कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (KSRTC) के एक बस कंडक्टर को कथित तौर पर मराठी न बोलने पर कुछ लोगों ने पीट दिया. ये घटना कर्नाटक के बेलगावी शहर में हुई. ये इलाका महाराष्ट्र के बॉर्डर से लगता है. इस पूरी घटना ने कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच अंतरराज्यीय विवाद का रूप ले लिया है. दोनों राज्यों के बीच बस सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं. आइये जानते हैं कि क्या है ये मामला और बेलगावी में ऐसा क्या है, जो ये शहर महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच अक्सर विवाद का केंद्र बन जाता है.
बेलगावी में मराठी न बोलने पर कंडक्टर की पिटाई, विवाद बढ़ा, महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच बसें बंद
कर्नाटक स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (KSRTC) के एक बस कंडक्टर को कथित तौर पर मराठी न बोलने पर पीटा गया. इस घटना के बाद कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच बस सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं. जिस बेलगावी शहर में ये घटना हुई है, वो महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच अक्सर विवाद का केंद्र बनता है. आखिर ऐसा क्या है बेलगावी में?
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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बस कंडक्टर का नाम महादेव हुक्केरी है. घटना शुक्रवार, 21 फरवरी को कर्नाटक के बेलगावी में हुई. मामला फ्री टिकट से जुड़ा है. कर्नाटक में महिलाओं की बस यात्रा मुफ्त है. लेकिन एक पुरुष यात्री फ्री टिकट मांग रहा था. 51 साल के पीड़ित कंडक्टर के बताया कि मना करने पर यात्री ने कहा कि मराठी में बोलो. इस दौरान कंडक्टर ने कहा कि उसे केवल कन्नड़ आती है. इसके बाद विवाद बढ़ गया. और बस में बैठे 6 से 7 लोगों ने उन पर हमला कर दिया. पीड़ित ने आगे बताया कि बस रुकते ही करीब 50 लोग और हमला करने आ गए.
रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस कमिश्नर एडा मार्टिन ने बताया कि मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. वहीं एक 14 साल की लड़की को कंडक्टर पर हमला करने के आरोप में हिरासत में लिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक इस नाबालिग आरोपी ने कंडक्टर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है. पुलिस ने कंडक्टर के खिलाफ POCSO एक्ट की धारा 12 के तहत मामला दर्ज किया है.
इस हमले के एक दिन बाद शनिवार, 22 फरवरी को कई इलाकों में काफी आक्रोश देखने को मिला. कई कन्नड़ संगठनों ने विरोध प्रदर्शन और मार्च निकाला. इसके बाद कर्नाटक नव निर्माण सेना के सदस्यों ने चित्रदुर्ग में एक मराठी बस कंडक्टर के चेहरे पर कालिख पोत दी. उस बस के शीशे भी तोड़ दिए.
हमले के बाद इलाके में तनाव फैल गया है. कर्नाटक ने बेलगावी से महाराष्ट्र के लिए बस सेवाएं रोक दी हैं. इस दौरान केवल कोगनोली चेकपॉइंट तक ही बसें भेजी गईं. इसके बाद महाराष्ट्र ने भी कर्नाटक के लिए बस सेवाएं बंद कर दीं. महाराष्ट्र ने केवल कागल तालुका तक ही बसों को भेजा.
बेलगावी पर महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच विवाद का इतिहासबेलगावी लंबे समय से कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच क्षेत्रीय विवाद का केंद्र रहा है. यहां मराठी भाषी लोगों की अच्छी-खासी आबादी है. साल 1947 में आज़ादी के बाद भाषा के आधार पर राज्यों के बंटवारे की मांग उठने लगी थी. इसके बाद साल 1956 में राज्य पुनर्गठन कानून बना. इसके तहत 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए. उस समय महाराष्ट्र को बंबई और कर्नाटक को मैसूर के नाम से जाना जाता था. राज्य पुनर्गठन आयोग (SRC) की सिफारिशों के बाद बेलगावी, कारवार, बीदर और भालकी समेत कई मराठी भाषी क्षेत्रों को कर्नाटक (तत्कालीन मैसूर राज्य) में मिला दिया गया.
साल 1966 में केंद्र सरकार ने मेघनाथ महाजन आयोग गठित किया. इसकी रिपोर्ट में 264 गांव महाराष्ट्र को और 247 गांव कर्नाटक को देने की सिफारिश की गई. महाराष्ट्र ने इस रिपोर्ट को ठुकरा दिया. जबकि कर्नाटक ने इसे लागू करने की मांग की.
साल 1986 में कर्नाटक सरकार ने बेलगावी को दक्षिण कर्नाटक से जोड़ने की कोशिश की. इसका महाराष्ट्र समर्थक दलों ने विरोध किया. कन्नड़ और मराठी समर्थकों के बीच हिंसक झड़पें हुईं.
2004 में महाराष्ट्र ने 865 गांवों और बेलगावी को महाराष्ट्र में शामिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. कर्नाटक सरकार ने इसका विरोध किया. कहा कि यह मामला राजनीतिक रूप से उठाया गया मुद्दा है. इसे कोर्ट में नहीं सुलझाया जा सकता.
साल 2006 में कर्नाटक सरकार ने बेलगावी को अपनी दूसरी राजधानी घोषित कर दिया. और वहां विधानसभा का सत्र आयोजित किया. महाराष्ट्र समर्थकों ने इसे "कर्नाटक की जबरदस्ती" करार दिया था.
साल 2019 में महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि बेलगावी पर महाराष्ट्र का हक है. कर्नाटक सरकार ने इस बयान का तीखा विरोध किया.
साल 2022 में कर्नाटक रक्षक वेदिका और शिवसेना के कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें हुईं. इस दौरान महाराष्ट्र से कर्नाटक जाने वाली कई ट्रेनों को नुकसान पहुंचाया गया.
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