केरल विश्वविद्यालय में पहलगाम हमले पर आयोजित सेमिनार को लेकर बवाल मच गया है. यूनिवर्सिटी के एक पीएचडी स्कॉलर ने यह सेमिनार आयोजित किया था. लेकिन सेमिनार के 'राष्ट्रविरोधी' होने का आरोप लगाकर कुलपति ने इसे रद्द कर दिया. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, 9 मई को होने वाले सेमिनार में पहलगाम हमले में सुरक्षा चूक और इसके बिहार चुनाव से संबंध को लेकर चर्चा होनी थी. सब ठीक चल रहा था. तभी एक छात्र ने विभागीय वॉट्सऐप ग्रुप में तमिल वेबसाइट पर छपा एक लेख साझा कर दिया. यहीं से विवाद शुरू हो गया.
पहलगाम हमले पर केरल यूनिवर्सिटी में क्या सेमिनार होने वाला था जिसके रद्द होने पर बवाल मच गया?
पहलगाम हमले पर सेमिनार को लेकर केरल विश्वविद्यालय में हंगामा मचा है. एसएफआई के लोगों ने कुलपति पर आरएसएस का एजेंट होने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कुलपति अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने की कोशिश कर रहे हैं.

रिपोर्ट के मुताबिक लेख की हेडिंग थी- 'पहलगाम हमलाः राष्ट्रवादी उन्माद में डूबे सत्य'. इसमें आतंकवादी हमले के बारे में विस्तार से चर्चा की गई थी. हमले के दौरान सिक्योरिटी चूक को खासतौर पर अंडरलाइन किया गया था. साथ ही ये भी कहा गया था कि बिहार चुनाव से पहले केंद्र सरकार ‘राष्ट्रवादी भावनाओं का दोहन करने की कोशिश' कर रही है. इस लेख को शेयर किए जाने के बाद सेमिनार का विरोध होने लगा. उस पर सियासी मकसद साधने के आरोप लगने लगे.
मामला विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. मोहनन कुन्नुमल के पास पहुंचा. उन्होंने तुरंत रजिस्ट्रार को कार्यक्रम रोकने के लिए निर्देश दे दिया. साथ ही तमिल विभाग के विभागाध्यक्ष (HOD) से इस बारे में स्पष्टीकरण मांग लिया. विभागाध्यक्ष हेप्सी रोज मैरी ए ने इस मुद्दे पर खेद व्यक्त किया और कहा कि उन्हें कार्यक्रम की जानकारी नहीं थी. अपने स्पष्टीकरण में उन्होंने बताया कि सेमिनार एक पीएचडी स्कॉलर ने आयोजित किया था. उसी ने लेख भी ग्रुप में डाला था. नोटिस दिए जाने के बाद उसने माफी मांग ली. विश्वविद्यालय भी इससे संतुष्ट हो गया और छात्र पर अनुशासनात्मक कार्रवाई न करने का फैसला किया.
लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं हुआ. इसके अगले दिन केरल विश्वविद्यालय सिंडिकेट की बैठक हुई. इस दौरान मुद्दे ने एक नया मोड़ ले लिया. वामपंथी गुट के सदस्यों ने सेमिनार का समर्थन करते हुए कुलपति के फैसले पर आपत्ति जताई और उन पर तीखे हमले किए. उन्होंने कहा कि स्कॉलर के जिस लेख पर विवाद हो रहा है, उसे उसने ऑपरेशन सिंदूर से पहले शेयर किया था.
स्टूडेंट फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) के छात्र नेताओं ने कुलपति पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने और 'आरएसएस का एजेंट' होने का आरोप लगाया. SFI ने कहा,
डॉ. कुन्नुमल राजनीतिक कारणों से छात्रों को राष्ट्र-विरोधी बता रहे हैं. हम किस हालात में हैं, जब RSS के एजेंट हमें देशभक्ति का प्रमाण पत्र दे रहे हैं.
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, अपने ऊपर लगे आरोपों का जवाब देते हुए प्रो. कुन्नुमल ने दावा किया कि उन्हें ऐसे कार्यक्रमों के बारे में छात्रों से शिकायतें मिलीं. ऐसे में रजिस्ट्रार को पिछले साल आयोजित सेमिनारों और कार्यक्रमों के कॉन्टेंट को रिव्यू करने का आदेश दिया गया है. इस जांच में यह भी पता लगाया जाएगा कि क्या छात्र आमतौर पर HOD को सूचित किए बिना ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते हैं?
कार्यक्रम रद्द करने के फैसले पर प्रो. कुन्नुमल ने सफाई दी कि विश्वविद्यालय के लिए ऐसे कार्यक्रम की अनुमति देना अनुचित होगा, जो पहलगाम हमले का जवाब देेने के लिए शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर की आलोचना करता है. कुलपति ने सेमिनार समर्थकों पर तंज कसते हुए कहा कि जो लोग अब (भारत-पाक सैन्य संघर्ष के दौरान) शांति की मांग कर रहे हैं, वे पहले इजरायल पर हमास के हमले का समर्थन करते थे. इस तरह के रुख राजनीतिक एजेंडे का हिस्सा हैं.
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