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केरल का खुद का 'पहचान पत्र' होगा? पिनराई सरकार लाई नेटेविटी कार्ड, बीजेपी कोर्ट जाएगी

केरल में नेटिविटी कार्ड कानूनी रूप से मान्य दस्तावेज़ होगा और राज्य सरकार की योजनाओं में इस्तेमाल किया जा सकेगा.

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केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन. (India Today)

केरल सरकार ने राज्य में एक स्थायी नेटिविटी कार्ड (निवास प्रमाण पत्र) शुरू करने को मंजूरी दे दी है. इस कार्ड में धारक की फोटो भी होगी. मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने 24 दिसंबर को इसकी जानकारी दी. यह नया कार्ड मौजूदा नेटिविटी सर्टिफिकेट की जगह लेगा.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी व्यक्ति को बार-बार अपनी पहचान, जन्म या लंबे समय से राज्य में रहने का प्रमाण न देना पड़े. उन्होंने कहा,

“लोगों को अपनी पहचान साबित करने के लिए बार-बार परेशान होना पड़ता है, यह बेहद चिंताजनक है. किसी को भी बेवजह परेशान नहीं किया जाना चाहिए. इसके लिए एक ऐसा कानूनी दस्तावेज़ जरूरी है जो स्थायी और भरोसेमंद हो.”

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पिनराई विजयन का कहना है कि मौजूदा नेटिविटी सर्टिफिकेट केवल जन्म और निवास का प्रमाण देता है, लेकिन उसकी कोई स्थायी कानूनी मान्यता नहीं होती और अलग-अलग कामों के लिए बार-बार नया प्रमाण पत्र बनवाना पड़ता है. लंबे समय से इस समस्या को लेकर सरकार से शिकायतें आ रही थीं, जिसके बाद स्थायी समाधान की ज़रूरत महसूस की गई.

नए प्रस्ताव के तहत, यह नेटिविटी कार्ड कानूनी रूप से मान्य दस्तावेज़ होगा और राज्य सरकार की योजनाओं में इस्तेमाल किया जा सकेगा. इसे भविष्य में लाभार्थियों की पहचान के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकेगा.

मुख्यमंत्री ने बताया कि इस कार्ड को कानूनी मान्यता देने के लिए राजस्व विभाग कानून विभाग से सलाह लेकर एक मसौदा कानून तैयार करेगा, जिसे बाद में कैबिनेट के सामने मंजूरी के लिए रखा जाएगा. इस कार्ड को जारी करने की ज़िम्मेदारी तहसीलदारों की होगी.

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केरल सरकार के इस कदम का बीजेपी ने कड़ा विरोध करते हुए इसे “खतरनाक अलगाववादी राजनीति” करार दिया है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि उनकी पार्टी इस फैसले को कानूनी रूप से चुनौती देगी. उन्होंने आरोप लगाया कि ऐसा कोई भी कदम किसी भी संगठन या जनता की मांग पर नहीं उठाया गया है.

उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री जानबूझकर जनता के बीच डर का माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं और यह घोषणा हाल ही में हुए स्थानीय निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन की हार से ध्यान भटकाने के लिए की गई है.

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