सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल स्वर्ण मंदिर (Air Defense Gun At Golden Temple) में सेना को एयर डिफेंस गन तैनात करने की इजाज़त देने के दावे पर विवाद हो गया है. सेना के एयर डिफेंस इंचार्ज लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी'कुन्हा ने 19 मई को दावा किया था कि पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को नाकाम करने के लिए स्वर्ण मंदिर में सेना ने एयर डिफेंस गन तैनात किये थे. इसकी इजाज़त खुद स्वर्ण मंदिर के हेड ग्रंथी ने दी थी. लेकिन अब स्वर्ण मंदिर प्रबंधन ने सेना के दावे का खंडन किया है.
स्वर्ण मंदिर में एयर डिफेंस गन तैनात करने के दावे को हेड ग्रंथी ने किया खारिज
ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल स्वर्ण मंदिर को निशाना बनाने की कोशिश की थी. सेना के एक अधिकरी ने कहा था कि स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने हमें एयर डिफेंस गन तैनात करने की इजाज़त दी थी. लेकिन अब स्वर्ण मंदिर मैनेजमेंट ने सेना के अधिकारी के दावे का खंडन किया है.

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने सिखों के पवित्र धार्मिक स्थल स्वर्ण मंदिर को निशाना बनाने की कोशिश की थी. लेफ्टिनेंट जनरल डी'कुन्हा ने बीते दिनों न्यूज़ एजेंसी ANI को दिए एक इंटरव्यू दिया था. यह इंटरव्यू एजेंसी के यूट्यूब चैनल पर 19 मई को रिलीज़ हुआ. लेफ्टिनेंट जनरल डी'कुन्हा ने इंटरव्यू के दौरान कहा था,
यह काफी सराहनीय था कि स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने हमें एयर डिफेंस गन तैनात करने की इजाज़त दी थी. यह शायद बीते कई वर्षों में पहली बार है कि उन्होंने स्वर्ण मंदिर की लाइट बंद कीं. इस वजह से हम हम ड्रोन को आते हुए देख सके क्योंकि जब भी आपको रोशनी दिखाई देती है तो आप जानते हैं कि उससे कैसे निपटना है.
उन्होंने कहा कि स्वर्ण मंदिर के अधिकारियों को सीमापार के आने वाले खतरे की गंभीरता के बारे में बताया गया था. उन्होंने इस बात को समझा और खतरे को महसूस भी किया. इसके बाद बंदूकें तैनात करने की इजाज़त दी.
हेड ग्रंथी ने दावा खारिज कियास्वर्ण मंदिर प्रबंधन ने 20 मई को इस दावे को लेकर बयान जारी किया. उन्होंने सेना के अधिकारी के बयान को चौंकाने वाला बताया. X (पूर्व में ट्विटर) पर जारी बयान के मुताबिक, श्री हरमंदर साहिब के हेड ग्रंथी ज्ञानी रघबीर सिंह ने भी साफ किया कि सेना की कार्रवाई के दौरान वह विदेश यात्रा पर थे. उनके साथ बंदूकों की तैनाती के बारे में कोई बातचीत नहीं हुई और न ही श्री दरबार साहिब में ऐसी कोई घटना घटी.
अतिरिक्त हेड ग्रंथी ज्ञानी अमरजीत सिंह ने डी'कुन्हा के दावे को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने ज़ोर देकर कहा,
सेना के अधिकारी की ओर से हेड ग्रंथी की इजाज़त को लेकर किया गया दावा पूरी तरह से झूठ है. ऐसी कोई अनुमति कभी नहीं दी गई थी. न ही पवित्र स्थल पर ऐसी कोई तैनाती हुई थी.
उन्होंने दोहराया कि श्री दरबार साहिब, गुरु रामदास जी के लंगर और गुरुद्वारों के अन्य धार्मिक अनुष्ठान सख्त प्रोटोकॉल के तहत ही किए जाते हैं. किसी को भी उनमें दखल करने का अधिकार नहीं है. पिछले दिनों तनावपूर्ण स्थिति के बावजूद, श्री हरमंदर साहिब में धार्मिक ये सभी अनुष्ठान समर्पण और अनुशासन के साथ जारी थे.
ज्ञानी अमरजीत सिंह ने लाइट बंद करने के दावे पर कमेटी का पक्ष रखा. उन्होंने साफ किया,
SGPC ने ये कहाश्री हरमंदर साहिब के मैनेजमेंट ने सरकार की ओर से जारी ब्लैकआउट के दिशा-निर्देशों का पालन किया था. लेकिन मुख्य जगहों पर कोई भी लाइट बंद नहीं की गई थी. यहां तक कि ब्लैकआउट के दौरान भी नहीं. इन जगहों पर धार्मिक आचार संहिता का पालन किया जाता है, जो तब भी किया गया था. धार्मिक स्थल की पवित्रता को पूरी ज़िम्मेदारी के साथ बरकरार रखा गया था.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने भी कहा कि प्रशासन ने उनसे सिर्फ ब्लैकआउट के दौरान लाइट बंद करने के लिए में संपर्क किया था. जिला प्रशासन के दिशा-निर्देशों सिर्फ बाहरी लाइट बंद की गई थीं. गुरुद्वारे की मुख्य जगहों की पवित्रता को बनाए रखने के लिए प्रशासन ने भी पूरा सहयोग किया था.
एडवोकेट धामी ने कहा,
ब्लैकआउट के दौरान भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्री हरमंदर साहिब में आते रहे और सेवा करते रहे. अगर एयर डिफेंस गन तैनात हुई होती तो श्रद्धालुओं ने ज़रूर देखा होता. उन्होंने मांग की कि भारत सरकार साफ करे कि सेना के अधिकारियों की ओर से इस तरह के बयान क्यों जारी किए जा रहे हैं.
SGPC अध्यक्ष धामी ने भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान सेना के एक्शन को सराहा. लेकिन कहा कि एयर डिफेंस गन तैनात किए जाने के संबंध में सेना के किसी अधिकारी ने कोई संपर्क नहीं किया था.
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