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78 साल के बुजुर्ग को महीने भर तक डिजिटल अरेस्ट में रखा, 23 करोड़ लूट लिए

78 साल के रिटायर्ड बैंकर नरेश मल्होत्रा को ठगों ने एक महीने तक डिजिटल अरेस्ट में रखा. उन पर आतंकवादी गतिविधियों और धोखाधड़ी में शामिल होने का झूठा आरोप लगाकर लगभग 23 करोड़ रुपये ठग लिए.

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78 साल के रिटायर्ड बैंककर्मी डिजिटल अरेस्ट स्कैम का शिकार हो गए. (तस्वीर-इंडिया टुडे)

दिल्ली में 78 साल के रिटायर्ड बैंककर्मी डिजिटल अरेस्ट स्कैम का शिकार हो गए. ठगों ने खुद को टेलीकॉम अधिकारी और मुंबई पुलिस बताकर उन्हें करीब एक महीने तक डिजिटल अरेस्ट में रखा. इस दौरान उन पर आतंकवादी गतिविधियों और धोखाधड़ी में शामिल होने का झूठा आरोप लगाकर लगभग 23 करोड़ रुपये ठग लिए गए.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक मामला साउथ दिल्ली के गुलमोहर पार्क इलाके का है. वहां के रहने वाले 78 साल के रिटायर्ड बैंकर नरेश मल्होत्रा से ठगों ने महीनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा. इसकी जानकारी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की IFSO (इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस) यूनिट ने दी. उन्होंने बताया कि अगस्त में नरेश मल्होत्रा को एक फोन आया. कॉल करने वाले ने खुद को टेलीकॉम कंपनी का अधिकारी बताया. इसके दावा किया कि उनके मोबाइल नंबर का इस्तेमाल फ्रॉड और अवैध गतिविधियों में हो रहा है. इसके बाद दूसरे व्यक्ति ने कॉल की. उसने खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताया.

रिपोर्ट के मुताबिक ठगों ने उन्हें डराया कि उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है. उनके आधार कार्ड से कई बैंकों में अकाउंट खोले गए हैं. यहां तक कि उन्हें बताया गया कि जांच में उनके आतंकवादी संगठनों से लिंक मिले हैं. इसके बाद ठगों ने नरेश को 4 अगस्त से 4 सितंबर तक हर दो घंटे में वीडियो कॉल पर आने के लिए मजबूर किया. उन्हें एक जमानत आदेश भी भेजा गया. उन्होंने गोपनीयता बनाए रखने के नाम पर उनसे एक कमिटमेंट लेटर पर भी साइन करवा लिया.

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ठगों ने धमकी दी कि अगर उन्होंने पैसे नहीं दिए तो उनके परिवार को नुकसान पहुंचाया जाएगा. तब दबाव में आकर मल्होत्रा ने अपने शेयर तक बेच दिए. इसके बाद अलग-अलग खातों में लगभग 22.92 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए.

नरेश मल्होत्रा की शिकायत पर 19 सितंबर को FIR दर्ज की गई. IFSO यूनिट ने जांच शुरू कर दी है. शुरुआती कार्रवाई में पीड़ित के अकाउंट से ट्रांसफर हुई रकम में से करीब 2 करोड़ रुपये पर रोक लगा दी गई है.

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