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आंध्रप्रदेश ने कर्नाटक के तोतापुरी आम पर लगाया बैन, किसान परेशान, सिद्धारमैया की नायडू से अपील

7 जून को चित्तूर के जिला कलेक्टर ने आदेश जारी कर कर्नाटक से आने वाले आमों पर बैन लगा दिया. आंध्र प्रदेश का चित्तूर जिला मैंगो पल्प निकालने और एक्सपोर्ट का एक प्रमुख केंद्र है. बैन की वजह से सैकड़ों टन तोतापुरी आम अब सीमा पर फंस गए हैं. सिद्धारमैया ने आम पर बैन लगाए जाने पर चिंता जताई है.

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सिद्धारमैया ने लिखा पत्रा.

साउथ के दो राज्यों में फलों के राजा ‘आम’ पर तकरार चल रही है. ये दो राज्य हैं आंध्र प्रदेश और कर्नाटक. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने आंध्र के सीएम एन. चंद्रबाबू नायडू को पत्र लिखकर चित्तूर जिले से तोतापुरी आमों की एंट्री से बैन हटाने के लिए कहा है. 

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 7 जून को चित्तूर के जिला कलेक्टर ने आदेश जारी कर कर्नाटक से आने वाले आमों पर बैन लगा दिया है. बैन को सुनिश्चित करने के लिए रेवेन्यू, पुलिस, वन और मार्केटिंग विभागों के अधिकारियों वाली टीमों को तमिलनाडु और कर्नाटक से सटे चेक-पोस्ट पर तैनात किया गया था. 

अब इस मामले को लेकर कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने इस मामले में आंध्र के सीएम नायडू से दखल की मांग की है. उन्होंने नायडू से जिला कलेक्टर के आदेश को रद्द करने की अपील की है. 

सिद्धारमैया ने पत्र में आम पर बैन लगाए जाने पर चिंता जताई है. उन्होंने इसे अचानक और एकतरफा कदम बताया है. उनका कहना है कि इस फैसले ने कर्नाटक के सीमावर्ती क्षेत्रों में आम के किसानों को बुरी तरह प्रभावित किया है. उन्होंने कहा कि ये किसान बड़ी मात्रा में ‘तोतापुरी’ आम उगाते हैं. 

कर्नाटक में आम उगाने वाले किसानों को होने वाली दिक्कत को देखते हुए उन्होंने कहा, 

ये किसान लंबे समय से अपनी उपज बेचने के लिए चित्तूर जिले के सिस्टम पर निर्भर हैं. मौजूदा बैन ने पूरे सिस्टम को बाधित कर दिया है. इसका सीधा असर हज़ारों किसानों की आजीविका पर पड़ रहा है. मुझे इस बात की भी चिंता है कि इससे तनाव और जवाबी कार्रवाई की स्थिति पैदा हो सकती है. 

इससे पहले 10 जून को कर्नाटक की मुख्य सचिव ने आंध्र प्रदेश सरकार को इस मुद्दे से अवगत कराया था. गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश का चित्तूर जिला मैंगो पल्प निकालने और एक्सपोर्ट का एक प्रमुख केंद्र है. 

बैन की वजह से सैकड़ों टन तोतापुरी आम अब सीमा पर फंस गए हैं. चूंकि आम का मौसम पूरे ज़ोरों पर है, इसलिए दोनों राज्यों पर अब इस मुद्दे को जल्दी से जल्दी सुलझाने और बड़े इंटर-स्टेट व्यापार संघर्ष से बचने का दबाव है.

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