सरकार महिलाओं के लिए कोई योजना शुरू करे और पुरुष उसका लाभ उठाएं, पढ़कर गुस्सा आना लाजिमी है. महाराष्ट्र में ठीक ऐसा ही हो रहा था. सरकार की ‘लाडकी बहीण योजना’ का लाभ ‘भाई लोग’ भी ले रहे थे. आरोप है कि हजारों पुरुषों ने इस योजना के तहत पैसे उठाने के लिए आवेदन किया था और लाभ भी उठा लिया था. इसके अलावा, पुणे जिला परिषद की मोटा वेतन वाली एक हजार से ज्यादा महिलाएं भी इस स्कीम का फायदा उठा रही थीं. स्कीम में इस बड़े घोटाले का खुलासा होने के बाद विभाग में हड़कंप मच गया. अब आरोपी लोगों पर बड़े एक्शन की तैयारी की जा रही है.
महाराष्ट्र की लाडली बहन योजना के पैसे 'भाई लोग' भकोस गए, मोटी कमाई वाली महिलाएं भी पीछे नहीं
महाराष्ट्र की महायुति सरकार की ओर से शुरू की गई लाडकी बहीण योजना में घोटाले का मामला सामने आया है. आरोप है कि पुणे जिला परिषद की एक हजार से ज्यादा महिला कर्मचारी गलत तरीके से इस योजना का फायदा उठा रही थीं.


यह योजना महाराष्ट्र चुनाव से ठीक पहले एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति गठबंधन सरकार ने शुरू की थी. बताया जाता है कि इस स्कीम ने उन्हें इतना फायदा पहुंचाया कि अगले विधानसभा चुनाव में गठबंधन बड़े बहुमत के साथ सत्ता में वापस लौटा.
एक हजार लोगों की लिस्ट भेजीइंडिया टुडे से जुड़े ओमकार वाबले की रिपोर्ट के मुताबिक, महिला और बाल विकास विभाग ने आरोपियों पर कार्रवाई का निर्देश दिया है. 1183 लोगों के नामों की लिस्ट भेजी गई है, जिन पर महाराष्ट्र सिविल सर्विस रूल के हिसाब से अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा गया है. हैरानी की बात ये है कि गलत तरीके से योजना का लाभ उठाने वालों में कई पुरुष भी शामिल थे. मीडिया रिपोर्ट्स में पुरुष लाभार्थियों की संख्या हजारों में बताई जा रही है. हालांकि, इसका कोई स्पष्ट और पुष्ट आंकड़ा अभी तक सामने नहीं आया है.
इन अनियमितताओं को रोकने के लिए विभाग में आंतरिक जांच के लिए भी कहा गया है. महिला और बाल विकास विभाग ने पुणे जिला परिषद के सीईओ को इस मुद्दे पर चिट्ठी भी लिखी है. उन्हें आरोपी कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने को कहा है. साथ ही इस एक्शन में क्या-क्या किया गया, इसकी रिपोर्ट भी भेजने का निर्देश दिया है.
क्या है लाडकी बहीण योजना?महाराष्ट्र चुनावों से ठीक पहले राज्य सरकार ने 21 से 65 साल की गरीब और जरूरतमंद महिलाओं के लिए लाडकी बहीण योजना शुरू की थी. इसके तहत उन महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये दिए जाते हैं जिनकी पारिवारिक आय सालाना ढाई लाख रुपये से कम है. बताया जा रहा है कि इस योजना की वजह से कई विभागों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया है. ऐसे में सरकार इस योजना में कुछ कटौती करने पर भी विचार कर रही है. सामाजिक न्याय और पिछड़ा विभाग के बजट को भी इस योजना में लगाया था जिसे लेकर शिंदे गुट और अजित पवार गुट में राजनीतिक खींचतान की भी खबरें आई थीं.
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