
दूसरी तरफ, CMHO मनीष शर्मा ने बताया कि प्रशासन कार्बाइड गन्स बनाने और बेचने वालों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहा है.
बताते चलें, 18 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अधिकारियों के साथ एक बैठक की थी. इसमें उन्होंने राज्य भर के जिलाधिकारियों और पुलिस अधिकारियों को कार्बाइड पाइप वाली गन्स की बिक्री रोकने के निर्देश दिए थे. लेकिन बाजार में ये उपकरण धड़ल्ले से बिक रहे थे.
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