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हाई कोर्ट ने हत्या करने वाले की उम्रकैद की सजा रोक दी और कहा- '10 पौधे लगाओ और उनकी फोटो भेजो'

Madhya Pradesh High Court ने कहा कि इन पौधों की देखभाल करने की जिम्मेदारी भी हत्या के दोषी की होगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि पौधों की फोटो रिहाई के दिन से 30 दिन के अंदर ट्रायल कोर्ट में जमा करनी होंगी.

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मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने उम्रकैद की सजा पर रोक लगाई. (फाइल फोटो: India Today)

मध्यप्रदेश हाई कोर्ट में हत्या के मामले का एक दोषी उम्रकैद की सजा पर रोक लगवाने के लिए पहुंचा था. कोर्ट ने उसकी सजा पर तो रोक लगा दी, लेकिन एक शर्त भी जोड़ दी. कोर्ट ने दोषी महेश शर्मा की उम्रकैद की सजा पर रोक लगाने के साथ उसे 10 फलदार या नीम/पीपल के पौधे लगाने और उनकी देखभाल करने का आदेश दिया. कोर्ट ने यह फैसला इस आधार पर लिया कि महेश शर्मा ने पहले ही 10 साल से ज्यादा जेल में गुजार चुके हैं और उसके दो साथी आरोपी, जिन्होंने लगभग उतना ही समय जेल में बिताया है, उन्हें जमानत मिल चुकी है.

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2021 में महेश शर्मा को एक ट्रायल कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या)/149 (गैरकानूनी तौर पर इकट्ठा होना) के तहत दोषी ठहराया था. ट्रायल कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसके खिलाफ महेश शर्मा ने मध्यप्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में याचिका दी. इसमें उसने हत्या के मामले में दोषी ठहराने और आजीवन कारावास की सजा को चुनौती दी.

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, महेश के वकील ने कोर्ट में दलील दी थी कि उनके क्लाइंट ने पहले ही 10 साल और 8 महीने की जेल काट ली है, और उसकी सजा के समय को ध्यान में रखते हुए उसकी सजा को निलंबित किया जाना चाहिए. वकील ने ये भी कहा कि महेश अच्छे कामों के जरिए समाज की सेवा करना चाहता है और इसीलिए उसे जमानत दी जाए.

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जस्टिस आनंद पाठक और जस्टिस पुष्पेंद्र यादव की डिवीजन बेंच ने महेश शर्मा की उम्रकैद की सजा पर रोक लगाने का फैसला दिया और उसे 50,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत देने का आदेश दिया. कोर्ट ने दो जमानती लाने को भी कहा है. इसके साथ ही उसे 10 पौधे लगाने का भी आदेश दिया गया. कोर्ट ने कहा कि इस अपील के निपटारे तक जेल की सजा पर रोक रहेगी, बशर्ते वह जुर्माने की राशि भी जमा कर दे. 

कोर्ट ने कहा कि इन पौधों की देखभाल करने की जिम्मेदारी भी महेश शर्मा की होगी. कोर्ट ने यह भी कहा कि पौधों की फोटो रिहाई के दिन से 30 दिन के अंदर ट्रायल कोर्ट में जमा करनी होंगी. इसके बाद उसे तीन-तीन महीने में इन पौधों की फोटो ट्रायल कोर्ट में भेजनी होंगी.

कोर्ट ने कहा,

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"यह साफ किया जाता है कि सजा के निलंबन के जरिए यह जमानत तब दी जाती है जब जमानत का मामला बनता है और उसके बाद पौधे लगाने का निर्देश दिया जाता है और यह ऐसा मामला नहीं है जहां कोई व्यक्ति सामाजिक उद्देश्य की सेवा करने का इरादा रखता है, उसे गुण-दोष (मेरिट) पर विचार किए बिना जमानत दी जा सकती है."

बेंच ने महेश को "सैटेलाइट/जियो-टैगिंग/जियो-फेंसिंग आदि के जरिए वृक्षारोपण की निगरानी के लिए हाई कोर्ट के निर्देश पर तैयार किए गए मोबाइल एप्लिकेशन (NISARG App) को डाउनलोड करके" ये फोटो सबमिट करने का निर्देश दिया.

कोर्ट ने यह भी साफ किया कि महेश शर्मा को जमानत देने का मकसद सिर्फ उसकी सामाजिक सेवा नहीं है, बल्कि यह एक कोशिश है कि समाज में अहिंसा, दया और प्रेम जैसे गुणों को बढ़ावा दिया जाए. कोर्ट ने कहा, "यह एक विचार का बीज बोना है, ना कि सिर्फ एक पेड़ लगाने का काम."

साथ ही हाई कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर महेश शर्मा किसी भी प्रकार से शिकायतकर्ता को परेशान करता है या उसकी वजह से कोई दिक्कत आती है, तो उसकी जमानत रद्द कर दी जाएगी.

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