देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की समाधि (Manmohan Singh Memorial) के लिए तीन संभावित जगहों की पहचान की गई है. ये जगहें हैं- एकता स्थल, विजय घाट और राष्ट्रीय स्मृति स्थल. इस मामले पर अंतिम फैसला लिया जाना अभी बाकी है. इंडियन एक्सप्रेस ने रिपोर्ट किया है कि ‘गृह मंत्रालय’ और ‘आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय’ के शीर्ष अधिकारियों की एक हाई लेवल मीटिंग के बाद ये फैसला लिया गया है.
मनमोहन सिंह के स्मारक के लिए तय हुईं जगहें, हाई लेवल मीटिंग के बाद लिया गया फैसला
पूर्व प्रधानमंत्री Manmohan Singh की समाधि के लिए भूमि का आवंटन, ट्रस्ट की स्थापना के बाद होगा. परिवार को ट्रस्ट के सदस्यों को नॉमिनेट करने के लिए कहा जाएगा.
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एकता स्थल पर पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की समाधि है. विजय घाट पर भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की समाधि है. राष्ट्रीय स्मृति स्थल, दिवंगत नेताओं के लिए एक स्मारक परिसर है. विजय घाट, महात्मा गांधी के स्मारक ‘राजघाट’ के पास मुख्य रिंग रोड पर स्थित है. एकता स्थल, जवाहरलाल नेहरू की समाधि ‘शांति वन’ और विजय घाट के बीच है. राष्ट्रीय स्मृति स्थल ‘एकता स्थल के’ पास है.
इंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि शहरी विकास सचिव ‘के श्रीनिवास’, सिंह के परिवार को इन जगहों के बारे में जानकारी देंगे. समाधि के लिए भूमि आवंटन, ट्रस्ट की स्थापना के बाद होगा. परिवार को ट्रस्ट के सदस्यों को नॉमिनेट करने के लिए कहा जाएगा.
26 दिसंबर को मनमोहन सिंह के निधन के बाद कांग्रेस ने स्मारक बनाने की मांग की थी. सरकार ने इस पर सहमति दे दी थी. सिंह का अंतिम संस्कार दिल्ली के निगमबोध घाट पर हुआ था. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ कई कांग्रेस नेताओं ने इसके लिए केंद्र सरकार की आलोचना की. उन्होंने इसे पूर्व प्रधानमंत्री का अपमान बताया.
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विवाद बढ़ा तो भाजपा अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने सरकार का बचाव किया. उन्होंने कांग्रेस पर गलत जानकारी फैलाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि स्मारक के लिए संभावित जगह की पहचान कर ली गई है और सिंह के परिवार के साथ बातचीत की जा रही है.
इससे पहले कांग्रेस ने ‘शक्ति स्थल परिसर’ में जगह चिह्नित करने का सुझाव दिया था. यहां पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की समाधि है. ये जगह, किसान घाट के साथ-साथ राजघाट के भी करीब है. कांग्रेस ने दावा किया था कि इस मामले में उनके अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया गया था. इस आरोप के बाद फिर से एक आधिकारिक बयान जारी किया गया.
गृह मंत्रालय ने बताया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सिंह के परिवार के सदस्यों और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ इस मामले पर चर्चा की थी.
प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, सिंह की UPA सरकार ने व्यक्तिगत स्मारकों के खिलाफ रुख अपनाया था. जगह की कमी का हवाला देते हुए, उनके मंत्रिमंडल ने 2013 में ‘राष्ट्रीय स्मृति स्थल’ को दिवंगत नेताओं के लिए एक ही स्मारक स्थल बनाने का प्रस्ताव पारित किया था.
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