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मणिपुर: फ्री मूवमेंट अभियान के पहले ही दिन हिंसा, सुरक्षाबलों ने दागे आंसू गैस के गोले

Manipur Free Movement: मैतेई और कुकी बहुल क्षेत्रों के बीच लोगों की मुक्त आवाजाही बाधित थी. मई 2023 में संघर्ष शुरू होने के बाद , समुदायों के बीच विश्वास टूट गया. मैतेई लोग कुकी-बहुल पहाड़ियों से चले गए, जबकि कुकी ने मैतेई-बहुल क्षेत्रों को छोड़ दिया.

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केंद्र सरकार के आदेश पर Manipur में फ्री मूवमेंट अभियान चलाया जा रहा है . (फोटो: इंडिया टुडे)

केंद्र सरकार ने मणिपुर में सुरक्षित आवागमन को सुनिश्चित करने का आदेश (Manipur Free Movement) दिया था. आज यानी 8 मार्च से 'फ्री मूवमेंट अभियान' की शुरुआत की गई. लेकिन इस प्रयास के पहले ही दिन राज्य से हिंसा (Manipur Violence) भड़क गई. राजधानी इम्फाल से सेनापति जिला होते हुए कांगपोकपी तक और इम्फाल से चुराचांदपुर होते हुए बिष्णुपुर तक बस सेवाएं शुरू की गईं. इसके अलावा अन्य प्रमुख रास्तों पर भी बसें चलाई गईं. 

तनाव तब बढ़ा जब इम्फाल से सेनापति जा रही बसों के काफिले को कुकी बहुल इलाके में रोक दिया गया. घटना कांगपोकपी में हुई. सुरक्षाबलों ने हस्तक्षेप करते हुए बल प्रयोग किया. प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने और उन्हें सड़क से हटाने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे गए.

न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना में कई प्रदर्शनकारी घायल हो गए. स्थिति तब और बिगड़ गई जब प्रदर्शनकारियों ने निजी वाहनों में आग लगा दी. उन्होंने एनएच-2 (इंफाल-दीमापुर राजमार्ग) को भी जाम कर दिया और सरकारी वाहनों की आवाजाही में बाधा डालने के लिए टायर जलाए. प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर पत्थर बिछा दिए थे. पेड़ काटकर डाल दिए थे. उन्होंने सुरक्षाकर्मियों पर पत्थरबाजी भी की.

इस बीच फेडरेशन ऑफ सिविल सोसाइटी (FOCS), के एक शांति मार्च को पुलिस ने रोक दिया. 10 से अधिक वाहनों वाले इस मार्च को कांगपोकपी जिले में पहुंचने से पहले ही सुरक्षा बलों ने रोक दिया. पुलिस ने दावा किया कि उनके पास इस मार्च की अनुमति नहीं थी. एक पुलिसकर्मी ने कहा, 

हम सिर्फ आदेशों का पालन कर रहे हैं. हमें मार्च रोकने के लिए कहा गया है. अगर वो जाना चाहते हैं, तो वो राज्य की सराकरी बसों में जा सकते हैं.

हालांकि, FOCS के सदस्यों ने ये कहते हुए विरोध किया कि वो अमित शाह के निर्देश का पालन कर रहे हैं, जिसके तहत पूरे राज्य में स्वतंत्र आवाजाही की अनुमति दी गई है.

इस बीच, कुकी समुदाय के स्वयंसेवकों के समूह द्वारा एक अज्ञात स्थान से कथित तौर पर एक वीडियो जारी किया गया. इसमें वो कह रहे हैं कि वो इस स्वतंत्र आवाजाही के बारे में भारत सरकार के फैसले के खिलाफ हैं. हालांकि, वीडियो की प्रमाणिकता की पुष्टि नहीं हो सकी है. वीडियो में एक स्वयंसेवक को यह कहते हुए सुना गया, 

हमारे क्षेत्रों में घुसने के किसी भी प्रयास का जवाब दिया जाएगा. एक अलग प्रशासन की व्यस्था से पहले कोई स्वतंत्र आवाजाही नहीं होगी.

मैतेई और कुकी बहुल क्षेत्रों के बीच लोगों की मुक्त आवाजाही बाधित थी. मई 2023 में संघर्ष शुरू होने के बाद , समुदायों के बीच विश्वास टूट गया. मैतेई लोग कुकी-बहुल पहाड़ियों से चले गए, जबकि कुकी लोगों ने मैतेई-बहुल क्षेत्रों को छोड़ दिया. तब से, गैस सिलेंडर और बाकी की जरूरी चीजों को ट्रकों के माध्यम से चुराचांदपुर, कांगपोकपी और सेनापति तक पहुंचाया जाता है. ताकि इन चीजों की कमी ना हो. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आदेश दिया था कि इन क्षेत्रों में सुरक्षित आवागमन को चालू किया जाए.

इस आदेश के बाद ही कुकी समुदाय के लोगों ने चेतावनी दी थी. उन्होंने कहा था कि उनकी मांगों पर विचार करने के बाद ही ऐसा कुछ किया जाए. 9 फरवरी को बीरेन सिंह ने सीएम पद से इस्तीफा दिया. इसके बाद 13 फरवरी को राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा. इसके बाद कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्यपाल अजय भल्ला के पास है. शाह के आदेश को अमल में लाने के लिए सुरक्षाबलों ने मणिपुर पुलिस के साथ मिलकर कदम उठाए थे.

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सुबह 9 बजे से, बीएसएफ-एस्कॉर्ट वाले काफिले ने मैतेई समुदाय के लोगों को इम्फाल हवाई अड्डे से कांगपोकपी के रास्ते सेनापति तक पहुंचाना शुरू कर दिया. जबकि सीआरपीएफ-एस्कॉर्ट वाले काफिले ने इम्फाल हवाई अड्डे और चुराचांदपुर के बीच बसों को एस्कॉर्ट किया. आगे भी सरकारी बसों को सुरक्षाबलों की ओर से सुरक्षा दी जाएगी.

मणिपुर के मुख्य सचिव पीके सिंह ने कहा है कि राज्य परिवहन की बसें सीएपीएफ के संरक्षण में चलेंगी. ताकि जनता की असुविधाओं को कम किया जा सके और राज्य में सामान्य स्थिति बहाल की जा सके. 12 मार्च से इम्फाल से चुराचांदपुर के बीच हेलीकॉप्टर सेवाएं शुरू होंगी. अधिकारियों ने ये भी कहा है कि सार्वजनिक आवागमन में बाधा डालने के किसी भी प्रयास पर सख्त कार्रवाई की जाएगी.

पिछले साल दिसंबर में मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की सरकार ने भी कुछ ऐसा ही प्रयास किया था. उन्होंने इम्फाल से कांगपोकपी और चुराचांदपुर तक सरकारी बसों की सुविधा शुरू की थी. लेकिन इसमें सफलता नहीं मिली. 

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