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असम में 18 साल से ऊपर के लोगों का आधार कार्ड नहीं बनेगा, हिमंता सरकार का बड़ा फैसला

असम में वयस्कों को अब आधार कार्ड जारी नहीं किए जाएंगे. मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि कैबिनेट की मीटिंग में ये फैसला अवैध प्रवासियों को यह जरूरी दस्तावेज हासिल करने से रोकने के लिए किया गया है.

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हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि असम में वयस्कों को आधार नहीं जारी किया जाएगा (India Today)

असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने एलान किया है कि अब राज्य में 18 से ज्यादा उम्र वाले लोगों का आधार कार्ड नहीं बनेगा. हालांकि, इस नियम से SC (अनुसूचित जाति), ST (अनुसूचित जनजाति) और चाय बागान मजदूरों की कम्युनिटी को एक साल की छूट मिलेगी. वह अगले साल तक आधार कार्ड के लिए आवेदन कर सकेंगे. अन्य जातियों के लोगों के पास इसके लिए सिर्फ एक महीना है. यानी अक्टूबर से उन्हें आधार कार्ड जारी नहीं किया जाएगा. विशेष परिस्थितियों में आधार कार्ड जारी ही करना होगा तो इसे पुलिस और फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल की सलाह से जिला कलेक्टर ही जारी करेंगे.

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नए नियम के बारे में बताते हुए सीएम सरमा ने कहा, 

असम कैबिनेट ने तय किया है कि अब 18 साल से ऊपर के लोगों को आधार कार्ड नहीं दिया जाएगा. सिर्फ SC-ST और चाय बागान मजदूरों को एक साल और समय मिलेगा. अगर किसी दूसरी जाति के व्यक्ति का अभी तक आधार कार्ड नहीं बना है, तो वह सितंबर महीने में ही आवेदन कर सकता है. इसके बाद उसे इसका मौका नहीं मिलेगा.

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हिमंता बिस्वा सरमा ने आगे कहा कि फिर भी अगर किसी बहुत ही खास और दुर्लभ स्थिति (Rare and rarest Case) में आधार देना पड़ा, तो इसकी जिम्मेदारी जिला कलेक्टर (DC) की होगी. DC को पुलिस की रिपोर्ट और फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल की रिपोर्ट देखकर ही आधार कार्ड जारी करना होगा.

सरमा ने इसका कारण बताते हुए कहा,

हम लगातार बांग्लादेशी नागरिकों को सीमा से वापस भेज रहे हैं. हम यह सिक्योरिटी चाहते हैं कि कोई भी गैर-कानूनी विदेशी असम में आकर आधार कार्ड बनवाकर भारतीय नागरिक होने का दावा न कर सके. हमने इस रास्ते को पूरी तरह से बंद कर दिया है.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, हिमंता का कहना है कि ये फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि असम में आधार कवरेज पहले से ही पूरा हो चुका है और यह कदम अवैध तरीके से आने वाले प्रवासियों (illegal immigrants) को रोकने के लिए बहुत जरूरी है.

1 अक्टूबर से लागू होगा नया नियम

नया नियम 1 अक्टूबर से लागू होगा. SC/ST और चाय बागान वाले समुदाय को एक साल का और समय दिया जाएगा. इसके बाद, 18 साल से ऊपर के लोगों को आधार कार्ड सिर्फ बहुत ही खास मामलों में मिलेगा. वह भी तभी, जब जिला कलेक्टर, पुलिस और फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल से रिपोर्ट लेने के बाद मंजूरी देंगे.

सरमा के मुताबिक, पिछले महीने भी कैबिनेट ने चर्चा की थी कि नए आधार कार्ड अब सिर्फ Deputy Commissioner ही जारी करेंगे, ताकि घुसपैठिए (infiltrators) इसका फायदा न उठा सकें. अभी तक की प्रक्रिया ये थी कि लोग आधार केंद्र में आवेदन करते थे और जिले में ADC या सर्किल ऑफिसर यह चेक करते थे कि आवेदक वास्तव में उसी जिले का रहने वाला है या नहीं.

ये सब ऐसे समय में हो रहा है जब बिहार में चुनाव आयोग ने नागरिकता साबित करने के लिए जरूरी दस्तावेजों से आधार कार्ड को बाहर कर दिया था. इसके लिए यही वजह बताई गई थी कि आधार कार्ड बहुत से अवैध नागरिकों के पास भी उपलब्ध हो गए हैं.

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