इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा (Justice Yashwant Verma) के आवास से भारी मात्रा में कैश बरामद हुआ था. अब इस मामले में नई जानकारी सामने आई है. सुप्रीम कोर्ट ने इस केस की जांच के लिए एक कमिटी को नियुक्त किया. कमिटी ने पाया है कि कई गवाहों ने जस्टिस वर्मा के घर में भारी मात्रा में नोटों की गड्डियों के ढेर देखे थे. इसके बावजूद जस्टिस वर्मा ने न तो पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और न ही किसी ज्यूडिशियल अथॉरिटी को इसकी सूचना दी. कमिटी ने इस घटना को ‘अप्राकृतिक’ करार दिया और जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके पद से हटाने की सिफारिश की.
'इतना पैसा पहली बार देखा... कहा रिपोर्ट में न लिखो', जस्टिस वर्मा के यहां पैसा देखने वालों ने सब बताया
Justice Yashwant Verma के यहां पैसा देखने वालों के बयान अब सामने आए हैं. एक-एक बात पता लगी है. वर्मा का दावा है कि उनकी छवि खराब करने के लिए साजिश रची गई. लेकिन कमिटी का कहना है कि अगर कोई साजिश थी तो उनको इसकी शिकायत करानी चाहिए थी. अब क्या-क्या पता लगा?

14 मार्च को जस्टिस वर्मा के आवास में स्थित स्टोर रूम में आग लग गई थी. इसे बुझाने पहुंचे अग्निश्मन कर्मचारियों ने देखा कि वहां भारी मात्रा में नकदी थी. कमेटी ने कहा है कि इस मामले में जस्टिस वर्मा के खिलाफ पर्याप्त तथ्य हैं. गवाहों का कहना है कि उनके घर में भारी मात्रा में कैश था, जिनमें से कुछ नोट आधे जले हुए थे.
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक कमिटी ने जस्टिस यशवंत वर्मा की बेटी सहित 55 गवाहों से पूछताछ की है. अग्रिनश्मन और पुलिसकर्मियों की गवाही में कैश बरामदगी की तो पुष्टि हुई ही है, साथ ही कमिटी को घटना के वीडियो और तस्वीरें भी मिली हैं. इनमें देखा गया कि स्टोर रूम के फर्श पर 500 रुपये के नोटों का बड़ा ढेर बिखरा हुआ है. एक गवाह ने कमिटी को बताया,
#यशवंत वर्मा की दलीलइतना कैश देखकर मैं हैरान रह गया. मैंने अपने जीवन में पहली बार ऐसा कुछ देखा था.
जांच कमिटी ने बताया है कि जस्टिस यशवंत वर्मा का कहना है कि उनको कैश की जानकारी नहीं थी, उनका ये दावा भरोसे लायक नहीं है. उनकी ओर से उचित जवाब नहीं दिया गया है.
जस्टिस वर्मा ने ये भी कहा था कि ये उनकी छवि खराब करने की साजिश है. इस पर कमिटी का कहना है कि अगर कोई साजिश थी तो उनको इसकी शिकायत करानी चाहिए थी. उनको हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस या चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को इस बारे में बताना चाहिए था.
आग लगने की सूचना के बाद मौके पर पहुंचने वाले अधिकारियों ने भी गवाही दी है. इनमें दिल्ली फायर सर्विस (DFS) के अधिकारी भी शामिल हैं. जिन गवाहों ने कैश होने की पुष्टि की है उनके नाम इस प्रकार हैं-
- अंकित सहवाग (अग्निशमन अधिकारी, DFS)
- प्रदीप कुमार (अग्निशमन अधिकारी, DFS)
- मनोज महलावत (स्टेशन अधिकारी, DFS)
- भंवर सिंह (ड्राइवर, DFS)
- प्रवींद्र मलिक (अग्निशमन अधिकारी, DFS)
- सुमन कुमार (सहायक मंडल अधिकारी, DFS)
- राजेश कुमार (तुगलक रोड पुलिस स्टेशन से)
- सुनील कुमार (प्रभारी, ICPCR)
- रूप चंद (हेड कांस्टेबल)
- उमेश मलिक (SHO, तुगलक रोड पुलिस स्टेशन).
इस मामले में एक बात ये भी पता चली है कि जस्टिस यशवंत के घर के कर्मचारियों ने कैश देखने की बात से इनकार कर दिया. लेकिन कमिटी का कहना है कि ऐसा कोई कारण नहीं है कि पुलिस और अग्रिशमन अधिकारियों के बयानों पर भरोसा न किया जाए.
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#स्टोर रूम किसके कंट्रोल में था?जांच कमिटी ने ये भी स्पष्ट किया है कि वो स्टोर रूम जहां आग लगी थी और जहां नकदी मिली थी, उस तक जस्टिस वर्मा और उनके परिवार की पूरी पहुंच थी और उसपर उनका पूरा कंट्रोल था. बाद में उस कमरे को साफ कर दिया गया और नोट गायब कर दिए गए.
#उसदिन सचिव ने अफसरों से क्या कहा था?जस्टिस वर्मा के एक निजी सचिव ने अग्निशमन अधिकारियों को कथित तौर पर कहा था कि वो अपनी रिपोर्ट में कैश मिलने की बात न लिखें. दिल्ली फायर सर्विस का कहना है कि एक वरिष्ठ अधिकारी ने उनको इस मामले को दबा देने के लिए कहा था, क्योंकि इसमें ‘बड़े लोगों’ के नाम शामिल थे.
कमिटी ने जस्टिस वर्मा के निजी सचिव राजिंदर सिंह कार्की और उनकी बेटी दीया वर्मा का भी जिक्र किया है. उन्होंने कहा है कि सबूतों को मिटाने या घटनास्थल को साफ करने में उन दोनों की संभावित भूमिका हो सकती है.
वीडियो: नेतानगरी: जस्टिस यशवंत वर्मा के घर मिले कैश को लेकर उठ रहे गंभीर सवाल, FIR होगी या नहीं?