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जस्टिस वर्मा का इस्तीफे से इनकार, CJI ने राष्ट्रपति और PM को भेजी रिपोर्ट, महाभियोग की तैयारी!

Yashwant Varma Cash: इन-हाउस जांच पैनल की रिपोर्ट मिलने के बाद सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा से इस्तीफा देने या महाभियोग का सामना करने के लिए कहा था. खबर है कि वर्मा ने पद छोड़ने से इनकार कर दिया है.

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Yashwant Varma
जस्टिस यशवंत वर्मा ने इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है (India Today)
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राघवेंद्र शुक्ला
9 मई 2025 (Updated: 9 मई 2025, 07:05 PM IST) कॉमेंट्स
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जस्टिस यशवंत वर्मा ने कैश कांड में अभियोग लगाए जाने के बाद भी इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने रिपोर्ट आने पर उन्हें इस्तीफा देने के लिए कहा था. वर्मा के इनकार के बाद सीजेआई ने जांच पैनल की रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेज दी है. अब वर्मा पर महाभियोग की कार्रवाई हो सकती है. ‘बार एंड बेंच’ की रिपोर्ट के अनुसार, चीफ जस्टिस के निर्देश पर 3 सदस्यों वाले इन-हाउस पैनल ने यशवंत वर्मा के घर नोटों की गड्डियां मिलने के मामले की जांच की थी. 4 मई को जांच की रिपोर्ट सीजेआई को सौंपी गई थी.

मामला क्या है? विस्तार से जानते हैं. 

बात 14 मार्च 2025 की शाम की है. दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के घर में आग लगी. आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड के लोग मौके पर पहुंचे. यहां उन्हें एक कमरे में बेहिसाब नोटों की गड्डियां दिखीं. उनमें से कुछ जल भी गए थे. जब ये सब हुआ तब जस्टिस वर्मा और उनकी पत्नी दिल्ली में नहीं थे. आग लगने के समय घर पर केवल उनकी बेटी और मां थीं. 

बाद में इसका एक वीडियो भी सामने आया जिसमें आग में नोटों के बंडल जलते हुए दिखाई दे रहे थे. इस घटना के बाद जस्टिस वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे. उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि यह उन्हें फंसाने की साजिश है. बाद में जली हुई नकदी का वीडियो दिल्ली पुलिस कमिश्नर ने दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को भेज दिया. 

इन-हाउस पैनल से जांच

जस्टिस यशवंत वर्मा को दिल्ली हाई कोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर कर दिया गया. वहां के मुख्य न्यायाधीश से कहा गया कि वह वर्मा को कोई भी न्यायिक काम न सौंपें. इधर मामला तूल पकड़ने लगा. ज्यूडिशियरी की खूब किरकिरी हुई तो सीजेआई ने आरोपों की इन-हाउस पैनल से जांच शुरू कराई. 22 मार्च को 3 सदस्यीय समिति गठित की गई. 

इस समिति में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जस्टिस अनु शिवरामन शामिल थीं. पैनल ने 25 मार्च को मामले की जांच शुरू की. 4 मई को उन्होंने सीजेआई संजीव खन्ना को अपनी रिपोर्ट सौंप दी.

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जांच रिपोर्ट में क्या आया?

जांच की रिपोर्ट में इन-हाउस पैनल ने जस्टिस वर्मा पर अभियोग (Iindictment) लगाया था. मतलब यह कि जस्टिस वर्मा पर आरोप सही पाए गए. सीजेआई ने रिपोर्ट आने के बाद वर्मा को इस्तीफा देने के लिए कहा. 

यह एक इन-हाउस प्रोसेस है. इसमें अगर कोई जज किसी मामले में दोषी पाया जाता है तो सीजेआई उसे इस्तीफा देने के लिए कहते हैं. अगर जज इस्तीफा देने से मना कर देते हैं तो सीजेआई इसकी जानकारी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजते हैं, जिसके बाद दोषी जज पर महाभियोग की कार्रवाई की जाती है. 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, रिपोर्ट में अभियोग लगाए जाने के बाद सीजेआई संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा को 2 विकल्प दिए. पहला कि वह इस्तीफा दें या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लें. या फिर महाभियोग की कार्रवाई का सामना करें. बताया गया कि वर्मा ने अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है. इसके बाद सीजेआई ने जांच पैनल की रिपोर्ट के साथ उनके इस जवाब को भी राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास भेज दिया है. अब उनके खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई की जा सकती है.

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