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केरल के इस किसान ने नहीं बनने दिया लुलु शॉपिंग मॉल, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे!

बिजनेसमैन यूसुफ अली Kerala के त्रिशूर में LuLu Mall बनाने का प्लॉन बना रहे हैं. लेकिन उनके इस प्लॉन पर तब पानी फिर गया, जब एक किसान ने उनके इस फैसले पर आपत्ति जताई और केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. क्या है पूरा मामला?

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LuLu ग्रुप के एमडी यूसुफ अली (फोटो: आजतक)

अरबपति बिजनेसमैन यूसुफ अली (66), LuLu ग्रुप इंटरनेशनल के मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. इसी ग्रुप ने उत्तर प्रदेश के लखनऊ में देश का सबसे बड़ा LuLu शॉपिंग मॉल बनवाया. यूसुफ अली केरल के त्रिशूर जिले में पैदा हुए और बाद में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) चले गए. अब वे अपने गृह जिले यानी त्रिशूर में LuLu मॉल बनाने का प्लान बना रहे हैं. लेकिन उनके इस प्लान पर तब पानी फिर गया, जब एक किसान ने उनके इस फैसले पर आपत्ति जताई और हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 

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क्या है पूरा मामला? 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला तब सामने आया, जब यूसुफ अली ने एक कार्यक्रम में कहा कि त्रिशूर में शॉपिंग मॉल बनाने का उनका प्लान अभी तक साकार नहीं हो पाया है. क्योंकि "एक पक्ष" ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में मामला दायर कर दिया है. दरअसल, टीएन मुकुंदन (61) राज्य में आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए लड़ रहे हैं. मुकुंदन ने कहा कि वे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) के सदस्य हैं. लेकिन पार्टी की इस मामले में कोई भूमिका नहीं है. उनके लिए, धान के खेतों के संरक्षण की यह एक अकेली लड़ाई रही है.

यूसुफ अली और त्रिशूर के किसान के बीच कानूनी लड़ाई का मूल मसला यह है कि अय्यानथोल गांव की जिस जमीन पर LuLu ग्रुप एक मॉल और हाइपरमार्केट बनाना चाहता है, वह जमीन धान के खेत के रूप में दर्ज है. और इस खेत का इस्तेमाल गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता.

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जब राजस्व प्रभागीय अधिकारी (RDO) ने LuLu की भूमि को धान भूमि डाटा बैंक से बाहर करने का आदेश पारित किया, जिससे इसका इस्तेमाल गैर-कृषि उद्देश्यों के लिए किया जा सकता था, तो मुकुंदन ने 2023 में इस कदम के खिलाफ केरल हाई कोर्ट का रुख किया.

पिछले हफ्ते, हाई कोर्ट ने RDO के आदेश को रद्द कर दिया और अधिकारियों को जमीन की स्थिति पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया. जिससे मॉल बनाने का प्लान प्रभावी रूप से रुक गया. LuLu के एक प्रवक्ता ने कहा, “हम हाई कोर्ट के मुताबिक फैसला लेंगे.” वहीं, मुकुंदन अदालत के इस फैसले को अपनी बात की पुष्टि मानते हैं कि वह जमीन धान का खेत है.

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