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पीएम मोदी की मणिपुर यात्रा से पहले केंद्र का बड़ा दावा, फ्री मूवमेंट के लिए राजी हुए कुकी

केंद्र सरकार ने कहा है कि Kuki समुदाय ने Manipur में फ्री मूवमेंट के लिए अपनी सहमति दे दी है. लेकिन इसके बाद भी केंद्र सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है.

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ऑपरेशन 'सहयोग' के तहत मणिपुर के छुरछंदपुर में राशन पहुंचाते सेना के जवान. (फाइल फोटो: PTI, 1 अगस्त)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की संभावित मणिपुर यात्रा से कुछ दिन पहले, 4 सितंबर को केंद्र सरकार ने दावा किया है कि कुकी समुदाय ने मणिपुर में फ्री मूवमेंट (Manipur Free Movement) पर सहमति दे दी है. केंद्र ने कुकी समूहों के साथ एक नए SoO यानी 'सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशंस' पर हस्ताक्षर की घोषणा की है. इसके तहत कुकी समुदाय, मैतेई इलाकों के पास से अपने कैंप हटा लेंगे और ‘मणिपुर की क्षेत्रीय अखंडता’ पर सहमत होंगे.

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मई 2023 से मणिपुर जातीय हिंसा की चपेट में है. फ्री मूवमेंट की शुरुआत, यहां स्थिति को सामान्य बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा. 13 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर जाने की संभावना है. हिंसा शुरू होने के बाद से ये उनकी पहली मणिपुर यात्रा होगी.

स्वतंत्र आवाजाही को अगर कुकी पक्ष का पूरा समर्थन मिलता है, तो केंद्र मैतेई समुदाय को भी ऐसा ही करने के लिए प्रेरित कर सकती है. फिलहाल, ये समुदाय एक-दूसरे के इलाकों से होकर नहीं गुजरते.

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, गृह मंत्रालय की फ्री मूवमेंट वाली घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर कुकी जो काउंसिल (KZC) ने राष्ट्रीय राजमार्ग-02 को यात्रियों और आवश्यक वस्तुओं की मुक्त आवाजाही के लिए खोलने का फैसला किया. 

उन्होंने अपने बयान में कहा कि केंद्र सरकार से उनकी जो समझ बनी है और लोगों से सहयोग की जो अपील की गई है, उसे इस तरह न समझा जाए कि वो ‘बफर जोन’ में बिना रोक-टोक या आजादी से आवाजाही की इजाजत दे रहे हैं. ‘बफर जोन’ का मतलब वो इलाके जो मैतेई और कुकी-जो बहुल इलाकों के बीच आते हैं. इन जगहों पर शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा बलों की कड़ी तैनाती रहती है.

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केंद्र के सामने एक और चुनौती

फ्री मूवमेंट की घोषणा के बाद भी गृह मंत्रालय एक और चुनौती का सामना कर रहा है. यहां के नगा क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रभाव रखने वाली यूनाइटेड नगा काउंसिल (UNC) ने 8 सितंबर से ‘ट्रेड एम्बार्गो’ यानी कि व्यापार बंद करने की घोषणा की है. ये फैसला भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और म्यांमार के साथ फ्री मूवमेंट एग्रीमेंट (FMR) रोकने के मुद्दे पर लिया गया है.

अगर समय रहते इस मुद्दे को नहीं सुलझाया गया, तो फ्री मूवमेंट में दिक्कतें आ सकती हैं. क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्ग-2 सेनापति जिले से होकर गुजरता है, जो नागा बहुल है. इम्फाल घाटी में माल परिवहन के लिए महत्वपूर्ण कई राजमार्ग सेनापति, उखरुल और तामेंगलोंग जैसे नागा क्षेत्रों से होकर गुजरते हैं.

वीडियो: पीएम मोदी की मणिपुर दौरा, क्या खत्म होगा Kuki vs Meitei का झगड़ा?

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